हीरा खोजने में जुटी एनएमडीसी: तीन साल के संकट के बाद अब पुन: हीरा खोजने में जुटी एनएमडीसी, साउथ अफ्रीका से आई एक्स-रे सॉर्टर मशीन

  • तीन साल के संकट के बाद अब पुन: हीरा खोजने में जुटी एनएमडीसी
  • अत्याधुनिक तकनीक के साथ बेहतर परिणाम के लक्ष्य में जुटा प्रबंधन
  • साउथ अफ्रीका से आई एक्स-रे सॉर्टर मशीन

Bhaskar Hindi
Update: 2024-07-31 07:54 GMT

डिजिटल डेस्क, पन्ना। पन्ना की पहचान हमेशा हीरे से होती रही है। दुनियां भर में हीरा नगरी के नाम से पहचाने जाने वाले पन्ना की इस पहचान को एनएमडीसी ने शिखर तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। नेशनल मिनरल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन एनएमडीसी की मझगवां स्थित प्लांट देश की इकलौती मैकेनाईज्ड हीरा खदान परियोजना है। विगत 3 वर्षों से संकट झेल रही एनएमडीसी परियोजना का काम पूरी तरह ठप्प हो गया था। कई वर्षों तक पर्यावरण एनओसी और सुप्रीम कोर्ट की आपत्तियों के चलते एक समय लगा कि अब पन्ना में एनएमडीसी अपना काम बंद कर देगी। ०1 जनवरी 2021 से पर्यावरणीय स्वीकृति समाप्त होने के बाद माइंस से खनन बंद था लेकिन कम्पनी प्रबंधन ने विषम परिस्थितियों में भी धैर्य दिखाया और अंतत: मार्च 2024 को एनएमडीसी को सभी तरह की अनुमतियां प्राप्त हो गईं। जिसके बाद पुन: कार्य प्रारंभ हुआ। कंपनी को वर्ष 2035 तक के लिए खनन की अनुमति मिली है।

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गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट और केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु मंत्रालय की ओर से एनएमडीसी प्रबंधन को खनन के लिए दो पट्टों की अनुमति दी गई है। जिसमें किम्बरलाइट पाइप लाइन मुख्य खनन पट्टे में शामिल है। इससे पहले मंत्रालय ने एनएमडीसी को वर्ष 2006 में 275.963 हेक्टेयर क्षेत्र से एक लाख कैरेट प्रतिवर्ष हीरा खनन की मंजूरी दी थी। अब वर्ष 2035 तक के लिए हीरा खनन की फिर मंजूरी मिल गई है। कम्पनी प्रबंधन नए सिरे से नई तकनीक के साथ हीरा खनन परियोजना का विकास कर रहा है। इस संबंध में महाप्रबंधक कार्मिक ने कहा कि हम उत्साह के साथ सभी के सहयोग से पुन: कार्य प्रारंभ कर चुके हैं। मार्च 2024 में सामान्य तौर पर कार्य प्रारंभ हो गया था लेकिन खदान में कई वर्षों तक काम नहीं होने के कारण जलभराव हो गया है। यहां करीब 30 मीटर पानी भरा होने के साथ गहराई तक जाने वाले रास्ते भी चलने योग्य नहीं है। इसलिए खनन क्षेत्र की परिधि को पुन: नए तरीके से बनाने की दिशा में काम हो रहा है। फिलहाल हमारे पास पहले से उपलब्ध स्टाक से काम किया जा रहा है।

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विदेशी उन्नत तकनीक का हो रहा उपयोग

एनएमडीसी में द्वारा इस बार अत्याधुनिक उन्नत मशीनों का उपयोग कर हीरा उत्खनन की लागत को कम करने का प्रयास किया जा रहा है। डीजीएम कमर्शियल संजय दुबे ने जानकारी देते हुए बताया कि एनएमडीसी में साउथ अफ्रीका से उन्नत एक्स-रे सॉर्टर मशीन का उपयोग किया जा रहा है। यह मशीन एक्स-रे की सहायता से हीरे की पहचान करती है जिससे काम आसान हो जाता है। इसके अलावा हैवी मीडिया सेपरेशन मशीन जिसे डेंसिटी सेपरेशन भी कहते हैं काम में लगाई गई है। यह मशीन किम्बरलाइट पत्थरों में हीरा उपलब्धता की पहचान कर उसे अलग-अलग कर देती है। इस मशीन से करीब 10 गुना अनुपयोगी पत्थरों को अलग करने में मदद मिलती है। यह मशीन ग्रेविटी पर काम करती है। इन मशीनों के उपयोग से हीरे की खोज करना आसान हो गया है। बिना मानवीय हस्ताक्षेप के पूरी तरह से मशीनों का उपयोग कर एनएमडीसी में काम किया जा रहा है। उम्मीद है कि फिर से एक बार एनएमडीसी पन्ना की पहचान को कायम रखने में अपना योगदान देगी। 

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