तप की देवी इस विधि से करें पूजा, आंतरिक शांति की होगी प्राप्ति
चैत्र नवरात्रि का दूसरा दिन तप की देवी इस विधि से करें पूजा, आंतरिक शांति की होगी प्राप्ति
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। चैत्र नवरात्रि की शुरुआत गुढ़ी पड़वा के साथ हो गई है और अब दूसरे दिन मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा की जाएगी। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, माता ब्रह्मचारिणी की पूजा 23 मार्च, गुरुवार को की जाएगी। पुराणों के अनुसार, मां ब्रह्मचारिणी तप की देवी हैं जिस कारण उनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा था। माना जाता है कि मां ब्रह्मचारिणी संसार में ऊर्जा का प्रवाह करती हैं और मनुष्य को उनकी कृपा से आंतरिक शांति प्राप्त होती है। इस दिन माता की साधना करने से विवेक, बुद्धि, ज्ञान और वैराग्य की प्राप्ति होती है।
तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम की वृद्धि के लिए देवी ब्रह्मचारिणी की उपासना की जाती है। मां ब्रह्मचारिणी की कृपा से सिद्धी की प्राप्ति भी होती है। मान्यता है कि मां ब्रह्मचारिणी की पूजा के दौरान आरती और मंत्रों का जाप करने से माता भक्तों के सभी बिगड़े काम बना देती हैं।आइए जानते हैं मां के स्वरूप और पूजा विधि के बारे में...
स्वरूप
शास्त्रों के अनुसार, देवी का यह रूप पूर्ण ज्योतिर्मय और अत्यंत भव्य होता है। माता के सीधे हाथ में जप की माला और उल्टे हाथ में यह कमण्डल होता हैं। नारद जी के आदेशानुसार भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए देवी ने वर्षों तक कठिन तपस्या की। अंत में उनकी तपस्या सफल हुई।
माता ब्रहाम्चारिणी की उपासना का मंत्र-
दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥
पूजा विधि
- सूर्योदय से पूर्व उठें और स्नानादि से निवृत्त होकर मां दुर्गा की आराधना करें।
- मां की पूजा में पीले या सफेद रंग के वस्त्र का उपयोग करें।
- माता का सबसे पहले पंचामृत से स्नान कराएं।
- इसके बाद रोली, अक्षत, चंदन आदि अर्पित करें।
- मां ब्रह्मचारिणी की पूजा में गुड़हल या कमल के फूल का ही प्रयोग करें।
- माता को दूध से बनी चीजों का ही भोग लगाएं।
- इसके बाद पान-सुपारी भेंट करने के बाद प्रदक्षिणा करें।
- फिर कलश देवता और नवग्रह की पूजा करें।
- घी और कपूर से बने दीपक से माता की आरती उतारें।
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