अगहन मास 2020: जानें हिन्दू पंचांग में क्या है इसका महत्व, क्यों कहा जाता है इसे मार्गशीर्ष

अगहन मास 2020: जानें हिन्दू पंचांग में क्या है इसका महत्व, क्यों कहा जाता है इसे मार्गशीर्ष

Bhaskar Hindi
Update: 2020-12-02 09:43 GMT
अगहन मास 2020: जानें हिन्दू पंचांग में क्या है इसका महत्व, क्यों कहा जाता है इसे मार्गशीर्ष

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हिन्दू पंचांग के अनुसार वर्ष का 9वां महीना अगहन (मार्गशीर्ष) कहलाता है। यह माह 1 दिसंबर 2020 से शुरू हो चुका है और 30 दिसंबर तक रहेगा। इस महीने को अग्रहायण या अगहरन का महीना के नाम से भी जाना जाता है। धर्म कर्म की दृष्टि से यह महीना बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है।

वैदिक मान्यताओं के अनुसार सभी माह में मार्गशीर्ष को विशेष महत्व प्रदान दिया गया है। मार्गशीर्ष में किए गए धार्मिक अनुष्ठानों, जप, तप और योग का जीवन में बहुत ही शुभ फल प्राप्त होता है। आइए जानते हैं इस माह के बारे में...

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नदियों में स्नान
मार्गशीर्ष में नदियों में स्नान के लिए तुलसी की जड़ की मिट्टी व तुलसी के पत्तों से स्नान करना चाहिए। स्नान के समय इन मन्त्र का स्मरण करना चाहिये ॐ नमो नारायणाय या गायत्री मंत्र का स्मरण करना चाहिए। हिन्दू धर्म शास्त्रों में कहा गया है कि इस माह का संबंध मृगशिरा नक्षत्र से है। पंचांग के अनुसार 27 नक्षत्र होते हैं जिसमें से एक है मृगशिरा नक्षत्र भी है।

चंद्रमा को करें प्रसन्न
मार्गशीर्ष का महीना चंद्रमा को प्रसन्न करने का महीना भी माना जाता है। इस माह में उन लोगों को चंद्रमा की विशेष पूजा अर्चना करनी चाहिए जिनकी जन्म कुंडली में चंद्रमा की स्थिति कमजोर है। इसके साथ ही भगवान कृष्ण की पूजा करने से उनका आर्शीवाद प्राप्त होता है। मार्गशीर्ष में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करते समय तुलसी के पत्तों का प्रयोग अवश्य करना चाहिए। इसके साथ ही शंख का पूजन करना चाहिए।

मृगशिरा नक्षत्र
इस माह की पूर्णिमा मृगशिरा नक्षत्र में होती है। इसी कारण इस मास को अगहन मास को मार्गशीर्ष मास के नाम से जाना जाता है। भागवत के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने भी कहा था कि सभी माह में मार्गशीर्ष स्वमं में ही हूँ। मार्गशीर्ष माह में श्रद्धा और भक्ति से प्राप्त पुण्य के बल पर हमें सभी सुखों की प्राप्ति होती है। इस माह में नदियों में स्नान और दान-पुण्य का विशेष महत्व दिया गया है।

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श्रीकृष्ण का स्वरूप
पुराणों में अगहन मास का खासा महत्व बताया गया है। भगवान श्रीकृष्ण के अनेक स्वरूपों व अनेक नामों से मार्गशीर्ष भी श्रीकृष्ण का ही एक रूप माना गया है। गीता में स्वयं भगवान ने कहा है मासाना मार्गशीर्षोऽयम्। श्रीकृष्ण ने मार्गशीर्ष मास की महत्ता गोपियों को भी बताई थी। उन्होंने कहा था कि मार्गशीर्ष माह में यमुना स्नान से मैं सहज ही सभी को प्राप्त हो जाऊंगा। तभी से इस माह में नदियों में स्नान करने का विशेष महत्व माना जाता है।
 

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