व्रत: मासिक दुर्गाष्टमी पर इस मंत्र से करें माता को प्रसन्न, जानें पूजा विधि

  • मासिक दुर्गाष्टमी 18 जनवरी, गुरुवार को है
  • भक्त व्रत रखकर माता की पूजा करते हैं
  • इस तिथि को देवी ने महिषासुर को मारा था

Bhaskar Hindi
Update: 2024-01-17 08:19 GMT

डिजिटल डेस्क, भोपाल। हिंन्दू पंचांग के अनुसार, हर महीने शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर दुर्गाष्टमी मनाई जाती है। इस दिन माता के भक्त व्रत रखते हैं और पूरी श्रद्धा से पूजा करते हैं। इस दिन व्रत और पूजा का खास महत्व है। ऐसा माना जाता है कि, इस दिन पूरे विधि विधान से पूजा करने और व्रत रखने से मां प्रसन्न होती हैं और मां से जो भी कामना की जाए वे उसे जरूर पूरा करती हैं। इस बार मासिक दुर्गाष्टमी 18 जनवरी गुरुवार को है।

व्रत विधि

- इस दिन व्रती को सबसे पहले स्नान आदि से निवृत्त होना चाहिए।

- इसके बाद साफ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें।

- फिर पूजा के स्थान को गंगाजल डालकर उसकी शुद्धि कर लें।

- इसके बाद लकड़ी के पाट पर लाल वस्त्र बिछाकर उस पर माँ दुर्गा की प्रतिमा या चित्र स्थापित कर लें।

- फिर माता को अक्षत, सिन्दूर और लाल पुष्प अर्पित करें।

- अब प्रसाद के रूप में आप फल और मिठाई चढ़ाएं।

- अब धूप और दीपक जलाएं और दुर्गा चालीसा का पाठ करें।

- इसके बाद माता की आरती करें।

- अब हाथ जोड़कर देवी से प्रार्थना करें।

कथा

शास्त्रों के अनुसार, जब धरती पर असुरों का वर्चस्व अधिक हो गया था और वे काफी शक्तिशाली हो गए थे तब वे स्वर्ग पर चढ़ाई करने लगे। उन्होंने कई देवताओं को मार डाला और चारों तरफ तबाही मचा दी। इसके बाद स्वर्ग में भी हाहाकार मच गया। सभी दैत्यों में सबसे शक्तिशाली महिषासुर था। परेशान होकर भगवान शिव, भगवान विष्णु और भगवान ब्रह्मा ने शक्ति स्वरूप देवी दुर्गा को बनाया। इसके बाद हर देवता ने देवी दुर्गा को विशेष हथियार प्रदान किया।

आदिशक्ति दुर्गा राक्षसों का वध करने के लिए पृथ्वी पर आईं, जिससे राक्षस थर थर कांपने लगे। लेकिन शक्तिशाली महिषासुर नहीं डरा और देवी से युद्ध के लिए भिड़ गया। इसके बाद मां दुर्गा ने महिषासुर की सेना के साथ युद्ध किया। यह युद्ध लंबे समय तक चला और अंत में देवी ने उसे मार दिया। ऐसी मान्यता है कि, उस दिन से ही दुर्गा अष्टमी का पर्व प्रारम्भ हुआ।

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