चैत्र नवरात्रि 2021: आठवें दिन करें मां महागौरी की पूजा, असंभव कार्य भी होंगे संभव

चैत्र नवरात्रि 2021: आठवें दिन करें मां महागौरी की पूजा, असंभव कार्य भी होंगे संभव

Bhaskar Hindi
Update: 2021-04-19 05:01 GMT
चैत्र नवरात्रि 2021: आठवें दिन करें मां महागौरी की पूजा, असंभव कार्य भी होंगे संभव

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की उपासना की जाती है। चैत्र नवरात्रि का आठवां दिन 20 अप्रैल, मंगलवार को है। देवीभागवत पुराण के अनुसार, मां के नौ रूप और 10 महाविद्याएं सभी आदिशक्ति के अंश और स्वरूप हैं लेकिन भगवान शिव के साथ उनकी अर्धांगिनी के रूप में महागौरी सदैव विराजमान रहती हैं। इनकी शक्ति अमोघ और सद्यः फलदायिनी है। 

सुंदर, अति गौर वर्ण होने के कारण इन्हें महागौरी कहा जाता है। महागौरी की आराधना से असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं, ज्ञात-अज्ञात समस्त पापों का नाश होता है, सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस दिन कई लोग इस दिन कन्या पूजन कर अपना व्रत खोलते हैं। आइए जानते हैं मां के स्वरूप और पूजा विधि के बारे में...

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मां महागौरी का स्वरूप
महागौरी वर्ण पूर्ण रूप से गौर अर्थात सफेद हैं और इनके वस्त्र व आभूषण भी सफेद रंग के हैं। मां का वाहन वृषभ अर्थात बैल है। मां के दाहिना हाथ अभयमुद्रा में है और नीचे वाला हाथ में दुर्गा शक्ति का प्रतीक त्रिशुल है। महागौरी के बाएं हाथ के ऊपर वाले हाथ में शिव का प्रतीक डमरू है। डमरू धारण करने के कारण इन्हें शिवा भी कहा जाता है। मां के नीचे वाला हाथ अपने भक्तों को अभय देता हुआ वरमुद्रा में है। माता का यह रूप शांत मुद्रा में ही दृष्टिगत है। इनकी पूजा करने से सभी पापों का नष्ट होता है।

मां महागौरी पूजा विधि 
- सबसे पहले लकड़ी की चौकी पर या मंदिर में महागौरी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। 
- इसके बाद चौकी पर सफेद वस्त्र बिछाकर उस पर महागौरी यंत्र रखें और यंत्र की स्थापना करें। 
- हाथ में सफेद पुष्प लेकर मां का ध्यान करें। 

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- अब मां की प्रतिमा के आगे दीपक चलाएं।
- उन्हें फल, फूल, नैवेद्य आदि अर्पित करें। 
- इसके बाद देवी मां की आरती उतारें। 
- अष्टमी के दिन कन्या पूजन करना श्रेष्ठ माना जाता है। 

महागौरी मंत्र :-

1- या देवी सर्वभूतेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

2- "सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि। सेव्यामाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥

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