चुनिंदा निजी अस्पतालों को ही क्यों दी गई सीधे निर्माताओं से रेमडेसिविर खरीदने की अनुमति

चुनिंदा निजी अस्पतालों को ही क्यों दी गई सीधे निर्माताओं से रेमडेसिविर खरीदने की अनुमति

Bhaskar Hindi
Update: 2021-05-06 16:59 GMT
चुनिंदा निजी अस्पतालों को ही क्यों दी गई सीधे निर्माताओं से रेमडेसिविर खरीदने की अनुमति



डिजिटल डेस्क जबलपुर। मप्र हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि चुनिंदा निजी अस्पतालों को सीधे निर्माताओं से रेमडेसिविर इंजेक्शन खरीदने की अनुमति क्यों दी जा रही है। चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस अतुल श्रीधरन की डिवीजन बैंच ने राज्य सरकार से यह भी पूछा है कि निजी अस्पतालों में वैक्सीनेशन पर रोक क्यों लगाई गई है। इस मामले की अगली सुनवाई 17 मई को निर्धारित की गई है।
हाईकोर्ट ने गुरुवार को सुनवाई शुरू होते ही 19 अप्रैल 2021 को 19 बिंदुओं पर दिए गए आदेश के संबंध में बिंदुवार पालन प्रतिवेदन रिपोर्ट माँगी। डिवीजन बैंच ने आरटीपीसीआर टेस्ट बढ़ाने सहित कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर असंतोष जाहिर किया। कोर्ट मित्र एवं वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ ने कहा कि रेमडेसिविर के संबंध में सरकार की नीति एक समान नहीं है। राज्य सरकार ने कुछ निजी अस्पतालों को सीधे निर्माताओं से रेमडेसिविर खरीदने की अनुमति दी है, जबकि ज्यादातर निजी अस्पतालों को सरकार की ओर से रेमडेसिविर इंजेक्शन दिए जा रहे हैं। डिवीजन बैंच ने राज्य सरकार से इस पर जवाब माँगा है। महाधिवक्ता पुरूषेन्द्र कौरव ने कहा कि सरकारी आँकड़ों में केवल कंफर्म कोविड मरीजों की मौतों के आँकड़ों को शामिल किया जाता है। संदिग्ध मरीजों और घर में होने वाली मौतों को कोविड के आँकड़ों में शामिल नहीं किया जाता है।
2.60 लाख रेमडेसिविर के लिए ग्लोबल टेंडर जारी
महाधिवक्ता पुरूषेन्द्र कौरव ने बताया कि सरकार लगातार रेमडेसिविर इंजेक्शन की उपलब्धता को बढ़ाने का प्रयास कर रही है। 31 मार्च को 60 हजार और हाल ही में 2 लाख रेमडेसिविर के लिए ग्लोबल टेंडर निकाले गए हैं। कोर्ट मित्र श्री नागरथ ने कहा कि 31 मार्च को निकाले गए टेंडर के 60 हजार रेमडेसिविर अभी तक नहीं मिल पाए हैं। सरकार को रेमडेसिविर की उपलब्धता के बारे में दूरदर्शी योजना बनानी चाहिए।
निजी अस्पतालों में क्यों रोका गया वैक्सीनेशन
हाईकोर्ट एडवोकेट्स बार एसोसिएशन के अध्यक्ष मनोज शर्मा की ओर से आवेदन दायर कर कहा गया कि सीएमएचओ जबलपुर ने 3 मई को आदेश जारी कर निजी अस्पतालों में वैक्सीनेशन पर रोक लगा दी है। सीएमएचओ ने निजी अस्पतालों से 30 अप्रैल के बाद बचे हुए वैक्सीन वापस करने के लिए कहा है। श्री शर्मा ने कहा कि निजी अस्पतालों में वैक्सीनेशन पर रोक लगने से उन लोगों को दूसरा डोज लगाने में परेशानी का सामना करना पड़ेगा, जो निजी अस्पतालों में पहला डोज लगवा चुके हैं। इस पर डिवीजन बैंच ने राज्य सरकार से जवाब माँगा है।
जिला स्तर पर शिकायतों के निराकरण की व्यवस्था नहीं
कोर्ट मित्र एवं वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ ने कहा कि राज्य सरकार ने जिला स्तर पर एक समिति का गठन किया गया है, जो सप्ताह में दो बार ऑक्सीजन और रेमडेसिविर के वितरण, निजी अस्पतालों में निर्धारित दरों पर इलाज, आयुष्मान कार्ड पर इलाज के बारे में बैठक करेगी, लेकिन समिति के पास पीडि़तों की शिकायत सुनने का अधिकार नहीं है। शिकायतों के निराकरण के लिए राज्य स्तर पर तीन आईएएस अधिकारियों की समिति बनाई गई है। श्री नागरथ ने कहा कि राज्य स्तरीय समिति के पास पीडि़तों की शिकायत लेकर पहुँचना संभव नहीं है।
सरकारी को ज्यादा और निजी अस्पतालों को कम ऑक्सीजन
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अधिवक्ता शिवेन्द्र पांडे और नर्सिंग होम एसोसिएशन के अधिवक्ता श्रेयस पंडित ने शासकीय अधिकारियों के व्हाट्सएप ग्रुप का स्क्रीन शॉट पेश कर बताया कि सरकारी अस्पतालों को ऑक्सीजन का आवंटन ज्यादा और निजी अस्पतालों को कम किया जा रहा है। डिवीजन बैंच को बताया गया कि ऑक्सीजन का आवंटन मरीजों की संख्या के अनुपात में किया जाना चाहिए।
ग्लेक्सी अस्पताल में जाँच रिपोर्ट आने तक हो सकेगा कोविड का इलाज
डिवीजन बैंच ने ग्लेक्सी अस्पताल जबलपुर में जाँच रिपोर्ट आने तक कोविड का इलाज करने की अनुमति दे दी है। वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत सिंह की ओर से आवेदन दायर कर कहा गया कि 23 अप्रैल को ऑक्सीजन की कमी से पाँच मरीजों की मौत हो गई थी। इसके बाद सीएमएचओ ने आदेश जारी कर ग्लेक्सी अस्पताल में कोविड का इलाज करने पर रोक लगा दी। आवेदन में कहा गया कि अस्पताल में 70 बेड हैं। मामले की अभी जाँच चल रही है। तब तक उन्हें कोविड का इलाज करने की अनुमति दी जाए।

 

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