प्रगति में बाधा नहीं: नीति में बदलाव से सेना के विकासकार्यों को मिली गति, जावड़ेकर ने बैरियर हटाया
- पर्यावरण मंत्री रहते हुए प्रकाश जावड़ेकर ने प्रगति में बाधा बनने वाले बैरियर को हटाया
- भाजपा ने केरल जैसे किले को फतह करने का जिम्मा सौंपा
डिजिटल डेस्क, पुणे। लोकसभा चुनावों के लिए भाजपा ने केरल जैसे किले को फतह करने का जिम्मा वरिष्ठ नेता एवं पूर्व पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को सौंपा था। इस चुनाव में भाजपा शानदार प्रदर्शन करे, इसके लिए उन्होंने केरल में काफी मेहनत की। केरल में चुनाव अब संपन्न हो गए हैं। अब वे पुणे लौट आए हैं। यहां आते ही उन्होंने दैनिक भास्कर के पुणे कार्यालय में सदीच्छा भेंट दी। पर्यावरण मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रहते हुए उन्होंने देश के विकास कार्यों को बढ़ावा देने के लिए पर्यावरण मंत्रालय की नीतियों में जो जरूरी बदलाव किए, उसे दैनिक भास्कर के साथ विस्तार से साझा किया।
सवाल-पर्यावरण मंत्रालय का जिम्मा मिलते ही सबसे पहला काम क्या किया?
उत्तर- जून 2014 में पर्यावरण मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार मिलने के बाद मैंने स्थिति का अवलोकन किया। ध्यान में आया कि सेना के अनेक प्रस्ताव पर्यावरण विभाग की मान्यता के लिए अटके पड़े हैं। इसका एहसास मुझे पहले भी हुआ था, क्योंकि जब मैं रक्षा विभाग के संसदीय समिति में काम कर रहा था, तब हम जहां भी गए फिर चाहे वह पाकिस्तान की सीमा हो, चीन की सीमा हो या बांग्लादेश, अंडमान या कहीं भी, हर जगह रक्षा विभाग की जो भी परियोजनाएं थीं, उसकी शुरुआत नहीं हो सकती थी, क्योंकि पर्यावरण की मंजूरी नहीं मिल पा रही थी। जिसके कारण हमारे बॉर्डर पर सड़कों का हाल बुरा था जबकि चीन की तरफ बेहतर था । सेना से पूछने पर पता चला कि हमारे यहां इन परियोजनाओं को वन विभाग की मंजूरी नहीं मिलती। मैं अंडमान गया तो वहां पर भी अनेक परियोजनाओं का खाका तैयार था, लेकिन उसे भी पर्यावरण की मान्यता नहीं मिल पा रही थी। अंडमान में तो मिसाइल का प्रोजेक्ट था, बावजूद इसके काम नहीं शुरू किया जा सका। मेरे मन में सेना की यह बेहद महत्वपूर्ण समस्या घर कर गई। इसलिए जब मैंने पर्यावरण मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार संभाला, तब विभाग के अधिकारियों की बैठक में मैंने उनसे सवाल किया कि रक्षा विभाग की कितनी परियोजनाएं मान्यता के लिए हमारे मंत्रालय में पेंडिंग हैं। तब उन्होंने कहा कि 2 दिन में हम इसकी जानकारी देंगे। घर आ कर मैंने रक्षा विभाग के सचिव को फोन किया और उनसे पूछ लिया कि रक्षा विभाग की कितनी परियोजनाएं पर्यावरण की मंजूरी के लिए अटके पड़े हैं। तब उन्होंने मुझे 200 प्रस्ताव की फाइल ही भेज दी, जिसे मैंने अपने विभाग को सौंप दिया।
सवाल- विकास कामों में बाधा बननेवाले पर्यावरण मंत्रालय की छवि कैसे बदली
उत्तर -मेरे चार्ज संभालने के पहले इस विभाग की पहचान विकास कार्यों में बाधा बनने वाले विभाग की थी। रक्षा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि नौसेना का कारवार में ऑपरेशन सी बर्ड नाम से बड़ा बंदरगाह का प्रस्ताव था। लेकिन उसे मंजूरी नहीं मिल पा रही थी। नौसेना के अधिकारी जब तत्कालीन मंत्री को मिलने गए तो उन्होंने कहा कि आपने क्यों कष्ट किया, यह काम करने वाला कोई ठेकेदार होगा, उसको भेजो। इससे देश की तरक्की रुक रही थी। हमारे रक्षा विभागों की जरूरतें पूरी नहीं हो पा रही थी। मुझे लगा कि बिना नीति में बदलाव किए यह संभव नहीं होगा। इसलिए नीति में बदलाव करने की ठानी।
सवाल- नीति में क्या बदलाव किए?
