मौसम के कारण वायरल संक्रमण: ओपीडी में एक सप्ताह में पहुंचे पांच हजार मरीज, वायरल फीवर के अधिक मरीज, लैब में भी जांच बढ़ी
- ओपीडी में एक सप्ताह में पहुंचे पांच हजार मरीज
- वायरल फीवर के अधिक मरीज
- लैब में भी जांच बढ़ी
डिजिटल डेस्क, सिवनी। जिले में वायरल फीवर असर इतना तेज है कि अस्पतालों और क्लीनिकों में मरीजों की भीड़ बढ़ गई है। जिला अस्पताल की स्थिति यह है कि यहां पर रोजाना ५०० से अधिक मरीज आ रहे हैं। एक सप्ताह के भीतर करीब ५ हजार मरीज पहुंच गए। इसमें से अधिक मरीज को वायरल फीवर वाले हैं। रोजाना स्थिति यह है कि मरीजों को परेशान होना पड़ता है। सबसे ज्यादा दिक्कत ओपीडी पर्ची और बाद में लैब में ब्लड और यूरिन सेंपल देने के लिए होती है।
ओपीडी में सात दिनों की स्थिति
तारीख मरीज
२१ ९१९
२२ ९६१
२३ ११६१
२४ ९३७
२५ ३६४
२६ ४८७
२७ ९४०
(आंकड़े इसी माह के)
इधर पांव पसार रहा डेंगूू
जिले में डेंगू धीरे-धीरे पांव पसार रहा है। मलेरिया विभाग के अनुसार अब तक १२२ मरीज डेंगू के मिल चुके हैं। हालांकि सरकारी आंकड़ों में एक भी मौत डेंगू से नहीं हुई है। कुछ लोगों मौत डेंगू से होना बताया गया है ,लेकिन मलेरिया विभाग का कहना है कि जिनकी मौत हुई है उनकी यदि एलाइजा टेस्ट में रिपोर्ट पॉजिटिव पाई जाती तब उसे डेंगू से मृत माना जाता। हालांकि यह तभी मान्य किया जाता जब डॉक्टर अपनी रिपोर्ट में मौत का कारण डेंगू होना बताता।
मौसम के कारण वायरल संक्रमण
डॉक्टरों के अनुसार बारिश के सीजन में आमतौर पर वायरल संक्रमण के अलावा उल्टी दस्त की समस्या आती है। पिछले कुछ दिनो से मौसम में बदलाव के कारण वायरल संक्रमण बढ़ा है। सबसे ज्यादा असर बच्चों में पड़ा है। बच्चों में संक्रमण के अलावा उल्टी दस्त की समस्या अधिक है। उमस और गर्मी के कारण बच्चों में वायरल का असर अधिक हो रहा है। स्थिति यह है कि बच्चा वार्ड भी फुल है। अस्पतालों के शिशु रोग विशेषज्ञ के चैंबर और क्लीनिक में भीड़ देखी जा सकती है।
दवा छिडक़ाव में कोताही
बढ़ेते डेंगू के मरीजों की स्थिति को देखते हुए भी दवा छिडक़ाव को लेकर कोताही की जा रही है। वहीं लार्वा विनिष्टीकरण के लिए भी कार्रवाई नजर नहीं आ रही है। डेंगू बढ़ रहा है तो स्थिति स्पष्ट है कि एडीज मच्छर तेजी से पनप रहे है। इसके बाद भी नगरीय निकाय और मलेरिया विभाग गंभीरता से काम नहीं कर रहा है। वहीं फॉगिंग मशीन भी नहीं चल रही है।
नहीं बढ़ाए काउंटर
बढ़ते मरीजों की स्थिति के बाद भी जिला अस्पताला में डॉक्टरों के काउंटर नहीं बढ़ाए गए हैं। कमरा नंबर छह में मात्र चार डॉक्टरों के बैठने की जगह है। जबकि अस्पताल में पर्याप्त जगह होने के बाद भी अन्य डॉक्टरों की सेवाए नहीं ली जाती। अधिकांश डॉक्टर तो एक दूसरे के कमरे में वार्तालाप करते रहते हैं। ऐसी स्थिति में मरीजों और उनके परिजन को परेशान होना पड़ता है।