Panna News: डीएपी खाद की किल्लत,पांच बोरी के लिए दो-दो दिन तक इंतजार कर रहे किसान, एनपी के खाद के उपयोग की अपील का किसानों पर नही असर
- डीएपी खाद की किल्लत,पांच बोरी के लिए दो-दो दिन तक इंतजार कर रहे किसान
- एनपी के खाद के उपयोग की अपील का किसानों पर नही असर
- डीएपी पाने पर ही पूरा जोर
Panna News: रवि में चना एवं मसूर की बोनी का वक्त आते ही खाद की मांग तेजी के साथ बढ़ गई है किसान अपने खेतों में चना एवं मसूर की बोवाई के लिए खाद की व्यवस्था को लेकर परेशान हो रहे है। जिले की स्थिति पूर्व के वर्षाे में यह रही है कि सर्वाेधिक किसान डीएपी खाद का उपयोग करते रहे है किन्तु अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खाद की सप्लाई में आई गिरवाट के चलते डीएपी खाद की आपूर्ति की चेन गडबड़ा गई है। खाद वितरण केन्द्रों में डीएपी खाद का स्टॉक शुरूआत में ही खत्म होने लगा है जिसके चलते विपणन संघ के गोदामों में डीएपी खाद पाने के लिए किसान जदोजहद कर रहे है जिला मुख्यालय स्थित इन्द्रपुरी कालोनी में विपणन संघ के डबल लॉक सेन्टर गोदाम की स्थिति यह है कि डीएपी खाद पाने के लिए किसानों दो-दो दिन से इंतजार कर रहे है। जिले भर में खाद संकट को लेकर निर्मित स्थिति के चलते जिला प्रशासन के निर्देश पर राजस्व अधिकारी वितरण व्यवस्था की निगरानी के लिए खाद गोदामों में तैनात होने लगे है।
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जिला मुख्यालय पन्ना स्थित विपण संघ के डबल लॉक सेन्टर में खाद किसानो को वितरण करवाये जाने की जिम्मेदारी स्वयं पन्ना तहसीलदार दो दिन से संभाल रखे है। राजस्व विभाग की पटवारियों की ड्यूटी लगाकर खाद का वितरण करवाया जा रहा है। डीएपी को लेकर मची भारी किल्लत को देखते हुए स्थिति यह है कि एक किसान को अधिकतम पांच बोरी डीएपी खाद दी जा रही है। खाद को लेकर किसानों की पिछले दो दिन से लगातार भारी भीड खाद गोदाम में एकत्रित है। भारी भीड को देखते हुए किसानों को खाद के लिए टोकन दिए जा रहे हैं और स्थिति यह है कि कतार इतनी अधिक है कि दो-दो दिन के इंतजार के बाद भी कई किसानों को पांच बोरी खाद भी नहीं मिल पा रही है। किसान इसके चलते काफी परेशान हैं। ककरहटी क्षेत्र से आए किसानों ने बताया कि उनके निकट गुनौर में गोदाम है परंतु वहां पर खाद नहीं मिल पा रही है। इसके चलते जिला मुख्यालय मेें खाद लेने के लिए दो दिन से यहां आकर इंतजार कर रहे हैं पता नहीं कब नंबर लगेगा। दो दिन पूर्व आवश्यकतानुसार खाद मिल रही थी परंतु अब डीएपी खाद देने के मामले में लिमिट लगाकर रख दी है। खाद नहीं मिलने से बोवनी में भी विलम्ब होगा।
जिले में डीएपी का स्टाक मात्र ४४४ मैट्रिक टन
रबी सीजन वर्ष २०२३-२४ में जिले में कुल १० हजार ५५२ मैट्रिक टन खाद की खपत हुई थी जिसके विरूद्ध इस वर्ष डीएपी खाद की खपत का वार्षिक लक्ष्य ११ हजार ६०७ मैट्रिक टन होने के अनुमान आधार पर डिमाण्ड है किंतु जिले में डीएपी खाद की उपलब्धता की स्थिति यह रही कि ०१ अक्टूबर से १४ अक्टूबर की स्थिति में जिले में डीएपी खाद का कुल स्टॉक १४६६ मैट्रिक टन रहा है जिसके विरूद्ध गत दिनांक १३ अक्टूबर की स्थिति में १०२२ मैट्रिक टन डीएपी खाद बेचीं जा चुकी है और १४ अक्टूबर को ओपनिंग डीएपी खाद का स्टॉक ४४४ मैट्रिक टन रहा है। जिस तरह से किसानों की भारी भीड गोदामों में खाद के लिए मौजूद है ऐसे में यह स्टाक चार से पांच दिनों में ही समाप्त हो जाने की बात कही जा रही है। डीएपी की रैक इसी शुक्रवार को लगी थी विपणन संघ के स्त्रोतों का कहना है कि अब डीएपी की रैक कब लगेगी यह कहा नहीं जा सकता है। ऐसे में आने वाले दिनों में किसानों को फिर डीएपी की आपूर्ति लगभग पूरी तरह से ठप्प हो जायेगी।
