Magh Gupt Navratri 2024: आज से शुरू हो रही है गुप्त नवरात्रि, नवदुर्गा नहीं इन महाविद्याओं की होगी पूजा

  • आज से शुरू होकर 18 फरवरी तक रहेगी गुप्त नवरात्रि
  • इसे तंत्र विद्या सीखने वालों के लिए खास है ये नवरात्रि
  • पूजा के दौरान दुर्गा सप्तशती का पाठ जरूर करना चाहिए

Bhaskar Hindi
Update: 2024-02-10 06:12 GMT

डिजिटल डेस्क, भोपाल। नवरात्रि को मां दुर्गा की आराधना का सबसे बड़ा पर्व माना जाता है। इनमें दो बार सामान्य नवरात्रि के बारे में लगभग सभी जानते हैं। लेकिन गुप्त नवरात्रि के बारे में कम लोगों को जानकारी होती है, जो कि माघ और आषाढ़ में मनाई जाती है। इस साल माघ गुप्त नवरात्रि की शुरुआत 10 फरवरी 2024, शनिवार यानि कि आज से हो रही है और इनका समापन 18 फरवरी को होगा।

हिंदू पंचांग के अनुसार, गुप्त नवरात्रि माघ महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवमी तक चलती है। इन नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ गुप्त रूपों की पूजा-उपासना की जाती है। यह सामान्य नवरात्रि से काफी अलग होती हैं। इसे तंत्र विद्या सीखने वाले और मां दुर्गा से मुंहमांगी मनोकामना वालों के लिए खास माना गया है। आइए जानते हैं गुप्त नवरात्रि का घटस्थापना मुहूर्त और पूजा की विधि...

घटस्थापना मुहूर्त

घटस्थापना का मुहूर्त: 10 फरवरी, शनिवार सुबह 8 बजकर 45 मिनट से सुबह 10 बजकर 10 मिनट तक

घटस्थापना अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12 बजकर 13 मिनट से दोपहर 12 बजकर 58 मिनट तक

देवी के इन रूपों की होगी आराधना

मां दुर्गा के नौ रूप शैल पुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्माण्डा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री माता के बारे में लगभग सभी जानते हैं। लेकिन गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा की दस महाविद्याओं काली, तारा, छिन्नमस्ता, षोडशी, भुवनेश्वरी, त्रिपुर भैरवी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी व कमला की गुप्त तरीके से पूजा-उपासना की जाती है।

गुप्त नवरात्रि पूजन विधि

चैत्र और शारदीय नवरात्रि की तरह इस नवरात्रि में भी देवी की स्थापना की जाती है।

पूरे नौ दिनों तक देवी की महाविद्याओं की आराधना होती है।

तांत्रिक और अघोरी गुप्त नवरात्रि के दौरान आधी रात में मां दुर्गा की पूजा करते हैं।

मां को लौंग और बताशे का भोग लगाया जाता है।

मां दुर्गा को मूर्ति स्थापित के दौरान लाल रंग का सिन्दूर और सुनहरे गोटे वाली लाल रंग की चुनरी भी चढ़ाई जाती है।

मां को श्रृंगार का सामान भी अर्पित किया जाता है।

पूजा के दौरान दुर्गा सप्तशती का पाठ जरूर करें।

मां को पानी वाला नारियल, केले, सेब, तिल के लडडू, बताशे और खील अर्पित करें।

सरसों के तेल से दिया जलाकर 'ॐ दुं दुर्गायै नमः' मंत्र का जाप करें।

डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।

Tags:    

Similar News