Chandra Grahan 2020: साल का दूसरा आंशिक चंद्र ग्रहण, इस वजह से नहीं लगा सूतक काल

Chandra Grahan 2020: साल का दूसरा आंशिक चंद्र ग्रहण, इस वजह से नहीं लगा सूतक काल

Bhaskar Hindi
Update: 2020-06-05 04:30 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इस साल का दूसरा चंद्र ग्रहण लग चुका है। ये एक उपछाया ग्रहण है जो रात में 11 बजकर 15 मिनट से शुरू होकर 6 जून को तड़के 2 बजकर 34 मिनट पर खत्म हुआ। हालांकि यह एक आंशिक उपच्छाया चंद्रग्रहण रहा। ये ग्रहण भारत, यूरोप, अफ्रीका, एशिया और ऑस्ट्रेलिया में दिखाई दिया। उपच्छाया चंद्र ग्रहण होने के कारण सूतक काल का प्रभाव कम रहा। 

चूंकि ज्योतिष में उपच्छाया को ग्रहण का दर्जा नहीं दिया गया है। ऐसे में इस ग्रहण का  सूतक काल भी नहीं माना जाता। ये ग्रहण वृश्चिक राशि और ज्येष्ठा नक्षत्र में लगा। बता दें कि जून माह की पूर्णिमा को स्ट्रॉबेरी मून भी कहा जाता है। इस कारण ये चन्द्र ग्रहण स्ट्रॉबेरी चंद्रग्रहण कहलाता है। 

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इसलिए नहीं लगेगा सूतक
चंद्र ग्रहण का सूतक ग्रहण लगने से 9 घंटे पहले शुरू हो जाता है। इस दौरान मंदिरों के पाट बंद हो जाते हैं। हालांकि इस ग्रहण का सूतक काल नहीं माना जाएगा। ज्योतिषियों के अनुसार इस ग्रहण का भारत में प्रभाव नहीं है इसलिए इस ग्रहण के दौरान सूतक काल नहीं माना जाएगा। हालांकि ग्रहण काल होने के कारण कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए। आइए जानते हैं ग्रहण के दौरान क्या करना चाहिए और क्या नहीं!

नहीं करना चाहिए भोजन  
माना जाता है कि ग्रहण काल में कीटाणु, जीवाणु अधिक मात्रा में फैलते हैं खाने पीने के पदार्था में वे फैलते हैं इसलिए भोजन नहीं करना चाहिए, पका हुआ नहीं खाना चाहिए। कच्चे पदार्थों कुशा छोड़ने से जल में कुशा छोड़ने से जीवाणु कुशा में एकत्रित हो जाते हैं पात्रो में अग्नि डालकर स्नान करने से शरीर में उष्मा का प्रभाव बढ़े और भीतर बाहर के किटाणु नष्ट हो जाते हैं। एक अनुसंधान के अनुसार ग्रहण के समय मनुष्य के पेट की पाचन शक्ति कमजोर होती हैं जिससे शारिरिक मानसिक हानि पहुंचती हैं।

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ग्रहण काल में क्या करें ?
ग्रहण के वेध काल में तथा ग्रहण काल में भी भोजन नहीं करना चाहिए। देवी भागवत के अनुसार सूर्य ग्रहण या चंद्र ग्रहण के समय जो मनुष्य जितने अन्न के दाने खाते हैं उतने वर्षा तक अरूतुंद नरक में वास करता हैं और उदर रोगी, गुल्मरोगी, काना तथा दंतहीन होता हैं।  

धार्मिक दृष्टि से देखा जाए तो माना जाता है कि यदि चंद्र ग्रहण के दौरान किसी सरोवर में स्नान किया जाए तो सभी पाप धुल जाता हैं। इसके अलावा गेहूं, चावल और गुड़ जैसी चीजों का दान भी करना चाहिए। इससे खुशहाली आती है। 

ग्रहण काल में क्या ना करें ?
कोई भी शुभ काम या नया कार्य नहीं करना चाहिए। ग्रहण समय में सोने से रोगी, लघुशंका से दरिद्र, स्त्री प्रसंग से सुअर तथा उबटन लगाने से कोढ़ी होता है। ग्रहण काल में तेल लगाना, भोजन करना, जल पीना, मल मूत्र त्यागना, बाल काटना, मंजन करना, रति क्रिया करना मना है। पत्ते, तिनके, फूल, लकड़ी नहीं तोड़ना चाहिए। 

चंद्र ग्रहण और उपच्छाया चंद्र ग्रहण में अंतर 
जब सूरज और चंद्रमा के बीच पृथ्वी घूमते हुए आती है तो चन्द्रग्रहण होता है। लेकिन जब यह तीनों एक सीधी लाइन में नहीं होते तो उपछाया कहलाती है। इस स्थिति में चांद की छोटी सी सतह पर अंब्र नहीं पड़ती है। पृथ्वी के बीच से पड़ने वाली छाया को अंब्र कहा जाता है। चांद के शेष हिस्से में पृथ्वी के बाहरी हिस्से की छाया पड़ती है। जिसे उपछाया कहा जाता है।  

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