मासिक कालाष्टमी व्रत कल: सुख- समृद्धि के लिए इस शुभ मुहूर्त में करें भगवान काल भैरव की पूजा

  • काल भैरव भगवान शिव के पांचवे आवतार हैं
  • काल भैरव की पूजा से रुके हुए कार्य बनते हैं
  • 01 मई, बुधवार को रखा जाएगा कालाष्टमी व्रत

Bhaskar Hindi
Update: 2024-04-30 10:37 GMT

डिजिटल डेस्क, भोपाल। हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार, हर माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी (Kalashtami) मनाई जाती है। वैशाख महीने में कालाष्टमी व्रत 01 मई, बुधवार को पड़ रहा है। इस दिन भगवान काल भैरव देव की पूजा की जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, काल भैरव भगवान शिव के पांचवे आवतार हैं। ऐसा माना जाता है कि, जो भी व्यक्ति सच्चे मन से काल भैरव की पूजा करता है उसके रुके हुए कार्य अपने आप बनते चले जाते हैं।

मान्यता यह भी है कि, कालाष्टमी के दिन कालभैरव की पूजा करने से सभी तरह के ग्रह-नक्षत्र और क्रोर ग्रहों का प्रभाव खत्म हो जाता है। इन्हें काशी का कोतवाल भी कहा जाता है। काल भैरव के 8 स्वरूप माने गए हैं। इनमें से बटुक भैरव की पूजा गृहस्थ लोगों और साधारणजन द्वारा की जाती है। आइए जानते हैं कालाष्टमी व्रत की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त...

तिथि कब से कब तक

तिथि आरंभ: 01 मई 2024, बुधवार सुबह 05 बजकर 45 मिनट से

तिथि समापन: 02 मई 2024, गुरुवार सुबह 04 बजकर 01 मिनट तक

ऐसे करें पूजा

- इस दिन ब्रम्ह मुहूर्त में उठें और स्नानादि से निवृत्त हों।

- इसके बाद साफ वस्त्र धारण करें और सूर्य निकलने पर अर्ध्य दें।

- पितरों का तर्पण और श्राद्ध करें।

- इसके बाद व्रत का संकल्प लें और फिर घर के मंदिर में पूजा करें।

- इस दिन काल भैरव की पूजा कर उन्हें जल अर्पित करें।

- पूजा के दौरान भैरव कथा का पाठ करें।

- इस दिन भगवान शिव-पार्वती की पूजा का भी करना चाहिए।

- काल भैरव की पूजा में काले तिल, धूप, दीप, गंध, उड़द आदि का इस्तेमाल करें

पूजा के दौरान इस मंत्र का उच्चारण करें।

काल भैरव मंत्र- ॐ हं षं नं गं कं सं खं महाकाल भैरवाय नम:

डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष, वास्तुशास्त्री) की सलाह जरूर लें।

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