Holi 2024: इस शुभ मुहूर्त में करें होलिका दहन, जानें पूजन सामग्री और विधि के बारे में
- 24 मार्च 2024, रविवार की रात होलिका दहन होगा
- इस वर्ष होलिका दहन की शाम भद्रा का साया है
- सर्व श्रेष्ठ मुहूर्त रात 11 बजकर 14 मिनट से शुरू है
डिजिटल डेस्क, भोपाल। रंगों का पर्व यानि कि होली (Holi) के अब कुछ ही दिन शेष हैं। लेकिन, बाजार अभी से रंग और गुलाल के साथ गुलजार नजर आने लगे हैं। हिन्दू पंचांग के अनुसार हर साल फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को होलिका दहन (Holika Dahan) किया जाता है। ये पूजा शाम के समय की जाती है। इस दिन आस-पास के लोग इकट्ठा होकर होलिका जलाते हैं। इस वर्ष 24 मार्च 2024, रविवार की रात होलिका दहन किया जाएगा। वहीं इसके एक दिन बार यानि कि सोमवार को होली का पर्व मनाया जाएगा।
बता दें कि, होली का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत के तौर पर मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि होलिका दहन की आग में अपने अहंकार और बुराई को भस्म कर देना चाहिए। आइए जानते हैं इस पर्व का महत्व, मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में...
होलिका दहन शुभ मुहूर्त
ज्योतिषाचार्य के अनुसार, चूंकि होलिका दहन भद्राकाल काल में करना शुभ नहीं माना जाता। वहीं इस वर्ष होलिका दहन की शाम भद्रा का साया है। भद्राकाल रात 11 बजकर 13 मिनट तक रहेगा। ऐसे में होलिका दहन का सर्व श्रेष्ठ मुहूर्त रात 11 बजकर 14 मिनट से 12 बजकर 20 मिनट तक रहेगा।
होलिका दहन से पूर्व प्रदोष काल में होलिका की पूजा की जाती है। इसके लिए मुहूर्त 24 मार्च शाम 6 बजकर 35 मिनट से रात 9 बजकर 31 मिनट तक रहेगा। इस दौरान होलिका माता की पूजा कर सकते हैं।
होलिका पूजन सामग्री
एक लोटा जल, चावल, गन्ध, पुष्प, माला, रोली, कच्चा सूत, गुड़, साबुत हल्दी, मूंग, बताशे, गुलाल, नारियल, गेंहू की बालियां आदि।
इस विधि से करें पूजा
- होलिका दहन से पूर्व होलिका के पास पूर्व या उत्तर दिशा में मुख करके बैठें।
- इसके बाद भगवान श्री गणेश और माता गौरी की पूजा करनी चाहिए।
- इसके बाद होलिका के लिए, ओम होलिकायै नम: और भक्त प्रह्लाद के लिए, ओम प्रह्लादाय नम: व भगवान नृसिंह के लिए ओम नृसिंहाय नम: का जाप करें।
- होलिका दहन के समय अग्नि में गेंहू की बालियों को सेंकें और फिर उनको खा लें।
- इसके बाद बड़गुल्ले की 4 मालाएं लें और इन्हें पितृ, हनुमान जी, शीतला माता और परिवार के लिए चढ़ाएं।
- अब होलिका की तीन या 7 बार परिक्रमा करें।
- ध्यान रहे परिक्रमा करते समय कच्चा सूत होलिका के चारों ओर लपेटा जाता है।
- इसके बाद लोटे का जल तथा अन्य पूजा सामग्री होलिका को समर्पित करें।
- अब धूप, गंध, पुष्प आदि से होलिका की पूजा करें और अपनी मनोकामनाएं कहें। साथ ही गलतियों की क्षमा मांगे।
डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग- अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।