क्रिसमस 2023: 25 दिसंबर को ही क्यों मनाया जाता है क्रिसमस? जानें इस पर्व से जुड़ी खास बातें

5 जनवरी तक चलता है यह पर्व

Bhaskar Hindi
Update: 2023-12-25 12:57 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। क्रिश्चियन समुदाय के लोग हर साल 25 दिसंबर को क्रिसमस का त्यौहार मनाते हैं। इसकी तैयारियां काफी पहले से ही शुरू हो जाती हैं और क्रिसमस के पहले 24 दिसंबर को लोग ईस्टर ईव मनाते हैं। इसके बाद रात को घड़ी में 12 बजते ही देश-दुनिया में इसका सेली​ब्रेशन शुरू हो जाता है। लोग 25 दिसंबर से घरों में पार्टी करते हैं, जो कि 12 दिनों तक चलती है। 25 दिसंबर से शुरु होकर क्रिसमस 5 जनवरी तक चलता है।

खासकर यूरोप में 12 दिनों तक मनाए जाने वाले इस फेस्टिवल को ट्वेल्थ नाइट के नाम से जाना जाता है। क्रिसमस के दिन लोग एक-दूसरे के साथ पार्टी करते हैं, घूमते हैं और चर्च में प्रेयर करते हैं। ये ईसाइयों का सबसे बड़ा त्यौहार है। इसी दिन प्रभु ईसा मसीह या जीसस क्राइस्ट का जन्म हुआ था इसलिए इसे बड़ा दिन भी कहते हैं।

क्रिसमस की शुरुआत चौथी सदी में मानी जाती है। इससे पूर्व प्रभु यीशु के अनुयायी या फाॅलोअर्स इस दिन को उनके जन्म दिवस को एक सामान्य त्योहार रूप में ही मनाते हैं। हालांकि बाइबल में जीसस की कोई बर्थ डेट नहीं दी गई है, ऐसे प्रमाण उपलब्ध हैं जिनसे स्पष्ट है कि यीशु का जन्म 25 दिसंबर को नहीं, अक्टूबर माह में हुआ था। लेकिन फिर भी 25 दिसंबर को ही हर साल क्रिसमस मनाया जाता है।

इस तारीख को लेकर कई बार विवाद भी हुआ, लेकिन 336 ई. पूर्व में रोमन के पहले ईसाई रोमन सम्राट के समय में सबसे पहले क्रिसमस 25 दिसंबर को मनाया गया। इसके कुछ सालों बाद पोप जुलियस ने आधिकारिक तौर पर जीसस के जन्म को 25 दिसंबर को ही मनाने का ऐलान किया। ऐसा माना जाता है कि, यीशु के संसार में आने और उनके संसार से जाने के सैकड़ों साल बाद 25 दिसंबर को क्रिसमस का त्योहार मनाना प्रारंभ किया गया।

क्रिसमस ट्री की कहानी

इस दिन क्रिसमस ट्री को सजाने की भी परंपरा है। यीशु के जन्म के बाद सभी उन्हें देखने आए। जिस दिन यह हुआ उसी दिन की याद में क्रिसमस के मौके पर सदाबहार फर के पेड़ को सजाया जाता है। क्रिसमस ट्री की शुरुआत उत्तरी यूरोप में हजारों सालों पहले हुई। उस दौरान "Fir" नाम के पेड़ को सजाकर इस विंटर फेस्टिवल को मनाया जाता था। इसके अलावा लोग चेरी के पेड़ की टहनियों को भी क्रिसमस के वक्त सजाया करते थे। जो लोग इन पौधों को खरीद नहीं पाते थे वो लकड़ी को पिरामिड का शेप देकर क्रिसमस मनाया करते थे।

धीरे-धीरे क्रिसमस ट्री का चलन हर जगह बढ़ा और अब हर कोई क्रिसमस के मौके पर इस पेड़ को अपने घर लाता है और इसे कैंडी, चॉकलेट्स, खिलौने, लाइट्स, बेल्स और गिफ्ट्स से सजाता है। "FIR" नाम के पेड़ को सजाकर इस विंटर फेस्टिवल को मनाया जाता है। क्रिसमस ट्री को सजाने की शुरुआत अंग्रेज धर्मप्रचारक बोनिफेंस टुयो ने की थी।

प्रचलित कहानियों के अनुसार चौथी शताब्दी में एशिया माइनर की एक जगह मायरा (अब तुर्की) में सेंट निकोलस नाम का एक शख्स रहता था। जो बहुत अमीर था, लेकिन उनके माता-पिता का देहांत हो चुका था। वो हमेशा गरीबों की चुपके से मदद करता था। उन्हें सीक्रेट गिफ्ट देकर खुश करने की कोशिश करता रहता था।

एक दिन निकोलस को पता चला कि एक गरीब आदमी की तीन बेटियां है, जिनकी शादियों के लिए उसके पास बिल्कुल भी पैसा नहीं है। ये बात जान निकोलस इस शख्स की मदद करने पहुंचे। एक रात वो इस आदमी की घर की छत में लगी चिमनी के पास पहुंचे और वहां से सोने से भरा बैग डाल दिया। उस दौरान इस गरीब शख्स ने अपना मोजा सुखाने के लिए चिमनी में लगा रखा था। इस मोजे में अचानक सोने से भरा बैग उसके घर में गिरा। ऐसा एक बार नहीं बल्कि तीन बार हुआ। आखिरी बार में इस आदमी ने निकोलस ने देख लिया। निकोलस ने ये बात किसी को ना बताने के लिए कहा, लेकिन जल्द ही इस बात का शोर बाहर हुआ। उस दिन से जब भी किसी को कोई सीक्रेट गिफ्ट मिलता सभी को लगता कि ये निकोलस ने दिया। पूरी दुनिया में क्रिसमस के दिन मोजे में गिफ्ट देने यानी सीक्रेट सांता बनने का रिवाज है।

डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।

Tags:    

Similar News