केरल साइबर पुलिस ने साइबर धोखाधड़ी को विफल किया
डिजिटल डेस्क, तिरुवनंतपुरम। केरल पुलिस की साइबर शाखा ने तत्काल कार्रवाई करते हुए एक साइबर धोखाधड़ी को सफलतापूर्वक रोका दिया है। दरअसल, एक व्यक्ति ने व्हाट्सएप वीडियो कॉल करके अपने दोस्त से कहा कि वह फंस गया है और उसे पैसों की जरूरत है। कोझिकोड स्थित एक वरिष्ठ नागरिक द्वारा अपने 'दोस्त' को किए गए ऑनलाइन भुगतान को साइबर शाखा ने रोक दिया। मामले की जांच कर रहे वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के.ई. बैजू ने सोमवार को मीडिया को बताया कि एक बड़ा गिरोह है, जो एआई का इस्तेमाल कर काम कर रहा है। पुलिस अधिकारी ने कहा कि हम अपनी तत्काल कार्रवाई के माध्यम से कोझिकोड निवासी द्वारा किए गए भुगतान को रोकने में सफल हुए हैं, जिसे व्हाट्सएप वीडियो कॉल पर अपने दोस्त को देखकर धोखा दिया गया था।
भले ही उसने पैसे ट्रांसफर कर दिए हों, अब हम भुगतान का पता लगाने में सक्षम हैं और भुगतान रोकने का निर्देश बैंक को भेज दिया गया है और उसका पैसा सुरक्षित है। पुलिस अधिकारी ने आगे कहा कि इसमें एक बड़ा गिरोह शामिल है। यह गिरोह पीड़ितों के सोशल मीडिया अकाउंट को हैक करने के लिए 'डीप फेथ' नामक ऐप का उपयोग करता है और एआई का उपयोग करके लोगों को धोखा देता है।
हमने उस अकाउंट की पहचान कर ली है, जिसमें पैसा ट्रांसफर किया गया था। भुगतान को रोक दिया गया है। एक बार जब हम बैंक को पूरी रिपोर्ट दे देंगे, तो बैंक पीड़ित को पैसा जारी कर देगा। कोल इंडिया लिमिटेड से सेवानिवृत्त वरिष्ठ नागरिक को एक अज्ञात नंबर से कुछ कॉल आईं लेकिन उन्होंने नहीं उठाया। बाद में, उन्हें उसी नंबर से एक व्हाट्सएप संदेश मिला जिसमें कहा गया था कि यह आंध्र प्रदेश का उनका पूर्व सहयोगी था, जो वर्तमान में दुबई में है।
इसके बाद कोझिकोड निवासी ने अपने दोस्त को फोन किया और उन्होंने बात की, बाद में एक व्हाट्सएप वीडियो कॉल आई और उसे यकीन हो गया कि यह उसका दोस्त था जिसने उससे 40,000 रुपये मांगे और उन्होंने जल्द ही पैसे ट्रांसफर कर दिए। लेकिन जल्द ही एक और कॉल आई। इस दौरान उनसे 35,000 रुपये और मांगे गए। पैसे भेजने से पहले उन्हें कुछ गड़बड़ महसूस हुई तो उन्होंने उससे कहा कि हां अभी पैसे भेजता हूं और कॉल काट दिया।
बाद में उसने अपने फोन से अपने उस दोस्त का नंबर लिया जिस पर वह कभी-कभार फोन करता था और फोन किया। उन्हें हैरानी तब हुई जब उनसे पैसे के बारे में पूछा गया तो दोनों चौंक गए और दोनों को एहसास हुआ कि यह फेक है और उनके साथ धोखा हुआ है। इसके बाद उन्होंने मामले की शिकायत की और नेशनल साइबर क्राइम डिवीजन ने कदम उठाया तथा शिकायत कोझिकोड साइबर पुलिस को सौंप दी। साइबर पुलिस ने तत्काल कार्रवाई की और पीड़ित को तब राहत मिली जब उसे बताया गया कि उसका पैसा सुरक्षित है।
--आईएएनएस
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