कार्तिक मास आरंभ: जानें क्यों पड़ा इस माह का नाम कार्तिक ? किन बातों का रखना होगा ध्यान
दान, उपासना, हवन आदि करने के विशेष महत्व है
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू पचांग का आठवां महीना कार्तिक मास कई मायनों में खास होता है। कार्तिक को सबसे उत्तम और पवित्र माना गया है। पुराणों के अनुसार इस मास में भगवान विष्णु नारायण रूप में जल में निवास करते हैं। इसलिए कार्तिक के महीने में स्नान दान और उपवास करने से सभी कष्टों से मुक्ति बहुत आसानी से मिल जाती है। इस माह की शुरुआत 29 अक्टूबर, रविवार यानि कि आज से होने जा रहा है और इसका समापन 27 नवंबर 2023, सोमवार को होगा।
हिन्दू पंचांग के इस माह का नाम कार्तिक क्यों पड़ा, इसके पीछे भी कारण है। सकंद पुराण के अनुसार, भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र कार्तिकेय ने तारकासुर का वध भी इसी माह में किया था, इसके लिए इसका नाम कार्तिक पड़ा। इस मास में पवित्र नदियों में स्नान, दान, उपासना, हवन आदि करने के विशेष महत्व है। आइए जानते हैं इस माह का महत्व और ध्यान रखने वाली विशेष बातें...
-:इस माह में इन बातों का रखें विशेष ध्यान:-
तुलसी पूजा और सेवन
हर महीने तुलसी का सेवन व पूजा करना श्रेयस्कर होता है, लेकिन कार्तिक मास में तुलसी पूजा का महत्व कई गुना अधिक माना गया है।
दीपदान से मिलेगा पुण्य
कार्तिक मास में सबसे महत्वपूर्ण काम दीपदान बताया गया है। इस महीने में नदी, पोखर, तालाब आदि में दीपदान किया जाता है। इससे पुण्य की प्राप्ति होती है।
जमीन पर सोने से आएगी सात्विकता
भूमि पर सोने से मन में सात्विकता का भाव आता है तथा अन्य विकार भी समाप्त हो जाते हैं। इसलिए इस माह में जमीन पर सोना अच्छा माना गया है।
शरीर पर तेल लगाना वर्जित
ऐसा कहा जाता है कि, कार्तिक महीने में शरीर पर तेल लगाना वर्जित माना गया है, हालांकि, नरक चतुर्दशी पर कोई रोक नहीं है।
ये चीजें ना खाएं
कार्तिक महीने में द्विदलन (फलीदार चीजें व दालें) अर्थात उड़द, मूंग, मसूर, चना, मटर, राई आदि नहीं खाना चाहिए।
तपस्वियों के समान व्यवहार
व्रती (व्रत करने वाला) को चाहिए कि वह तपस्वियों के समान व्यवहार करें। अर्थात कम बोले, किसी की निंदा या विवाद न करे, मन पर संयम रखें आदि।
ब्रह्मचर्य का पालन करें
कार्तिक मास में ब्रह्मचर्य का पालन जरूरी है। इसका पालन नहीं करने पर पति-पत्नी को दोष लगता है और इसके अशुभ फल भी प्राप्त होते हैं।
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