श्रृद्धापूर्वक मनाया गया गुरू पूर्णिमा का पर्व, आयोजित हुए कार्यक्रम
डिजिटल डेस्क, पवई नि.प्र.। गुरू पूर्णिमा का पर्व आज भक्तों, शिष्यों द्वारा श्रृद्धापूर्वक मनाया गया। गुरू पूर्णिमा के अवसर पर सामूहिक कार्यक्रम आयोजित किए गए। गायत्री परिवार द्वारा गायत्री सत्संग भवन पवई में कार्यक्रम आयोजित किया गया। जहां पर पहँुचे गायत्री परिवार के भक्तजनों द्वारा आराध्य गुरू तपोनिष्ठ वेदमूर्ति परम पूज्य गुरूदेव श्रीराम शर्मा आचार्य, माताजी भगवती शर्मा का पूजन एवं चरण पादुका वंदन किया गया। साथ ही गुरू व्यास पूजन कर पौध रोपण अभियान की शुरूआत कर मंदिर परिसर में एक पौधा लगाया गया। गुरू पूर्णिमा पर गायत्री परिवार के आयोजन में भवानी पटेल, राकेश खरे, बालकृष्ण शुक्ला, गायत्री शरण द्विवेदी, प्रहलाद बहरे, राजेश कोरी, गोपाल खरे, जितेंद्र सोनी, सत्यम सोनी एवं महिला मंडल से श्रीमती कुसुम बहरे, रानी बहरे माधुरी बहरे, प्रीति बहरे, अनीता नामदेव, अंशिका नामदेव, शशि सिंह, शुभी बहरे, शिवा बहरे आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन सत्यम सोनी द्वारा किया गया।
माथा ठेककर अपने गुरूओं का आर्शीर्वाद लेने पहुंचे शिष्य
महर्षि वेद व्यास का जन्म गुरू पूर्णिमा पर हुआ था इसलिए गुरू पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा कहा जाता है। हिन्दू धर्मो मेें गुरू की दीक्षा लेकर गुरू बनने की पंरपरा है। शिष्यगण अपने गुरू की दीक्षा लेकर श्रृद्धा और सम्मान के साथ गुरू शिष्य की पंरपरा का निर्वाहन जीवन में करते है। आज गुरू पूर्णिमा के पर्व पर दीक्षा प्राप्त करने वाले शिष्य अपने-अपने गुरूओं के दर्शन करने के लिए पहँुचे तथा श्रृद्धाभक्ति पूर्वक यथोचित भेंटकर आर्शीर्वाद प्राप्त किया गया। पवई नगर स्थित विद्वान पंडितों जिनके अनेक शिष्य है उनके यहां उनके दर्शन करने पहँुचे शिष्यों का दिनभर तांता लगा रहा। पवई नगर स्थित पंडित रामदुलारे पाठक, पंडित रमेश प्रसाद शास्त्री, पंडित रामलखन गर्ग, पंडित रामगोपाल शास्त्री, पंडित रामनारायण त्रिपाठी के यहां आयोजित गुरू दरबार में पहँुचे उनके अनुयायी शिष्यों की उपस्थिति सुबह से ही शुरू हो गई। गुरूजनों ने भी अपने शिष्यो से मिलन को लेकर उत्साह देखा गया। पंडित रमेश प्रसाद शास्त्री ने बताया कि आज के दिन आषाढ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा में महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था जिन्होंने ०६ शास्त्र, १८ पुराण व ०४ वेद के अलावा महाभारत की रचना की थी। वेद व्यास के जन्मदिवस को गुरूपूर्णिमा के रूप में पूरे भारत में मनाया जाता है।