धार्मिक सौहार्द बढ़ाओ, अंधेरा ज्यादा है तो रोशनी बढ़ाओ : डॉ. परवेज
धार्मिक सौहार्द बढ़ाओ, अंधेरा ज्यादा है तो रोशनी बढ़ाओ : डॉ. परवेज
डिजिटल डेस्क, नागपुर। देश में विविध धर्म के लोगों के बीच बढ़ते अलगाव के मामले सामने आते जा रहे हैं। समझना होगा कि, ईश्वर एक है और पवित्र पुस्तकें इंसान को इंसान के रूप में देखने का संदेश देती हैं, लेकिन कुछ लोग जो धार्मिक सौहार्द को बिगाड़ने की कोशिश करते हैं, वे कैंसर के समान और धर्म के खिलाफ लोग हैं। समस्या का दूसरा सिरा है कि, हम लोग, धर्म के नाम पर बहुत जल्दी उत्तेजित हो जाते हैं, लेकिन यदि अंधेरा ज्यादा है, तो हमें रोशनी बढ़ानी चाहिए।
नफरत को प्यार से जीता जा सकता है। पाक कुरान यही संदेश देती है। अगर कुछ लोग गुस्से या नफरत के कारण मस्जिद में कोई मरा जानवर फेंक दें, तो सबसे आसान है कि, जिस मुसलमान को वह जानवर दिखाई दे, वह उसे मस्जिद से उठा कर दफन करे और मस्जिद साफ कर दे, न कि तलवारें लेकर नफरत करने वालों को मारने निकल जाएं। कुछ लोग कुरान फाड़ देते हैं, तो हिंसा भड़क उठती है। क्या कुरान को फाड़ देने से वह समाप्त हो जाती है? हमारे हाथ से भी तो पढ़ते वक्त कई बार कुरान के पन्ने फट जाते हैं। उसे पानी में विसर्जित कर दें। भड़क कर हिंसा का सहारा लेकर मार-काट मचाना जायज नहीं है। कुरान पवित्र विचारों और संदेशों से बनी है, जब तक उनका अनुसरण किया जाए, कुरान नष्ट नहीं हो सकती।
मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी, हैदराबाद के कुलगुरु डॉ. मोहम्मद असलम परवेज नागपुर विश्वविद्यालय में आयोजित व्याख्यान में अपने विचार रख रहे थे। पद्मभूषण मौलाना अब्दुल करीम पारेख की स्मृति में नागपुर विश्वविद्यालय के सिविल लाइंस स्थित दीक्षांत सभागृह में "समाज के प्रति कर्तव्य" विषय पर व्याख्यान आयोजित किया गया था। कार्यक्रम की अध्यक्षता नागपुर विवि कुलगुरु डॉ. सिद्धार्थविनायक काणे ने की। प्रमुख अतिथियों में प्रकुलगुरु डॉ. विनायक देशपांडे, वित्त व लेखाधिकारी डॉ. राजू हिवसे और ह्यूमेनिटी चैरिटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष माजिद पारेख का समावेश था। पारेख ने कार्यक्रम की प्रस्तावना रखी। कार्यक्रम का संचालन प्रोफेसर डॉ. वीणा दाढ़े ने किया।
आत्मसमीक्षा की जरूरत
डॉ. परवेज ने कहा कि, कुरान पढ़ने वाले मुसलमान उसका अर्थ नहीं समझते और न ही उसका अनुरसरण करते हैं। लोग मुसलमानों को घर देने से क्यों कतराते हैं, इस पर हमेें आत्ममंथन करना होगा। हमने कुरान के संदेशों पर कभी विचार और अमल किया ही नहीं। उसे एक ऐसी पवित्र किताब बना कर रख दिया जिसे खास मौकों पर ही पढ़ा जाता है, जबकि उसके विचारों को आत्मसात करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि, यह गलत अवधारणा है कि, कुरान केवल मुसलमानों की धार्मिक किताब है। ऐसा नहीं है कुरान तो मानवता को मार्ग दिखाने वाली किताब है। उन्होंने कुरान की विविध आयतों के माध्यम से समझाया कि, कुरान इंसान को इंसान के रूप में देखने पर जोर देती है, चाहे वह किसी भी धर्म, जाति या लिंग का हो। यह अमन, सौहार्द और नारी समानता की बात करती है। कुरान समाजवादी विचारों को बढ़ावा देती है, जो दुनिया में संसाधनों के समान अधिकारों की पैरवी करती है। उन्होंने कहा कि, जरूरत से ज्यादा संपत्ति, धन और संसाधन रखना दूसरों के अधिकारों पर अतिक्रमण करने जैसा है। अपने संबोधन में उन्होंने दहेज प्रथा की जमकर आलोचना की और इसके खिलाफ जनजागृति बढ़ाने पर जोर दिया।