पन्ना: आरटीआई के तहत मांगी कार्यों की जानकारी तो पीएचई ने थमा दिया १ लाख ५४ हजार से अधिक का बिल, अधिकारियों की मनमानी जारी

  • आरटीआई के तहत मांगी कार्यों की जानकारी तो पीएचई ने थमा दिया १ लाख ५४ हजार से अधिक का बिल
  • जिले में सूचना का अधिकार कानून बना मजाक
  • अधिकारियों की मनमानी जारी

Bhaskar Hindi
Update: 2024-07-27 10:56 GMT

डिजिटल डेस्क, पन्ना। शासकीय विभागों के क्रियाकलापों में पारदर्शिता लाने एवं आम लोगों को सहज जानकारी उपलब्ध कराने की मंशा के साथ सूचना का अधिकार अधिनियम बनाया गया था लेकिन जिले में यह अधिकार मजाक बनकर रह गया है। शासकीय विभागों में वर्षों से जमे अधिकारी किसी भी हाल में जानकारियों को बाहर नहीं जाने देना चाहते यही कारण है कि अब सूचना के अधिकार के तहत आवेदन करने के बावजूद भी लोगों को सामान्य जानकारियां भी प्राप्त नहीं हो रहीं है। जिसका स्पष्ट उदाहरण लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग में देखने को मिला। विभाग के कार्यपालन यंत्री महेन्द्र सिंह से जिले में नलजल योजनाओं के विकास की स्थिति जानने और अब तक नलजल योजना से जोडे गए गांवों की सूची की मांग मीडियाकर्मियों द्वारा की गई थी। यह जानकारी सामान्य जानकारी है जो विभागीय अधिकारी को स्वत: उपलब्ध करानी चाहिए थी लेकिन महीनों चक्कर काटने के बाद भी अधिकारी ने जानकारी नहीं दी। जिसके बाद मीडियाकर्मी द्वारा सूचना के अधिकार के तहत आवेदन प्रस्तुत कर जानकारी चाही गई। सूचना के अधिकार के तहत विभाग से पूंछा गया कि वर्ष 2015 से अब तक जिले में कितने गांवों को नलजल योजनाओं से जोडा गया है इन कार्यों में कितनी राशि खर्च हुई है साथ ही नलजल योजनाओं के विकास के दौरान खराब हुई कल सडकों में से कितनी सुधारी गईं।

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यह संपूर्ण जानकारी आईटीआई आवेदन के माध्यम से मांगी गई। आवेदन में स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि जानकारी सूची व सांख्यकीय आंकडों के आधार पर संधारित जानकारी दी जाए। आवेदन में किसी प्रकार के बिल-बाउचरों या अन्य दस्तावेजों की कोई मांग नहीं की गई थी लेकिन लोक सूचना अधिकारी लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा जानकारी छिपाने की मंशा के साथ आवेदक को भारी-भरकम बिल थमा दिया गया। पीएचई विभाग द्वारा कहा गया कि आईटीई के तहत मांगी गई जानकारी 77075 पृष्ठों की है जिसके तहत १ लाख ५४ हजार १५० रूपये चालान से जमा करने संबधी पत्र कार्यपालन यंत्री लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी खण्ड पन्ना द्वारा अपने पत्र क्रमांक १५६६ दिनांक २२ जुलाई २०२४ के द्वारा आवेदक को दिया है। गौरतलब है कि आवेदन में सूची व सांख्यकीय आंकडों की मांग की गई है ऐसे में लाखों रूपये का बिल दिया जाना समझ के परे है। ऐसे में स्पष्ट होता है कि सार्वजनिक हित की जानकारियों को छिपाने की मंशा के साथ आवेदक पर दबाब बनाने के लिए यह राशि तय की गई है। इस तरह का यह अकेला मामला नहीं है जिले के अन्य विभागों में भी सामान्य जानकारियों को इसी तरह घुमा-फिराकर भारी बिल देकर अटकाने का चलन बन चुका है। जिसके चलते सूचना का अधिकार कानून पन्ना में मजाक बना हुआ है।

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जानकारियों को सार्वजनिक करने हेतु बाध्य हैं विभाग

सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 4 के तहत प्रत्येक शासकीय विभागों को अपनी जानकारियों को सार्वजनिक किया जाने की बाध्यता की गई है। धारा 4(१)(बी) में इसका विस्तृत विवरण दिया गया है। इस धारा के अंतर्गतए विभागों को संस्थान की संरचना और कार्य, संचालन का तरीका, कर्मचारियों की सूची, नियम और कानून, पब्लिक इंटरफेस, अनुदान और वित्त व ई-गवर्नेंस की जानकारी, सार्वजनिक संपत्ति स्वप्रेरणा से सार्वजनिक करनी होती है। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग की बात करें तो इन्हें भी धारा 4 के तहत नलजल योजनाओं का विवरण, परियोजनाओं की स्थिति, लाभार्थी गाँवों की सूची, वित्तीय जानकारी आदि विभाग की वेबसाइट, कार्यालय के सूचना पटल, वार्षिक रिपोर्ट, ब्रोशर और डिजिटल माध्यम सोशल मीडिया और अन्य डिजिटल प्लेटफार्म साझा करनी चाहिए थी लेकिन विभाग इन जानकारियों को छिपाने में इतना गंभीर है कि अब सार्वजनिक होने वाली जानकारी के बादले भी लाखों को बिल दिया जा रहा है।

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इनका कहना है

कितने गांवों में नलजल योजना प्रारंभ की गई है यह जानकारी सार्वजनिक तौर पर देनी चाहिए यदि यह नहीं मिल रही है तो मैं जन संपर्क के माध्यम से यह जानकारी सार्वजनिक करवाता हूं।

सुरेश कुमार, कलेक्टर पन्ना

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