छठ पूजा का दूसरा दिन: जानें इस दिन का महत्व, पौराणिक कथा और जानिए खरना के नियम

यह पर्व पूरे 4 दिनों तक चलता है

Bhaskar Hindi
Update: 2023-11-18 09:22 GMT

डिजिटल डेस्क, भोपाल। सूर्योपासना का महापर्व छठ इस वर्ष 17 नवंबर को नहाय-खाय के साथ शुरू हो चुका है। वहीं आज शनिवार को इस पर्व का दूसरा दिन है, जब भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया जाता है। इसके बाद पारण किया जाता है और इस पर्व का समापन होता है। यानि कि यह पर्व पूरे 4 दिनों तक चलता है। पर्व के दूसरे दिन को खरना कहा जात है। खरना का मतलब होता है शुद्धिकरण।

खरना काफी कठिन माना जाता है, क्योंकि इस दिन व्रतियों द्वारा निर्जला उपवास रखा जाता है। इस व्रत में व्रती चढ़ते सूर्य को छठ को अर्घ्य देते हैं। इस दिन प्रसाद के रूप में रोटी और खीर ग्रहण करने की परंपरा है। आइए जानते हैं इस दिन का महत्व और पूजा विधि...

दूसरे दिन का प्रसाद

छठ पूजा के दूसरे दिन प्रसाद के रूप में गन्ने के रस में बने हुए चावल की खीर के साथ दूध, चावल का पिट्ठा और घी चुपड़ी रोटी बनाई जाती है। इसमें नमक और शक्कर का उपयोग नहीं किया जाता है। इसके अलावा ठेकुआ, मालपुआ, खीर, खजूर, चावल का लड्डू और सूजी का हलवा आदि छठ मइया को प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है।

खरना के नियम

परंपरानुगत पूरे छठ पर्व को मनाने के दौरान साफ सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए। चारों दिन साफ सुथरे कपड़े पहनना चाहिए। खरना तैयार करते समय भी साफ कपड़े पहनें और पूजा के दौरान भी। इस दिन सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि, व्रत वाली महिलाएं तांबे के लोटे से ही अर्ध्य दें। इसके अलावा इस दिन जरुरतमंदों की सहायत की जाना चाहिए। इस दिन प्रसाद को जरुरतमंदों को देने से भी पुण्य मिलता है और छठी माता प्रसन्न होती हैं।

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