ईद-अल-अजह 2023: जानें इस वर्ष कब मनाई जाएगी बकरीद, क्या है इसका महत्व
डिजिटल डेस्क,भोपाल। इसलाम धर्म में ईद-अल-फित्र के बाद दूसरा सबसे बढ़ा पर्व ईद - अल -अजह होता है। इस साल बकरीद 28 जुलाई को मनाई जाएगी। इस ईद को बकरीद के नाम से भी जाना जाता है। यह त्योहार बलिदान का प्रतीक माना जाता है, जिस वजह से बकरों की कुर्बानी दी जाती है। मुस्लिम मान्यताओं के मुताबिक, बकरा ईद को मीठी यानी ईद-अल-फित्र के दो महीने के बाद इस्लामिक कैलेंडर के सबसे आखिरी महीने में मनाया जाता है।
बता दें कि, चांद दिखने के साथ ही बकरीद या ईद उल-अजहा की तारीख की घोषणा की जाती है। यानी कि, जिस दिन चांद दिखता है उसके दसवें दिन बकरीद का पर्व मनाया जाता है। फिलहाल, बकरीद के 5 दिन ही शेष हैं। आइए जानते है बकरीद पर्व के बारे में...
क्यों दी जाती है बकरों की कुर्बानी?
बकरीद में बकरों की कुर्बानी के इतिहास की जड़े इस्लामिक मान्यताओं से जुड़ी हुई है। मान्यताओं के अनुसार, जब पैगंबर हजरत इब्राहिम ने खुद को अल्लाह की इबादत के लिए समर्पित कर दिया था। उनकी इबादत से खुश होकर अल्लाह ने हजरत मोहम्मद की परीक्षा ली। अल्लाह ने इब्राहिम से उनकी सबसे बेशकीमती चीज की कुर्बानी मांगी। जिस पर इब्राहिम ने अपनी सबसे बेशकीमती चीज अपने बेटे की कुर्बानी देने का फैसला लिया। जिसे देख अल्लाह बेहद खुश हुए और उन्होंने इब्राहिम के बेटे की जगह एक बकरे की कुर्बानी दिलवा दी। अल्लाह पैगंबर हजरत इब्राहिम मोहम्मद की इबादत से बेहद खुश हुए जिसके बाद से ही ईद-उल-अजह पर बकरों की कुर्बानी देने की परंपरा शुरू हुई थी।
जानिए बकरीद के महत्व के बारे में
बकरीद को पूरे देशभर में धूम धाम के साथ मनाया जाता है। बकरीद के दिन मुस्लिम धर्म के लोग नए कपड़े पहनते हैं और मस्जिद में जाकर नमाज अदा करते हैं। इस पर्व में हर मुस्लिम घर में कुर्बानी दी जाती है और कुर्बानी को तीन हिस्से में बांट दिया जाता है। जिसमें पहले हिस्से को रिश्तेदारों और दोस्तों के लिए होता है, दूसरे हिस्से को गरीब व जरूरतमंदों को दिया जाता है और तीसरा हिस्सा परिवार के लिए होता है।