Pradosh Vrat: प्रदोष व्रत करने से जीवन में आती है सुख समृद्धि, जानिए मुहूर्त और पूजा विधि

  • यह व्रत भगवान शिव को समर्पित है
  • व्रत से जीवन में सुख समृद्धि आती है
  • इसके प्रभाव से इच्छाएं पूरी होती हैं

Bhaskar Hindi
Update: 2024-07-18 12:02 GMT

डिजिटल डेस्क, भोपाल। हर माह के शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष तिथि का व्रत किया जाता है। यह व्रत भगवान शिव को समर्पित है। ऐसी मान्यता है कि, प्रदोष व्रत करने से जीवन में सुख समृद्धि बनी रहती है। इस व्रत के करने से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है। आषाढ़ महीने में त्रयोदशी तिथि को लेकर असमंसज की स्थिति है, ऐसे में कुछ लोगों ने 18 तो वहीं कुछ लोग 19 जुलाई को यह व्रत रख रहे हैं।

बता दें कि, दिन के हिसाब से व्रत का नाम बदल जाता है, ऐसे में जो आज व्रत पूजा कर रहे हैं वे गुरू प्रदोष और जो कल व्रत रखने वाले हैं वह शुक्र प्रदोष की पूजा करेंगे। लेकिन, सही तिथि कौन सी है और किस दिन पूजा करना शुभ होगा। यह इस खबर में जानिए...

तिथि कब से कब तक

त्रयो​दशी तिथि आरंभ: 18 जुलाई 2024, गुरुवार की रात 8 बजकर 45 मिनट से

त्रयो​दशी तिथि समापन: 19 जुलाई 2024, शुक्रवार की शाम में 7 बजकर 42 मिनट तक

कब करें पूजा

चूंकि, शास्त्रानुसार प्रदोषकाल सूर्यास्त से 2 घड़ी (48 मिनट) तक रहता है। कुछ विद्वान मतांतर से इसे सूर्यास्त से 2 घड़ी पूर्व व सूर्यास्त से 2 घड़ी पश्चात् तक भी मान्यता देते हैं। शुक्रवार के दिन सूर्यास्त शाम 7 बजकर 20 मिनट पर होगा। ऐसे में य​दि आप हमेशा प्रदोष व्रत की पूजा सूर्यास्त से 2 घड़ी पूर्व करते हैं तो आपके लिए शुक्रवार का दिन शुभ होगा। क्योंकि, इस पूरे दिन त्रयोदशी तिथि रहने वाली है। वहीं यदि आप प्रदोष काल सूर्यास्त से 2 घड़ी पश्चात् मानते हैं तो आपको आज पूजा करना शुभ रहेगा।

व्रत विधि

- त्रयोदशी के दिन प्रदोष काल में यानी सुर्यास्त से तीन घड़ी पूर्व, शिव जी का पूजन करना चाहिए।

- संध्या काल में पुन: स्नान कर स्वच्छ श्वेत वस्त्र धारण कर लें।

- पूजा स्थल अथवा पूजा गृह को शुद्ध कर लें।

- यदि व्रती चाहे तो शिव मंदिर में भी जा कर पूजा कर सकते हैं।

- पांच रंगों से रंगोली बनाकर मंडप तैयार करें।

- पूजन की सभी सामग्री एकत्रित कर लें।

- कलश अथवा लोटे में शुद्ध जल भर लें।

- कुश के आसन पर बैठ कर शिव जी की पूजा विधि-विधान से करें। “ऊँ नम: शिवाय ” कहते हुए शिव जी को जल अर्पित करें।

डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।

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