यस बैंक : मध्यवर्ती सहकारी बैंकों के फंस गए 63 करोड़, महावितरण को लगा करंट
यस बैंक : मध्यवर्ती सहकारी बैंकों के फंस गए 63 करोड़, महावितरण को लगा करंट
डिजिटल डेस्क, नागपुर। रिजर्व बैंक द्वारा यस बैंक पर की गई कार्रवाई में नागपुर विभाग के तहत आनेवाले भंडारा व चंद्रपुर जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक के 63 करोड़ फंस गए है। यस बैंक का शीघ्र समाधान नहीं निकला तो भंडारा व चंद्रपुर मध्यवर्ती सहकारी बैंक पर आर्थिक संकट आ सकता है। इधर नागपुर जिला मध्यवर्ती सहकारी (एनडीडीसीसी) बैंक के लिए यस बैंक से दूरी बनाकर रखना फायदे का सौदा साबित हुआ। एनडीसीसी बैंक ने घोटोल से सबक लेते हुए अपनी निधी आईडीबीआई बैंक में रख दी। जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंकों को किसानों की बैंक कहा जाता है। यहां सबसे ज्यादा किसानों के खाते होते है। सरकारी योजनाआें के तहत वितरित किए जानेवाली निधी व कर्ज इन बैंकों के माध्यम से भी दी जाती है। डेढ़ दशक पहले एनडीसीसी बैंक में करीब डेढ़ सौ करोड़ का घोटाला हुआ था और इससे सबक लेते हुए बैंक अपनी जमापूंजी राष्ट्रीयकृत बैंक में ही रखता है। एनडीसीसी बैंक की निधी आईडीबीआई बैंक में है। नागपुर विभाग के तहत नागपुर, वर्धा, चंद्रपुर, गडचिरोली, गोंदिया व भंडारा जिला बैंक आती है। भंडारा व चंद्रपुर जिला बैंक के क्रमश: 43 करोड़ व 20 करोड़ रुपए यस बैंक में है। अब शीघ्र ही यह पौसा वापस मिलना मुश्किल लग रहा है।
किसानों व कर्मचारियों का नुकसान नहीं
यह जमापूंजी बैंक की होने से किसानों को इसका नुकसान नहीं होगा। इसीतरह जिला मध्यवर्ती बैंकों के कर्मचारियों को फिलहाल घबराने की जरूरत नहीं है। कर्मचारियों के वेतन संबंधी समुचित निधी बैंक के पास उपलब्ध है। नागपुर विभाग में जिला बैंकों के 93 हजार खाताधारक किसानों को कर्जमुक्ति का लाभ मिला है। इसमें सबसे कम नागपुर से 4500 व सबसे ज्यादा 37500 किसान चंद्रपुर जिले से है।
जिला बैंक पर कोई असर नहीं पड़ेगा
विभागीय सह निबंदक प्रवीण वानखेडे के मुताबिक भंडारा व चंद्रपुर जिला बैंक के 63 करोड़ रुपए यस बैंक में है। इससे जिला बंैकों पर फिलहाल कोई असर नहीं पड़ेगा। नागपुर जिला बैंक की निधी यस बैैंक में नहीं है। कर्जमुक्ति के लिए पात्र किसानों का इससे कोई नुकसान नहीं है। एनईएफटी, आरटीजीएस व आनलाइन बैैकिंग सेवा के लिए यस बैंक में निधी रखी गई थी। यस बैंक को एसबीआई टेक आेवर कर सकता है आैर ऐसा होने पर सारी निधी एसबीआई में शिफ्ट हो जाएगी। किसानों व बैंक कर्मचारियों को घबराने की जरूरत नहीं है।
यस बैंक पर कार्रवाई, महावितरण को करंट
उधर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने यस बैंक पर कार्रवाई करने का साइड इफेक्ट महावितरण पर हो गया है। महावितरण की यस बैंक में निधि फंस गई है। महावितरण की यस बैंक में कितनी निधि फंसी, यह अभी जाहिर नहीं हुआ, लेकिन उपभोक्ताओं से यस बैंक के चेक नहीं लेने की गाइडलाइन जरूर जारी हो गई है। महावितरण अपना खाता यस बैंक से भारतीय स्टेट बैंक में शिफ्ट करने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहा है। हाईटेंशन कंज्यूमर (एचटी) के बिल का पेमेंट सीधे यस बैंक के माध्यम से महावितरण तक आता है। महावितरण नागपुर रीजन में विदर्भ के सभी 11 जिले आते हैं। रीजन में महावितरण के करीब 2 हजार एचटी कंज्यूमर है। कंपनी, कारखाने व उद्योग चलाने वालों को एचटी कंज्यूमर कहा जाता है। इनका महीने का बिल भी काफी ज्यादा होता है। इन्हें हेवी कंज्यूमर कहा जाता है। आरबीआई द्वारा यस बैंक पर की गई कार्रवाई से महावितरण को पसीना छूट गया है। आरबीआई ने यस बैंक से हर दिन केवल 50 हजार निकालने की अनुमति दी है। ऐसे में महावितरण की निधि बैंक में फंस गई है।
आरटीजीएस भी नहीं करने का आदेश : निदेशक (वित्त) एमएसईडीसीएल ने यस बैंक के चेक स्वीकार नहीं करने की गाइडलाइन 6 मार्च को जारी की। उपभोक्ताओं से यस बैंक के चेक नहीं लेने व इस बैंक से आगे पैसे का लेन देन नहीं करने को कहा। महावितरण ने इस पर तुरंत अमल करते हुए बकाया बिल की वसूली में लगे स्टाफ को यस बैंक का चेक स्वीकार नहीं करने व यस बैंक के माध्यम से होने वाले आरटीजीएस भी नहीं करने का आदेश दिया है। महावितरण अपना पैसा निकालने के लिए जल्द से जल्द खाता एसबीआई में शिफ्ट करने का भरसक प्रयास कर रहा है, लेकिन ये जल्दी होना मुश्किल लग रहा है। एसबीआई ने यस बैंक के 49 फीसदी शेयर खरीदने की इच्छा जताई है। अगर शेयर खरीदे तो यस बैंक का विलय एक तरह से एसबीआई में हो जाएगा आैर खाताधारकों के पैसे की जिम्मेदारी एसबीआई पर रहेगी। यह मामला लंबा चल सकता है। हर दिन केवल 50-50 हजार रुपए निकालने से महावितरण का काम नहीं चलेगा।