उत्तर- बदलाव का प्रस्ताव हमने प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजा। प्रस्ताव यह था कि देश की सीमा से 100 किलोमीटर के दायरे में आने वाले रक्षा विभाग की सड़क निर्माण या अन्य जो भी महत्वपूर्ण परियोजनाएं होंगी, उसे जनरल अप्रूवल दिया जाएगा। यानि उसके लिए फाइल नहीं भेजनी पड़ेगी। उसमें देरी नहीं की जाएगी। सामान्य मान्यता के तहत सबको काम तुरंत शुरू करने की इजाजत होगी। यह क्रांतिकारी फैसला था। सीमा की सड़क का तुरंत काम शुरू हो सकता था। उसकी चौड़ाई भी बढ़ा सकते थे। मिसाइल रेंज अथवा हवाई पट्टी की लंबाई बढ़ानी है या एयरफोर्स अथवा नौसेना एवं आर्मी के लिए जो भी जरूरतें थीं, वह इस नीति के चलते आसान बन गईं।
सवाल-आप के फैसले पर सेना ने की क्या प्रतिक्रिया रही?
लोगों को समझ में आ गया कि नरेंद्र मोदी की सरकार कैसे दूसरी सरकारों से अलग है, वह कैसे निर्णय करती है? हमारे लिए मोदी जी की सीख यही थी कि देश प्रथम है, देश के आगे कुछ भी नहीं है। इसलिए इस निर्णय का जोरदार स्वागत हुआ। सेना के अधिकारी मुझे मिलने आए। तब मैंने उनसे कहा कि इस निर्णय के बदले में मेरी भी एक मांग है। मैंने कहा कि आप सीमा की रक्षा करते हो ,जिसकी वजह से देश की एक इंच जमीन पर भी शत्रु आंख नहीं उठा पाता। इसके लिए पूरा देश आपका ऋणी है। शहरों में जितनी डिफेंस भूमि होती है, वहां से यदि कोई रेलवे ओवर ब्रिज बनाना हो या सड़क चौड़ी करनी है, अथवा फ्लाइ ओवर बनाना है तो आपका विभाग ऐसी परियोजनाओं को मंजूरी नहीं देता। मैंने अगर आपके 200 प्रस्तावों को जनरल अप्रूवल दे दिया है तो आप भी इन शहरी जरूरतों के लिए डिफेंस लैंड से गुजरने वाली विकास परियोजनाओं को अपनी भूमि का थोड़ा सा हिस्सा दे दें। जिसे सेना ने मान लिया।
सवाल- सेना के अलावा आम नागरिकों को क्या फायदा हुआ?
उत्तर- जिसके बाद तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली एवं तत्कालीन रक्षामंत्री मनोहर परिक्कर के सामंजस्य से देश की मनपा के जितने प्रस्ताव डिफेंस लैंड के पास लंबित पड़े थे, उन सबको प्राथमिकता से क्लियर किया गया। पर्यावरण की नीति में बदलाव से देश को कैसे फायदा हुआ, इसका यह उदाहरण है।