त्यौहार: होलिका दहन में भद्रा की नहीं होगी बाधा, रहेंगे कई शुभ मुहूर्त
त्यौहार: होलिका दहन में भद्रा की नहीं होगी बाधा, रहेंगे कई शुभ मुहूर्त
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। होली का पर्व देशभर में बड़े ही धूम- धाम से मनाया जाता है। रंगो के इस पावन त्योहार का हिंदू धर्म में बहुत अधिक महत्व है। इस वर्ष यह त्यौहार 9 मार्च 2020 को मनाया जाएगा। होलिका दहन के दौरान भ्रदा होने से इस बार होली को अशुभ माना जा रहा है, हालांकि ज्योतिषों के अनुसार यह योग कुछ समय के लिए रहेगा। यानी कि भद्रा होलिका दहन में बाधक नहीं बनेगी, बल्कि दहन के वक्त कई शुभ मुहूर्त रहेंगे।
पंडित गिरधारीलाल पालिवाल के अनुसार, 9 मार्च को अशुभ माना गया भद्रा योग दोपहर 1:19 बजे तक ही रहेगा। यानी होलिका दहन के वक्त भद्रा नहीं रहेगी, बल्कि प्रदोष काल में होलिका दहन का शुभ मुहूर्त शाम 6:35 से रात 11:05 बजे तक रहेगा।
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होली के बाद रंग पंचमी
सोमवार व पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र होने से इस दौरान ध्वज योग रहेगा, जो यश-कीर्ति व विजय प्रदान करने वाला होता है। होलिका दहन फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शाम के समय भद्रा रहित समय में किया जाना ही उत्तम है। भद्रा का स्वभाव उग्र होने के कारण इसमें होलिका दहन वर्जित है। इस दिन पूर्णिमा सूर्योदय से रात 11:30 तक रहेगी। इसके बाद 10 मार्च को होली खेलेंगे। रंगपंचमी 14 मार्च को होगी।
पेड़ों से है सभी 12 राशियों व ग्रह-नक्षत्रों का संबंध
होली पर कई बार पेड़ों को जला दिया जाता है, ज्योतिषशास्त्र में इसे भी गलत माना गया है। धार्मिक दृष्टि से भी पेड़ों पर किसी न किसी देवता का अधिपत्य होता है। उनमें देवी-देवताओं का वास माना जाता है। तीज-त्योहारों पर शास्त्रों में पेड़ों की पूजा करने का भी विधान है, जो हमारे लिए स्वास्थ्य वर्धक व हमारे प्राणों के रक्षक हैं। पेड़ों को काटने से बचना चाहिए, जिससे हम अपने जीवन को भी सुरक्षित रख सकेंगे और ग्रह-नक्षत्रों की नाराजगी से भी बचेंगे।
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ज्योतिषियों के अनुसार 12 राशियां, 9 गृह व 27 नक्षत्र होते हैं। सभी राशियों व ग्रह-नक्षत्रों का संबंध पेड़ों से होता है। व्यक्ति के जन्म के समय चंद्रमा जिस नक्षत्र में होता है, वही उसका जन्म नक्षत्र कहलाता है। हमारी कुंडली में भी विभिन्न स्थान पर ग्रह विद्यमान रहते हैं। ज्योतिषाचार्यों व पर्यावरणविदों का कहना है कि होलिका दहन गो-काष्ठ व कंडों से ही किया जाना चाहिए, इससे पर्यावरण शुद्धि भी होगा और पेड़ भी कटने से बचेंगे।
राशियों से पेड़ों का नाता
- राशि पेड़
- मेष अनंतमूल
- वृषभ शरपुंखा
- मिथुन विधारा
- कर्क खिरनी
- सिंह हरिद्रा
- कन्या विधारा
- तुला शरपुंखा
- वृश्चिक अनंतमूल
- धनु हरिद्रा
- मकर बिच्छोल
- कुंभ बिच्छोल
- मीन हरिद्रा