घोटाला: इंदौर से बुलवाई गई थी रेडीमेड गणवेश की खेप
- इंदौर से बुलवाई गई थी रेडीमेड गणवेश की खेप
- कई केंद्रों से हजारों गणवेश जब्त, दूसरे दिन भी जारी रही कार्रवाई
डिजिटल डेस्क, सिवनी। जिले में शुक्रवार को सामने आए गणवेश घोटाले से पूरे प्रशासनिक महकमें में दूसरे दिन भी हडक़ंप मचा रहा। शनिवार को भी विभागीय जांच-पड़ताल जारी रही। स्थिति यह रही कि अधिकारी कोई भी जानकारी देने से बचते रहे। प्रारंभिक जांच में पता लगा है कि रेडीमेड गणवेश की खेप इंदौर से बुलाई गई थी। गणवेश की पैकिंग में इंदौर के टैग लगे हुए हैं। हालांकि किस फर्म से गणवेश कब और कैसे बुलाए गए हैं इसका खुलासा नहीं हुआ है। माना जा रहा है कि इस घोटाले में कई अफसर और कर्मचारी लिप्त हैं। पूरा खेल कमीशन को लेकर किया गया है। मुख्यमंत्री को शिकायत हुई तो एसी चैंबर में काम करने वाले अफसर हरकत में आए और मैदानी अमले को जांच के लिए भेजा।
देर रात तक होती रही कार्रवाई
जानकारी के अनुसार शुक्रवार की देर रात तक गणवेश को लेकर जांच कार्रवाई जारी रही। अलग-अलग ग्राम पंचायतों में कार्यरत महिला स्व सहायता समूहों कें सिलाई सेंटरों से जब्त की गई रेडीमेड गणवेश से भरे बोरों को जनपद पंचायत सिवनी कार्यालय लाने का सिलसिला जारी रहा। गणवेश को समूहवार गिनती कर उनका जब्ती पत्रक बनाने का काम होता रहा। देर रात तक ग्राम पंचायत छुई में सुपर स्टार, जय अंबे और बंधन समूह से ३२ बोरों में रखी ७९८९, डोरलीछतरपुर ग्राम पंचायत से राधाकृष्ण समूह से २६ बोरों में भरी २६०५, जनता नगर की जय अंबे समूह से ३२ बोरों में भरी ९६५६ और ग्राम पंचायत चांवड़ी में गौरव स्व सहायता समूह से १६ बोरों में भरी ३१९३ गणवेश जब्त की गई।
पिछले साल भी यही काम
कक्षा पहली से लेकर आठवीं तक के छात्र-छात्राओं को नि:शुल्क गणवेश दिलाने के लिए पिछले साल भी महिला स्व-सहायता समूहों को काम दिया गया था। मप्र राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की जिला समन्वयक आरती चोपड़ा ने समूहों को गणेवश सिलाई का काम दिया था। हालांकि उस समय भी यह बात सामने आई थी कि महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा खुद सीलने की बजाय रेडीमेड गणवेश बाहर से बुलाकर दी गई थी, लेकि इस मामले में जिम्मेदार अफसरों ने कोई जांच और कार्रवाई नहीं की। छात्रों को भी समय पर गणवेश न देते हुए उन्हें फरवरी माह के अंतिम समय में दिया गया था। मप्र राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की जिला समन्वयक की भूमिका संदेह के घेरे में है। ये कोरोना काल में मास्क वितरण व झण्डा वितरण को लेकर भी आरोपों से घिर चुकी हैं। इस साल अब रेडीमेड गणवेश का बड़ा घोटाला पकड़ा गया है।
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समूहों की निगरानी से किया परहेज
महिला स्व-सहायता समूह को गणेवश सिलाई का काम देेने के बाद मप्र राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के जिम्मेदार अफसर केंद्रों तक भी नहीं पहुंचे। यहां तक की जिला पंचायत के अफसरों ने भी कोई सुध ली। जब समय पर छात्रों की गणवेश नहीं उपलब्ध कराई जा रही थी तब भी किसी अधिकारी ने समूहों के सिलाई केंद्रों तक जाकर यह देखने की जोहमत नहीं उठाई के गणवेश सिलाई का काम हो भी रहा है या नहीं। ऐसे में अफसरों की समूहों के साथ मिलीभगत से इंकार नहीं किया जा सकता। एक समूह मिलकर यह पूरा घोटाला करे यह संभव नहीं है। चूंकि अधिकांश केंद्रों में जो गणवेश जब्त हुई है वह एक ही जगह की है। ऐसे में साफ है कि बाहर की फर्म से गणवेश बुलाने में मप्र राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन अफसरों की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
पिछले साल दिए थे १.२९ लाख गणवेश
जानकारी के अनुसार राज्य शिक्षा केंद्र ने महिला स्व सहायता समूहों से गणेवश तैयार करने के निर्देश दिए थे। यह काम मप्र राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के माध्यम से इस साल भी कराया जा रहा था। पिछले साल जिले के १.२९ लाख छात्र-छात्राओं को गणेवश दी गई थी। लेकिन ये गणेवश भी बाहर की थी या तैयार की गई थी इसको लेकर भी जांच नहीं की गई। इस साल के शिक्षा सत्र में १.२१ लाख छात्रों को गणेवश मिलना है, लेकिन इस घोटाले के सामने आने बाद गणवेश वितरण का काम भी खटाई में पड़ता दिख रहा है।
जिला मंत्री से जुड़े समूह पर हुई कार्रवाई
जानकारी के अनुसार भाजयुमो जिलाध्यक्ष युवराज राहंगडाले ने आजीविका मिशन में गणवेश को लेकर मुख्यमंत्री को शिकायत की गई थी। इस कार्रवाई में भाजयुमो के जिला मंत्री गोपालगंज निवासी रानू साहू से जुड़े स्वसहायता समूह जय बजरंगी समूह पर ही कार्रवाई हो गई। समूह के केंद्र में भी बड़ी मात्रा में रेडीमेड गणवेश मिली। कार्रवाई के दौरान रानू हस्तक्षेप कर रहे थे लेकिन अधिकारियों ने उन्हें वहां से हटा दिया। बताया गया कि गोपालगंज में अन्य समूह पर भी रानू का कंट्रोल रहता है।