ऑन द स्पॉट: देश के पहले लाइट एण्ड साउण्ड प्रूफ राष्ट्रीय राजमार्ग की हालत हो गई खस्ता

  • हाइवे का निकला दम, घाट सेक्शन में भारी भरकम दरारें
  • जिले में नेशनल हाइवे की हर सडक़ की हालत खराब है।
  • सिवनी-लखनादौन के बीच नेशनल हाइवे 44 के कई हिस्से में सडक़ खराब है।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-09-04 13:08 GMT

डिजिटल डेस्क,सिवनी। सिवनी-नागपुर के बीच मोहगांव से खवासा तक बनाए गए देश के पहले लाइट एण्ड साउण्ड प्रूफ नेशनल हाइवे दम तोडऩे लगा है। इसकी सीसी सडक़ जगह-जगह से फट गई है। डामर वाली सडक़ भी कई स्थान पर उधड़ गई है और गड्ढे हो गए हैं।

दर्जनों स्थानों पर बड़ी-बड़ी भारी भरकम दरारें आ गई हैं। मोहगांव से खवासा तक लगभग 29 किमी लंबी इस सडक़ का दैनिक भास्कर ने जायजा लिया तो कुरई घाट सेक्शन वाले हिस्से में सीसी सडक़ सबसे ज्यादा क्षतिग्रस्त मिली।

अनेक स्थानों पर कई मीटर लंबी दरारें हो गई हैं। वन्य प्राणियों के लिए बनाए गए अण्डरपास पर पिलर के ऊपर स्पान के ज्वाइंट वाले हिस्से खराब हो गए हैं। लोहे के एंगल क्षतिग्रस्त हो गए हैं।

घाट सेक्शन में कई जगह खतरनाक स्थिति है, जहां कभी भी तेज रफ्तार वाहन हादसे का शिकार हो सकते हैं। दो-तीन स्थानों पर भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण(एनएचएआई) द्वारा सुधार कार्य भी प्रारंभ कर दिया गया है और सीसी सडक़ के क्षतिग्रस्त पैनल बदलने का काम किया जा रहा है।

साढ़े तीन साल पहले ही बनाई गई सडक़

पेंच कान्हा कारिडोर के कारण सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के अनुसार मोहगांव से खवासा तक की सडक़ का निर्माण लगभग साढ़े तीन साल पहले ही पूरा हुआ था। एनएच 44 के इस हिस्से के निर्माण में भू अधिग्रहण सहित लगभग 950 करोड़ रुपए की लागत आई थी।

सडक़ पर वन्य प्राणियों की आवाजाही के लिए 14 अण्डरपास का निर्माण किया गया है। सडक़ के दोनों ओर 21-21 किमी तक नॉइस बेरियर लगाए गए हैं, ताकि वन्य प्राणियों तक वाहनों की लाइट व साउण्ड न पहुंच सके। साढ़े तीन साल पहले बनी इस सडक़ की हालत जर्जर होती जा रही है। इससे निर्माण की गुणवत्ता को लेकर भी सवाल खड़े होने लगे हैं।

ओवरलोडिंग से दम तोड़ रहीं सडक़ें

मुख्यमंत्री मोहन यादव के निर्देश पर एक जुलाई से प्रदेश की सभी बॉर्डर चेकपोस्ट व सब चेकपोस्ट बंद कर दी गई हैं। इनमें महाराष्ट्र बॉर्डर से लगे खवासा के पास मेटेवानी स्थित इंटीग्रेटेड मध्यप्रदेश बॉर्डर चेकपोस्ट भी शामिल है।

चेकपोस्ट के बंद होने के चलते ट्रक-कंटेनर आदि भारी वाहनों में जमकर ओवरलोडिंग होने लगा है। इसका सबसे बुरा असर सडक़ों पर पड़ रहा है। जुलाई-अगस्त माह में ही मोहगांव-खवासा सडक़ की सबसे ज्यादा दुर्गति हुई है।

इसके पीछे इस बार हुई ज्यादा बारिश को कारण माना ही जा रहा है, साथ ही ओवरलोडिंग को भी इससे जोडक़र देखा जा रहा है। मेटेवानी स्थित बॉर्डर चेकपोस्ट पर वाहनों की तौल की सुविधा भी थी और हर वाहन की जांच होती थी।

अब मेटेवानी व खवासा के बीच रोड सेफ्टी एंड इंफोर्समेंट चेक प्वाइंट बनाकर एक-दो घंटे वाहनों की जांच की खानापूर्ति परिवहन विभाग द्वारा की जा रही है, लेकिन ओवरलोडिंग की जांच पूरी तरह से बंद है, जिसके चलते जमकर ओवरलोडिंग की जा रही है।

हर हाइवे की हालत खराब

जिले में नेशनल हाइवे की हर सडक़ की हालत खराब है। नेशनल हाइवे 347 के सिवनी-चौरई के बीच की जर्जर सडक़ पर पेंचवर्क कर बड़े-बड़े गड्ढों का चलने लायक पिछले माह ही बनाया गया है।

सिवनी-लखनादौन के बीच नेशनल हाइवे 44 के कई हिस्से में सडक़ खराब है। लखनादौन-जबलपुर के बीच भी हाइवे की सीसी सडक़ लगातार खराब हो रही है। इस सडक़ पर एक के बाद एक खराब हो रहे सीसी सडक़ के पैनल उखाडक़र नए सिरे से बनाए जा रहे हैं।

एमपीआरडीसी की सिवनी-बालाघाट सडक़ भी जगह-जगह से जर्जर हो गई है और गड्ढे हो गए हैं। सिवनी-मंडला स्टेट हाइवे की भी जगह-जगह हालत खस्ता है।

इनका कहना है

खवासा के पास मेटेवानी स्थित इंटीग्रेटेड मध्यप्रदेश बॉर्डर चेकपोस्ट बंद होने के बाद शासन के निर्देश पर सेफ्टी एंड इंफोर्समेंट चेक प्वाइंट बनाकर एक-दो घंटे प्रतिदिन वाहनों की जांच की जा रही है। फिलहाल ओवरलोडिंग की जांच नहीं हो पा रही है।

- देवेश बाथम, एआरटीओ, सिवनी

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