Kurma Jayanti 2024: जानिए भगवान विष्णु ने क्यों लिया कछुए का अवतार? क्या है मुहूर्त और किस विधि से करें पूजा?

  • भगवान विष्णु का दूसरा अवतार माना जाता है कूर्म
  • मंदराचल पर्वत उठाने लिया था कछुए का अवतार
  • इस दिन भगवान विष्णु के कूर्म अवतार की पूजा होती है

Bhaskar Hindi
Update: 2024-05-22 07:24 GMT

डिजिटल डेस्क, भोपाल। हर साल वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि (Vaishakh Purnima) को कूर्म जयंती (Kurma Jayanti) मनाई जाती है। इस दिन का संबंध भगवान विष्णु के कूर्म यानी कच्छप अवतार से है, जो कि भगवान विष्णु का दूसरा अवतार माना जाता है। धार्मित मान्यताओं के अनुसार, सतयुग में समुद्र मंथन के वक्त भगवान विष्णु ने इसी दिन विशाल मंदराचल पर्वत उठाने के लिए कछुए का अवतार लिया था।

इस दिन भगवान विष्णु के कूर्म यानी कछुए के अवतार की पूजा की जाती है। वहीं इस साल कूर्म जयंती 23 मई, 2024 गुरुवार को पड़ रही है। माना जाता है कि, कूर्म जयंती के दिन भगवान विष्णु की पूरे विधि-विधान से पूजा करने से सभी मनोकामनाए पूरी होती हैं। साथ ही पितरों को भी मोक्ष की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं इस दिन का महत्व और पूजा की विधि...

भगवान विष्णु ने क्यों लिया था कछुए का अवतार?

पैराणिक कथा के अनुसार, सतयुग में समुद्र मंथन किया जाना था, लेकिन देवताओं को कोई ऐसी चीज नहीं मिल रही थी जो ठोस हो और पानी में डूबे भी नहीं। ऐसे में भगवान विष्णु ने कछुए का अवतार लिया और अपनी पीठ पर विशाल मंदराचल पर्वत को उठा लिया। जिसके बाद ही समुद्र मंथन संभव हो सका। क्योंकि, भगवान विष्णु की सहायता के बिना समुद्र मंथन संभव नहीं हो पाता।

पूजा का शुभ मुहूर्त

वैशाख पूर्णिमा तिथि आरंभ: 22 मई 2024, बुधवार की शाम 06 बजकर 47 मिनट से

वैशाख पूर्णिमा तिथ समापन: 23 मई 2024, गुरुवार की रात 07 बजकर 22 मिनट तक

पूजा का शुभ मुहूर्त: 23 मई की शाम 04 बजकर 25 मिनट से रात 07 बजकर 10 बजे तक

इस विधि से करें पूजा

- इस दिन ब्रम्हा मुहूर्त में उठकर स्नानादि से निवृत्त हों और साफ वस्त्र धारण करें।

- इसके बाद भगवान सूर्य को जल चढ़ाकर व्रत का संकल्प लें।

- अब घर के मंदिर की सफाई करें और गंगा जल का छिड़काव करें।

- भगवान विष्णु की आराधना करें।

- शाम को शुभ मुहूर्त में घर की पूर्व दिशा में कलश स्थापित करें।

- इसके बाद भगवान के कूर्म अवतार की तस्वीर या प्रतिमा रखें।

- इसके बाद दीपक जलाएं और श्री हरि को सिंदूर और लाल फूल चढ़ाएं।

- भगवान को तुलसीदल के साथ मिष्ठान और पकवान का भोग लगाएं।

- अंत में रेवड़ियों का भोग लगाएं और भगवान की आरती करें।

इस मंत्र का करें जाप

पूजा के दौरान किसी माला से ॐ आं ह्रीं क्रों कूर्मसनाय नम: मंत्र का जाप करें।

डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग- अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।

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