सिवनी: धान की फसल में मिला झुलसा व ब्लास्ट रोग

  • कृषि विज्ञान केंद्र सिवनी के वैज्ञानिक ने किया निरीक्षण
  • 120 ग्राम प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में मिलाकर छिडक़ाव सुबह या दोपहर में करना चाहिए।
  • 400 ग्राम दवा प्रति एकड़ की दर से घोल बनाकर छिडक़ाव करें, खेत में जल निकासी का उचित प्रबंध करें।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-09-04 12:39 GMT

डिजिटल डेस्क,सिवनी। जिले के कई क्षेत्रों में धान की फसल में झुलसा और ब्लॉस्ट रोग होने लगा है। फसलों को नुकसानी से बचाने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र सिवनी के वैज्ञानिक डॉ एनके सिंह ने अपनी टीम के साथ सिवनी विकासखंड के ग्राम टिकरी, आमागढ, आगरी, झिलमिली और परासियामें लगी फसलों का निरीक्षण किया। उन्होंने देखा कि वर्तमान में धान फसल में जीवाणु पत्ती झुलसा रोग का प्रकोप है। इसको लेकर उन्होंने किसानों को सलाह दी ताकि फसल सुरक्षित रहे और बेहतर उत्पादन हो।

ये दी गई सलाह

खेत से पानी की निकासी कर 5 किलो पोटाश उर्वरक का उपयोग प्रति एकड़ में डालने की सलाह दी। कॉपरऑक्सिक्लोराइड 200 ग्राम , स्ट्रेप्टोमाइसिन सल्फेट 9 प्रतिशत, टेट्रासाइक्लिन हाइड्रोक्लोराइड एक प्रतिशत, 120 ग्राम प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में मिलाकर छिडक़ाव सुबह या दोपहर में करना चाहिए।

कुछ क्षेत्रों में धान की फसल में ब्लास्ट रोग का प्रकोप देखा गया नियंत्रण के लिए टेबुकोनाजोल 50 प्रतिशत ट्राईफ्लाक्सी स्ट्रोविन 25 प्रतिशत या ट्राईसायक्लाजोल 75 डब्लू पी 100 ग्राम या आईसोप्रोथिलेन 40 प्रतिशत ईसी 250 मिली लीटर प्रति एकड़ की दर से छिडक़ाव करें या वैकल्पिक रूप से बेल के पत्तों का 25 ग्राम ताजी पत्तियों का रस या तुलसी की 25 ग्राम ताजी पत्तियों का रस या नीम की 200 ग्राम ताजी पत्तियों का रस प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिडक़ाव करने पर रोग कम करने में मदद कर सकता है।

ये भी मिला रोग

कुछ खेतों में गाल मिज रोग का संक्रमण देखा गया है जिसमें नियंत्रण के लिए प्रिप्रोनिल 5 प्रतिशत एससी 500 मिली दवा या लेम्बडासाइहालोथ्रिन 5 प्रतिशत ईसी 100 मिली प्रति एकड़ की दर से छिडक़ाव करें।

अदरक की फसल में राइजोम राट रोग का प्रकोप देखा गया है नियंत्रण के लिए कॉपर आक्सीक्लोराइड का 400 ग्राम या मेटालेक्सिल मैन्कोजेब का 400 ग्राम दवा प्रति एकड़ की दर से घोल बनाकर छिडक़ाव करें, खेत में जल निकासी का उचित प्रबंध करें।

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