Nagpur News: जब 10 हजार पोस्टरों के चलते पलट गया था चुनावी पासा, 1990 के विधानसभा चुनाव का किस्सा

  • सेंट्रल सीट मुस्लिम बहुल इलाका था
  • 1990 के चुनाव में अनीस अहमद की जीत लगभग तय लग रही थी
  • अनीस अहमद मात्र 6 वोटों से चुनाव हार गए थे

Bhaskar Hindi
Update: 2024-11-05 12:22 GMT

Nagpur News : सेवानिवृत्त अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक पीके जैन ने दिवाकर सिंह से जिक्र करते हुए एक किस्सा बताया। जो 1990 के विधानसभा चुनाव का है। उस दौरान मैं नागपुर पुलिस में डीसीपी वेस्ट के पद पर तैनात था। 1990 में विधानसभा चुनाव के समय मुझे नागपुर सेंट्रल विधानसभा सीट के चुनाव निगरानी का जिम्मा मिला था। इस चुनाव में कांग्रेस की तरफ से अनीस अहमद उम्मीदवार थे। अनीस कांग्रेस की छात्र ईकाई एनएसयूआई के अध्यक्ष थे और पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ रहे थे। जबकि उसकी टक्कर जनता दल के बाजीराव यशवंत नारायण से थी। नागपुर सेंट्रल सीट मुस्लिम बहुल इलाका था। 1990 के चुनाव में अनीस अहमद की जीत लगभग तय लग रही थी, लेकिन इसी बीच कुछ ऐसा हुआ कि पासा पूरी तरह से पलट गया और अनीस अहमद मात्र 6 वोटों से चुनाव हार गए थे। 

दरअसल अनीस अहमद 1990 में विधानसभा चुनाव का चुनावों का एलान होने से कुछ महीने पहले अपने दोस्तों के साथ वाराणसी और हरिद्वार घूमने गए थे। उस दौरान उन्होंने माथे पर टीका लगाया था और दोस्तों के साथ फोटो खिचवाई थी। उस समय उन्हें यह अंदाजा नहीं था कि ये तस्वीरें उनके लिए कभी मुसीबत बन जाएंगी। विधानसभा चुनावों के दौरान उसकी वही फोटो कहीं से किसी ने लीक कर दी और वह उनके प्रतिद्वंदी उम्मीदवार के हाथ लग गई। प्रतिद्वंदी उम्मीदवार ने उस फोटो का अच्छा लाभ उठाया। तब आज की तरह सोशल मीडिया का जमाना नहीं था। उसने रातो रात उस फोटो के करीब 10 हजार पोस्टर प्रिंट कराए और नागपुर सेंट्रल विधानसभा क्षेत्र में चस्पा करवा दिए। इससे एक वर्ग विशेष के मतदाता कांग्रेस उम्मीदवार अनीस से नाराजो हो गए और पोस्टर कांड के चलते अनीस अहमद तब विधायक बनते बनते रह गए। पोस्टर का सीधा असर यह हुआ कि जब चुनाव परिणाम आये तो अनीस अहमद महज 6 वोटों से चुनाव हार गए थे।

जनता दल के बाजीराव यशवंत नारायण को 22323 वोट मिले थे, जबकि अनीस को 22317 वोट हासिल हुए थे। उस समय अनीस ने चुनाव अधिकारी से दोबारा काउंटिंग कराने की मांग की और चुनाव अधिकारी के कहने पर उन्होंने रि-काउंटिंग के लिए आवेदन भी दिया था। पर उन्हें कोई राहत नहीं मिल सका था। इसके बाद अनीस ने बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया था, लेकिन वहां भी कोर्ट के सामने चुनाव अधिकारी ने कह दिया कि अनीस ने दोबारा गिनती करने का कोई आवेदन ही नहीं दिया। जबकि मेरे सामने अनीस ने दोबारा वोटों की गिनती कराने के लिए आवेदन लिखकर दिया था, लेकिन चुनाव अधिकारी के कोर्ट में मना करने के चलते उन्हें वहां से भी कोई राहत नहीं मिल पाई। अनीस बाद में विधायक और महाराष्ट्र सरकार में मंत्री भी बनें।


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