इंदिरा एकादशी 2023: इस व्रत से मिलेगी पितरों की आत्मा को मुक्ति, जानें मुहूर्त और पूजा विधि
एकादशी व्रत से पूर्वजों का भरपूर आशीर्वाद भी मिलता है
डिजिटल डेस्क, भोपाल। हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को इंदिरा एकादशी नाम से जाना जाता है। इस वर्ष यह एकादशी 10 अक्टूबर, मंगलवार को पड़ रही है। इस वैसे तो साल में कुल 24 एकादशी पड़ती है। लेकिन ये एकादशी पितृपक्ष के दौरान आती है इसलिए इसका महत्व और बढ़ जाता है। मान्यता है कि इंदिरा एकादशी का व्रत करने से पितरों को श्राद्ध करने का शुभ फल मिलता है। वहीं इस एकादशी पर व्रत रखने से पितरों की आत्मा को मुक्ति मिलती है।
ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि, जो भी एकादशी का व्रत करता है उससे भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और साथ ही आप को अपने पूर्वजों का भरपूर आशीर्वाद भी मिलता है। ऐसा मानते हैं कि इस दिन ब्राह्मणों को श्रद्धापूर्वक घर बुलाकर भोजन करवाने के अनुसार दान-पुण्य करने से हमारे पूर्वज हमसे प्रसन्न होते हैं। आइए जानते हैं इस एकादशी का महत्व, मुहूर्त और पूजा की विधि...
इंदिरा एकादशी का महत्व
पुराणों के अनुसार एकादशी व्रत का संबंध भगवान विष्णु से है। कहा जाता है कि इंदिरा एकादशी का व्रत रखने वाले लोगों की मृत्यु के बाद बैकुंठ धाम में स्थान मिलता है। इसके साथ ही साथ ही पितरों को मुक्ति मिल जाती है। मान्यता के अनुसार एकमात्र इंदिरा एकादशी का व्रत रखने से लोगों को सदियों की तपस्या, कन्यादान और अन्य पुण्यों का बराबर फल मिलता है। इसलिए इस व्रत को रखना बेहत खास माना जाता है।
मुहूर्त
एकादशी तिथि आरंभ: 9 अक्टूबर सोमबर को 12:36 पी एम बजे से
एकादशी तिथि समापन: 10 अक्टूबर मंगल 03:08 पी एम बजे तक
उदयातिथि के अनुसार: 10 अक्टूबर मंगलवार को रखा जाएगा
पूजा विधि
इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
घर के मंदिर में पूजा-पाठ करें दोपहर में नदी में जल दान करें।
भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें।
भगवान विष्णु को पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें।
अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें।
भगवान की आरती करें।
डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष, वास्तुशास्त्री) की सलाह जरूर लें।