खेतों में हल जोता पशुपालन किया और बदली तकदीर, महिला को ताना मारने वाले हुए कदरदान

खेतों में हल जोता पशुपालन किया और बदली तकदीर, महिला को ताना मारने वाले हुए कदरदान

Bhaskar Hindi
Update: 2020-03-09 08:20 GMT
खेतों में हल जोता पशुपालन किया और बदली तकदीर, महिला को ताना मारने वाले हुए कदरदान

डिजिटल डेस्क,  नागपुर। पति की मौत के बाद लोगों की बातें चुभने लगी थी। जीने की इच्छा खत्म हो गई थी, लेकिन बच्चों को देखकर लड़ने की ठानी। यह कहानी है वर्धा जिले के वड़गांव सावंगी की महिला किसान माधुरी लढ़ी का। आज वह एक सफल महिला किसान है। खेती के साथ पर्यायी उद्योग के तौर पर वह बकरी पालन भी कर रही हैं। ताने मारने वाले आज कदरदान हो गए हैं। 

पति को नहीं बचा सकी
पर्यटनस्थल गिरड़ से पंद्रह किमी की दूरी पर है वड़गांव सावंगी। वहां की निवासी माधुरी  कुंडलीक लढ़ी (35) की लगभग पंद्रह वर्ष पहले किसान कुंडलीक लढ़ी से शादी हुई थी। 26 जून 2015 की रात नागपुर चंद्रपुर महामार्ग पर पति सड़क हादसे का शिकार हो गया। माधुरी ने पति को बचाने की हर संभव कोशिश की है। कर्जा लेकर उपचार पर 3 लाख तक खर्च किए, पर पति को बचा नहीं सकी।

हल  जोतने  खुद खेतों में उतरी 
पति की मौत के बाद माधुरी और उसके दो बच्चों के सामने भूखों मरने की नौबत आ गई। पति ने निजी फायनांस कंपनी से गृह लोन ले रखा था। पति की मौत के बाद वह लोन की किस्तें नहीं भर पाई, तो फायनांस कंपनी ने जीना मुश्किल कर दिया था। घर जब्ती के नोटिस पर नोटिस आने लगे थे।  कई रिश्तेदारों के सामने हाथ फैलाए। कुछ ने मदद भी की, लेकिन अनेकों ने हाथ खड़े कर दिए। भूखे पेट रहने की नौबत आ गई। तब माधुरी ने खेती करने की ठानी, लेकिन शुरूआत में ही पैसे की कमी सामने आई। किसी तरह देवर की पहचान से खाद, बीज और अन्य खेती के लिए लगने वाली सामग्री खरीदी और खेती करने लगी। हल जोतने खुद खेतों में उतरी। आता नहीं था, लेकिन हालात ने धीरे-धीरे सीखा दिया। इतना सब के बाद अपेक्षा के अनुरूप उत्पादन नहीं हुआ, पर माधुरी ने हार नहीं मानी। 

नागपुर में 5 दिन प्रशिक्षण लिया  
माधुरी को लगा सिर्फ खेती पर ही निर्भर रहना ठीक नही। खेती के साथ पर्यायी उद्योग के तौर पर महाराष्ट्र राज्य ग्रामीण जीवन ज्योति अभियान से जुड़ गई। बकरी पालन का प्रचार व प्रसार करने लगी और खुद भी बकरी पालन करने गली। नागपुर के पशु वैद्यकीय महाविद्यालय से बकरी पालन का प्रशिक्षण लिया। फिर क्या था, खेती के साथ बकरी पालन करने लगी। वर्तमान में माधुरी के पास 30 बकरियां है। पांच वर्ष की कड़ी मेहनत के बाद  सफलता मिली। पैसे आने लगे तो फायनांस कंपनी का लोन भी चुकता कर दिया।  

सलाह सुनकर रोना आता था
पति की मौत के बाद घर से बाहर निकलना पड़ा। मजबूरी में किसी की गाड़ी पर बैठकर जाती थी, तो लोग तरह-तरह की बातें करते थे। यहां तक कि बच्चे छोटे होने का हवाला देकर शादी की सलाह देने वालों की भी कमी नहीं थी। लोगों की बातें और उनकी ऐसी सलाह से रोना आ जाता था।

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