कार्रवाई: शरद पवार गुट के विधायक रोहित पवार को ईडी ने जारी किया नोटिस, जानिए क्या है मामला

  • कर्जत जामखेड विधानसभा क्षेत्र से विधायक रोहित पवार को नोटिस
  • शरद पवार के पोते हैं रोहित
  • पूछताछ के लिए बुलाया

Bhaskar Hindi
Update: 2024-01-19 16:09 GMT

डिजिटल डेस्क, पुणे। ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने राष्ट्रवादी कांग्रेस के अध्यक्ष शरद पवार के पोते और कर्जत जामखेड विधानसभा क्षेत्र से विधायक रोहित पवार को नोटिस जारी किया है। इस नोटिस में ईडी ने रोहित पवार को 24 जनवरी को पूछताछ के लिए पेश होने को कहा है। खबर है कि ईडी ने चीनी मिल में वित्तीय लेनदेन को लेकर संदेह के चलते रोहित पवार को इस नोटिस के जरिए पूछताछ के लिए बुलाया है। इससे महाराष्ट्र के सियासी गलियारों में हड़कंप मचा है।

राष्ट्रवादी कांग्रेस में विभाजन के बाद पिछले कुछ दिनों से केंद्रीय और राज्य की विभिन्न जांच एजेंसियां विधायक रोहित पवार की जांच में जुट गई हैं। रोहित पवार की बारामती एग्रो को पहले महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने नोटिस दिया था। इसके बाद कुछ दिन पहले ईडी ने रोहित पवार की कंपनी बारामती एग्रो से जुड़े कई ठिकानों पर छापेमारी की थी। अब जब ईडी ने दोबारा नोटिस भेजकर पूछताछ के लिए बुलाया है, जिससे रोहित पवार की मुश्किलें बढ़ने की आशंका बढ़ गई है।

कन्नड़ सहकारी चीनी फैक्ट्री के वित्तीय संकट में फंसने के बाद शिखर बैंक ने इसकी नीलामी कर दी थी। आरोप है कि बारामती एग्रो ने इस फैक्ट्री को 50 करोड़ रुपये में खरीदा था। नीलामी में भाग लेने वालों में बारामती एग्रो, हाई-टेक इंजीनियरिंग कॉर्पोरेशन इंडिया लिमिटेड भी और समृद्धि शुगर प्राइवेट लिमिटेड इन कंपनियों के बीच लेनदेन संदिग्ध बताया जा रहा है। इसलिए ईडी द्वारा विधायक रोहित पवार की जांच पड़ताल की जा रही है और छापेमारी के बाद पूछताछ के लिए नोटिस जारी किया गया है।

पिछले साल अजीत पवार ने पार्टी अध्यक्ष शरद पवार के खिलाफ बगावत कर दी और भाजपा एवं एकनाथ शिंदे की शिवसेना की महायुति सरकार में शामिल होने का फैसला किया। राष्ट्रवादी कांग्रेस में इस विभाजन के बाद पार्टी दो धड़ों में बंट गई, हालाँकि रोहित पवार शरद पवार के साथ बने रहे। रोहित पवार पहले ही आरोप लगा चुके हैं कि हमें जांच एजेंसियों के माध्यम से सिर्फ इसलिए निशाना बनाया जा रहा है क्योंकि हम सत्ता में भाग लेने से इनकार करते रहे हैं। इसलिए आगामी लोकसभा चुनाव की पृष्ठभूमि में राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप के और अधिक जोर पकड़ने की संभावना है।

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