सिवनी: व्यापारियों को दे रहे छूट, किसानों की बनी मुसीबत, सिमरिया मंडी में किसानों को समय पर नहीं हो रहा भुगतान
- व्यापारियों को दे रहे छूट, किसानों की बनी मुसीबत
- सिमरिया मंडी में किसानों को समय पर नहीं हो रहा भुगतान
डिजिटल डेस्क, सिवनी। कृषि उपज मंडी सिमरिया में इस समय किसानों की परेशानियां बढ़ गई हैं। वहीं दूसरी और व्यापारियों को मानो पूरी छूट दे दी गई है। हालात यह है कि मंडी में बोली लगाने के बाद व्यापारी अपना अनाज शेड के नीचे काफी दिनों तक रख रहे हैं। जबकि बोली लगने के बाद अनाज का उठाव कर लेना चाहिए। यदि शेड के नीचे अनाज से भरी बोरियां हैं तो पैनाल्टी लगाई जाती है ,लेकिन यह भी नहीं हो रहा। वहीं किसानों का अनाज खुले में रहता है। मंंडी में दूसरी समस्या किसानों के भुगतान को लेकर है। अनाज तौल होने के बाद काफी दिनों तक भुगतान नहीं होता है।
आवक बढऩे के साथ सुविधा नहीं
मंडी में गेहूं की आवक बढ़ गई लेकिन सुविधाएं नहीं बढ़ाई गई हैं। पिछले एक पखवाड़े से किसानों को जल्द भुगतान के साथ साथ पर्ची देने में भी काफी समय लगाया जा रहा है। जबकि तौल के बाद कागजी कार्रवाई कर जल्द से जल्द से भुगतान होना चाहिए लेकिन ऐसा न होकर साते से आठ दिन का वक्त लग रहा है। वहीं मंडी में किसानों की शिकायतों के निराकरण के लिए कोई कर्मचारी कार्रवाई नहीं कर रहा। स्थिति यह है किसानों को आज आना कल आने का बहाना बताकर उन्हें परेशान किया जा रहा है।
किसानों बोले और बिगड़ रहे हालात
किसान शोभेलाल बघेल, जसवंत पटेल, मेघराज साहू और दिन्नू सिंह परते ने बताया कि मंडी में व्यवस्थाएं नहीं है। अनाज रखने के लिए उचित व्यवस्था तक नहीं की गई। यदि मौसम बिगड़ता तो अनाज भी सुरक्षित करना मुश्किल हो जाएगा। अनाज का भुगतान समय पर नहीं होता है। या तो व्यापारियों या फिर मंडी कर्मचारियों के चक्कर लगाने पड़ते हैं। मंडी परिसर में बोली के दौरान कोई भी जिम्मेदार कर्मचारी नहीं रहता है।
पंजीयन १५० का बोली लगाने आ रहे आधा दर्जन
कृषि उपज मंडी सिमरिया में अनाज की बोली लगाने कम ही व्यापारी आ रहे हैं। इस समय गेहूं की आवक बढ़ गई ,लेकिन किसानों को कम रेट में गेहूं बेचना पड़ रहा है। स्थिति यह है कि मंडी में करीब १५० व्यापारियों का पंजीयन है ,लेकिन बोली लगाने के लिए मात्र आधा दर्जन ही व्यापारी आ रहे हैं। यह समस्या काफी दिनों से है। कम संख्या में बोली लगाने आ रहे व्यापारियों के कारण किसानों को नुकसान हो रहा है। प्रतिस्पर्धा नहीं होने से कम रेट में गेहूं बिक रहा है।