Masik Kalashtami 2024: अश्विन मास में कब रखें कालाष्टमी का व्रत? जानिए पूजा विधि और मुहूर्त
- अष्टमी तिथि 24 सिंतबर, मंगलवार को पड़ रही है
- कालभैरव की पूजा से शांति और समृद्धि आती है
- जीवन से सभी प्रकार की नकारात्मकता दूर होती है
डिजिटल डेस्क, भोपाल। हर माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन भगवान शंकर के रूद्र अवतार काल भैरव जी की पूजा की जाती है। इसे भोलेनाथ का उग्र रूप भी कहा जाता है और इन्हें तंत्र मंत्र का देवता भी कहा जाता है। इस तिथि को भैरवाष्टमी या कालाष्टमी के नाम से जाना जाता है। फिलहाल, अश्विन मास चल रहा है और इस महीने में अष्टमी तिथि 24 सिंतबर, मंगलवार को पड़ रही है।
ऐसी मान्यता है कि, जो भी व्यक्ति कालभैरव की पूजा सच्चे मन से करता है, उनके घर में शांति और समृद्धि आती है। साथ ही पापों का नाश होता है और उसके जीवन से सभी प्रकार की नकारात्मकता दूर हो जाती है। इसके अलावा काल भैरव की पूजा से कुंडली के ग्रह दोष भी दूर होते हैं। आइए जानते हैं इस व्रत की विधि और पूजा की शुभ समय...
तिथि कब से कब तक
कालाष्टमी तिथि आरंभ: 24 सितंबर की दोपहर 12 बजकर 38 मिनट से
कालाष्टमी तिथि समापन: 25 सितंबर की दोपहर 12 बजकर 10 मिनट तक
इस विधि से करें पूजा
- कालाष्टमी के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान आदि कर साफ वस्त्र पहनें।
- पितरों का तर्पण और श्राद्ध करें।
- इसके बाद व्रत का संकल्प लें।
- इस दिन काल भैरव की पूजा कर उन्हें जल अर्पित करना चाहिए।
- पूजा के दौरान भैरव कथा का पाठ करना चाहिए।
- भगवान शिव-पार्वती की पूजा का भी इस दिन विधान है।
- काल भैरव की पूजा में काले तिल, धूप, दीप, गंध, उड़द आदि का इस्तेमाल करें
इन मंत्रों का करें जाप
1. ॐ नमो भैरवाय स्वाहा।
2. ॐ भं भैरवाय आप्द्दुदारानाय भयं हन।
3. ॐ भं भैरवाय आप्द्दुदारानाय शत्रु नाशं कुरु।
4. ॐ भं भैरवाय आप्द्दुदारानाय तंत्र बाधाम नाशय नाशय।
5. ॐ भं भैरवाय आप्द्दुदारानाय कुमारं रक्ष रक्ष।
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