Seoni News: ड्रोन के पंखों के जरिए ख्वाबों को परवाज दे रहीं ड्रोन-दीदी

  • खेती में आधुनिकता को लेकर बढ़ रहा किसानों का रुझान
  • ड्रोन की स्वीकार्यता बढ़ाने के लिए इसकी छोटी-छोटी दिक्कतों को दूर करना जरूरी है।
  • लोग इसके लिए रुचि दिखा रहे हैं और उन्हें अपने खेतों में छिडक़ाव के लिए ले जा रहे हैं।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-10-03 13:46 GMT

Seoni News: कोई भी तकनीक शुरुआत में अटपटी भले लगे लेकिन बाद में वह सामान्य जीवन का अंग बन जाती है। तकनीक श्रम, समय और पैसों की बचत करने में महत्वपूर्ण मदद करती है। ऐसा ही एक बदलाव इन दिनों जिले की खेती में भी देखने को मिल रहा है। खेतों में दवा छिडक़ाव, उर्वरकों का छिडक़ाव जैसे कामों के लिए अब तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है। जिले में धीरे-धीरे ही सही लेकिन ऐसा परिवर्तन हो रहा है जो बाद में खेती की तरीकों को बदलने का माद्दा रखता है। हम बात कर रहे हैं खेती में ड्रोन के उपयोग की।

खेत में ड्रोन! कमाल है

अक्सर ड्रोन का आम जीवन में उपयोग शादी विवाह जैसे कार्यक्रमों में वीडियो शूटिंग के लिए किया जाता है। चुनाव आदि कार्यक्रमों, पुलिस द्वारा निगरानी आदि के लिए ड्रोन का उपयोग भी अब किया जाने लगा है लेकिन अब जिले में एक ऐसे काम के लिए भी ड्रोन तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है जिसे सोचना भी कुछ वक्त पहले तक असंभव लगता था। जिले में अब खेती के क्षेत्र में ड्रोन का प्रयोग किया जा रहा है। आने वाले दिनों में यह तकनीक परंपरागत खेती को बदलकर रख देगी।

जिले में 18 ड्रोन,जिसमें दो ड्रोन दीदी

जिले में इन दिनों खेती के काम में डेढ़ दर्जन ड्रोन का प्रयोग किया जा रहा है। खेती के काम में ड्रोन का उपयोग खरपतवार, नींदा नाशक के छिडक़ाव, माइक्रो न्यूटेंट के छिडक़ाव आदि के लिए किया जाता है। शुरुआत में इसका खास प्रतिसाद नहीं मिला लेकिन वक्त गुजरने के साथ अब यह स्वीकार्य होता जा रहा है। पुरुषों के साथ अब महिलाएं भी इस क्षेत्र में सक्रिय हो रही हैं। जिले में दो स्व-सहायता समूहों की दो महिलाएं अब ड्रोन दीदी के रूप में पहचानी जाती हैं।

बढ़ी है आय

शिव शक्ति महिला आजीविका स्व सहायता समूह से जुड़ी सुशीला सनोडिया निवासी गोपालगंज बताती हैं कि उन्हें सरकारी योजना के तहत चंबल फर्टिलाइजर्स एवं कैमिकल्स लि के माध्यम से दक्ष ड्रोन प्राप्त हुआ है। सुशीला का कहना है कि एक एकड़ रकबे में मात्र दस मिनट में स्प्रे किया जा सकता है जबकि इसके लिए कमसे कम दो-तीन मजदूर लगेंगे और करीब 1200-1500 रुपए की राशि खर्च होगी जबकि ड्रोन के जरिए मात्र तीन-चार सौ रुपए में ही कम समय में काम हो सकता है। ड्रोन की क्षमता 15 लीटर होती है। बड़ी फसल में भी आसानी से छिडक़ाव किया जा सकता है। लोग इसके लिए रुचि दिखा रहे हैं और उन्हें अपने खेतों में छिडक़ाव के लिए ले जा रहे हैं।

थोड़ी दिक्कतें

ड्रोन की स्वीकार्यता बढ़ाने के लिए इसकी छोटी-छोटी दिक्कतों को दूर करना जरूरी है। इसे लाना ले जाना आसान नहीं है। इसके साथ ही यह उस स्थान पर काम करता है जहां पर नेटवर्क हो। कई बार मौसम या दूरी के कारण नेटवर्क काम नहीं करता। ऐसे में ड्रोन उड़ नहीं सकता।

बढ़ रहा है चलन

उपसंचालक कृषि मोरिस नाथ का कहना है कि जिले में धीरे-धीरे ड्रोन के जरिए स्प्रे का चलन बढ़ता जा रहा है। केवलारी के पलारी क्षेत्र में हाल मेें ही बड़ी संख्या में किसानों ने स्प्रे कराया है। अब किसान इस तकनीक के प्रति आकर्षित हो रहे हैं। किसानों को इसके लिए प्रेरित भी किया जा रहा है। ड्रोन के लिए महिला किसानों को ५० प्रतिशत की छूट दी जा रही है। हाल में ही पांच किसानों को ड्रोन दिया गया है।

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