कालाष्टमी व्रत: जीवन में आने वाली समस्याओं को दूर करता है ये व्रत, पूजा में इन बातों का रखें ध्यान
भैरव भक्तों के लिए कालाष्टमी व्रत बेहद महत्वपूर्ण है
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हर माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी मनाई जाती है। इस दिन भगवान शिव के रौद्र स्वरूप काल भैरव देव की पूजा की जाती है। साथ ही विशेष कार्य में सिद्धि प्राप्ति हेतु साधक व्रत भी रखते हैं। कार्तिक माह में कालाष्टमी व्रत 05 नवंबर, रविवार को पड़ रहा है। इसे भैरवाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है।
मान्यता है कि, कालाष्टमी का व्रत रखने वाले जातक के जीवन में आने वाली समस्याएं समाप्त हो जाती हैं। इतना ही नहीं इस व्रत से जातक को मृत्यु लोक में सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। भगवान भैरव के भक्तों के लिए कालाष्टमी व्रत बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। आइए जानते हैं इस व्रत की विधि और पूजा की शुभ समय...
तिथि कब से कब तक
तिथि आरंभ: 5 नवंबर रात 12 बजकर 59 मिनट से
तिथि समापन: 06 नवंबर देर रात 03 बजकर 18 मिनट तक
इन बातों का रखें ध्यान
इस व्रत की पूजा रात के समय की जाती है क्योंकि भैरव तांत्रिकों के देवता माने गए हैं। इस दिन मां बंगलामुखी का अनुष्ठान भी किया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि, इस दिन काले कुत्ते को भोजन जरूर कराना चाहिए। साथ ही अपनी क्षमता अनुसार गरीबों में अन्न और वस्त्र का दान करना चाहिए।
ऐसे करें पूजा
- कालाष्टमी के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान आदि कर साफ वस्त्र पहनें।
- पितरों का तर्पण और श्राद्ध करें।
- इसके बाद व्रत का संकल्प लें।
- इस दिन काल भैरव की पूजा कर उन्हें जल अर्पित करना चाहिए।
- पूजा के दौरान भैरव कथा का पाठ करना चाहिए।
- भगवान शिव-पार्वती की पूजा का भी इस दिन विधान है।
- काल भैरव की पूजा में काले तिल, धूप, दीप, गंध, उड़द आदि का इस्तेमाल करें
भैरव जी की पूजा के दौरान इस मंत्र का उच्चारण करें।
अतिक्रूर महाकाय कल्पान्त दहनोपम्,
भैरव नमस्तुभ्यं अनुज्ञा दातुमर्हसि!!
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