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१८०० रूपए तक बाजार में बिक रही है डीएपी
व्यापारियों को ३० प्रतिशत खाद खुले में किसानों को विक्रय के लिए दी जाती है जो कि व्यापारियों को निर्धारित दर पर किसानों को विक्रय करना चाहिए। डीएपी खाद की कीमत शासन द्वारा १३५० रूपए प्रति पचास किलो की बोरी निर्धारित की गई है। डीएपी खाद के संकट के चलते बाजार में मुनाफाखोर व्यापारियों द्वारा १६०० से १८०० रूपए की कीमत वसूल कर किसानों को डीएपी खाद बेचीं जा रही है। इस बात के आरोप लभी लग रहे हैं कि विपणन संघ के गोदामों तक किसानों को प्रदाय करने के लिए जो खाद भेजी जाती है उसका भी एक बडा हिस्सा मुनाफाखोर व्यापारी विभागीय अधिकारियों से सांठगांठ कर हांसिल कर लेते हैं और इसमें अच्छी खासी कमाई कर रहे हैं।
सहकारी सोसाईटियों में भी नहीं मिल रही है खाद
सहकारी सोसाईटियों द्वारा भी किसानों को खाद प्रदाय करने के लिए विपणन संघ से खाद का अग्रिम रूप से उठाव किया गया है। जानकारी अनुसार लगभग ४० सोसाईटियों द्वारा ११०७ एमटी यूरिया, ६७३ एमटी डीएपी, १२५२ एमटी एनपीके खाद का उठाव किया गया है किंतु स्थिति यह है कि सहकारी सोसाइटियों द्वारा जो किसानों को प्रदान करने के लिए खाद उठाई गई है वहां तक पहुंची डीएपी खाद भी किसानों को नहीं मिल पा रही है। आरोप लग रहे हैं कि सोसइटियों से भी खाद की कालाबाजारी हो रही है।
एनपीके खाद पर दिया जा रहा है जोर
डीएपी खाद की उपलब्धता में आई भारी कमीं के चलते एनपीके खाद का किसान उपयोग करें इसको लेकर जोर दिया जा रहा है। इसके लिए विपणन संघ के मैदानी कर्मचारी एनपीके खाद के फायदे भी किसानों को बता रहे हैं। जिसमें एनपीके में नाईट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश आदि तत्वों की मात्रा की जानकारी देते हुए खाद से अच्छा उत्पादन होने की बात कही जा रही है और किसानों को एनपीके खाद खरीदने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। किंतु स्थिति यह है कि लाख समझाईश के बाद भी विपणन संघ के अधिकारियों, कर्मचारियों एवं प्रशासन की अपील का किसानों पर कोई असर नहीं पड रहा है और वह डीएपी खाद पर ही जोर दे रहे हैं। किसानों का कहना है कि यदि डीएपी खाद नहीं डालेंगे तो उनकी फसल में उत्पादन नहीं होगा।
जिले में खाद के लक्ष्य एवं उपलब्धता पर एक नजर रबी सीजन में
खाद वार्षिक लक्ष्य उपलब्धता बचत
मैट्रिक टन मैट्रिक टन मैट्रिक टन
यूरिया २२३४९ ३४५७ २१६३
डीएपी ११६०७ १४६६ ४४४
एनपीके २३१२ ३९०४ २५७१
पोटाश ०८ १२ १०
सुपर फॉस्फेट ३०६ ४८७ ४५३
इनका कहना है
डीएपी खाद की कमीं है, एनपीके खाद अच्छी है किंतु किसान डीएपी खाद ही खरीदना चाहते हैं। जिसके चलते समस्या खडी है। राजस्व अधिकारियों की उपस्थिति में गोदामों से किसानों को खाद का वितरण किया जा रहा है। जिले में विपणन संघ के सात डबल लॉक सेण्टर पन्ना, अजयगढ, अमानगंज, पवई, देवेन्द्रनगर, गुनौर व रैपुरा तथा जवाहर मार्केटिंग सोसाईटी देवेन्द्रनगर व गुनौर से किसानों को खाद का वितरण किया जा रहा है। किसान यदि एनपीके खाद का उपयोग करेंगे तो यह उनकी फसल के लिए डीएपी से कहीं अच्छा होगा।
एस.एल. धुर्वे, जिला प्रबंधक विपणन संघ पन्ना