जानें कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

चैत्र नवरात्रि 2023 जानें कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Bhaskar Hindi
Update: 2023-03-16 17:16 GMT
जानें कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मां दुर्गा की आराधना का सबसे बड़ा पर्व नवरात्रि साल में दो बार आता है। इसकी शुरुआत हिन्दू नववर्ष के साथ होती है, जो चैत्र नवरात्र के नाम से जाना जाता है। वहीं दूसरा पर्व शारदीय नवरात्र के नाम से जाना जाता है। फिलहाल, विक्रम संवत 2080 की शुरुआत के साथ चैत्र नवरात्र 22 मार्च 2023 से शुरू हो रहे हैं। माना जाता है कि, नवरात्र में मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की विधि-विधान से पूजा करने से भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण होती है।

ज्योतिष के अनुसार चैत्र नवरात्रि की प्रतिपदा के दिन कलश या घट स्थापना सूर्योदय के बाद अभिजीत मुहुर्त में करना श्रेयष्कर रहता है। आइए जानते हैं कलश स्थापना का शुभ समय और पूजा विधि...

नौ दिनों में मां की आराधना
नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना की जाती है, जिसके साथ ही मां शैलपुत्री की आराधना की जाती है। इसके बाद ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, मां कुष्मांडा, स्कन्द माता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है।

मुहूर्त
पंचाग के अनुसार चैत्र नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि, 22 मार्च 2023 को कलश स्थापना के लिए उत्तम मुहूर्त सुबह 06 बजकर 29 मिनट से 07 बजकर 39 मिनट तक है। घटस्थापना के लिए सबसे अच्छा अभिजित मुहूर्त माना जाता है लेकिन इस बार चैत्र नवरात्रि के पहले दिन अभिजीत मुहूर्त प्रयुक्त नहीं है।

कलश स्थापना विधि 
- शुभ मुहूर्त में कलश या घट स्थापना करें।
- इस दिन पूरे नौ दिनों तक देवी की आराधना करें।
- नवरात्र के नौ दिनों में देवी के नौ रूपों की पूजा और आराधना करें। 
- पूरे नवरात्रि में दुर्गासप्तशती का पाठ करना चाहिए।
- इन दिनों में ब्रह्म मुहुर्त में श्रीरामरक्षा स्तोत्र का पाठ बहुत शुभफलदायी होता है।
- इस समय पूरे नियम से माता दुर्गा के शरणागत रहना चाहिए क्योंकि यही भक्ति की सर्वोच्च अवस्था है।
- इस दिन माता के किसी सिद्ध पीठ का दर्शन कर आशीर्वाद ले।
- प्रतिदिन माता के मंदिर जाकर विधिवत दर्शन करने के साथ पूजा करें।
- इन दिनों में रामरक्षा स्त्रोत का पाठ करें, इससे दैहिक, दैविक तथा भौतिक तापों का नाश होता है।
- नवरात्रि में श्री रामचरित मानस का पाठ बहुत पुण्यदायी बताया गया है।  
- मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए पूरी नवरात्रि व्रत कर अंतिम दिन हवन करें।

डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग- अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।

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