मंगला गौरी व्रत 2023: सुहागिन महिलाओं के लिए भी सौभाग्यशाली है ये व्रत, जानें व्रत और पूजा की विधि
डिजिटल डेस्क, भोपाल। आषाढ़ मास के समापन के साथ ही श्रावण मास की शुरुआत हो जाती है, जो कि इस बार 04 जुलाई से हो रही है। इस माह का पहला व्रत मंगला गौरी व्रत भी मंगलवार को ही रखा जाएगा। मंगला गौरी व्रत, सावन सोमवार के अगले दिन रखा जाता है। शास्त्रों के अनुसार यह व्रत अविवाहितों के अलावा सुहागिन महिलाओं के लिए भी सौभाग्यशाली माना जाता है। इससे सुहागिनों को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। मंगला गौरी व्रत करने से विवाह में आ रही वाधा भी दूर हो जाती है। इसलिए इस दिन माता मंगला गौरी यानी पार्वती की पूजा करके मंगला गौरी की कथा सुनना चाहिए।
ज्योतिषों के अनुसार सावन में मंगलवार को आने वाले सभी व्रत-उपवास मनुष्य के सुख-सौभाग्य में वृद्धि करते हैं। अपने पति व संतान की लंबी उम्र एवं सुखी जीवन की कामना के लिए महिलाएं खासतौर पर इस व्रत को करती हैं। सौभाग्य से जुड़े होने की वजह से नवविवाहित दुल्हनें भी इस व्रत को करती हैं। कितना खास है ये व्रत और क्या है पूजा विधि आइए जानते हैं...
व्रत विधि
- इस व्रत के दौरान ब्रह्म मुहूर्त में जल्दी उठें।
- नित्य कर्मों से निवृत्त होकर साफ-सुथरे धुले हुए अथवा कोरे (नवीन) वस्त्र धारण कर व्रत करना चाहिए।
- इस व्रत में एक ही समय अन्न ग्रहण करके पूरे दिन मां पार्वती की आराधना की जाती है।
- मां मंगला गौरी (पार्वतीजी) का एक चित्र अथवा प्रतिमा लें। फिर "मम पुत्रापौत्रासौभाग्यवृद्धये श्रीमंगलागौरीप्रीत्यर्थं पंचवर्षपर्यन्तं मंगलागौरीव्रतमहं करिष्ये’ इस मंत्र के साथ व्रत करने का संकल्प लेना चाहिए।
पूजा विधि
मां की पूजा करने के बाद उनको (सभी वस्तुएं सोलह की संख्या में होनी चाहिए) 16 मालाएं, लौंग, सुपारी, इलायची, फल, पान, लड्डू, सुहाग की सामग्री, 16 चुड़ियां और मिठाई चढ़ाई जाती है। इसके अलावा 5 प्रकार के सूखे मेवे, 7 प्रकार के अनाज-धान्य (जिसमें गेहूं, उड़द, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर) आदि होना चाहिए। पूजा के बाद मंगला गौरी की कथा सुननी चाहिए।