सिर्फ वोट बैंक बन कर रह गए हैं गुजरात के उत्तरभारतीय, दोनों दलों से नहीं मिली उम्मीदवारी 

सिर्फ वोट बैंक बन कर रह गए हैं गुजरात के उत्तरभारतीय, दोनों दलों से नहीं मिली उम्मीदवारी 

Bhaskar Hindi
Update: 2017-12-07 14:19 GMT
सिर्फ वोट बैंक बन कर रह गए हैं गुजरात के उत्तरभारतीय, दोनों दलों से नहीं मिली उम्मीदवारी 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। विजय सिंह ‘कौशिक’। धर्म की बजाय इस बार जातिवाद की राजनीति में उलझे गुजरात विधानसभा चुनाव में दोनों प्रमुख दलों ने उत्तरभारतीयों की अपेक्षा की है। दोनों प्रमुख दलों भाजपा व कांग्रेस ने दक्षिण गुजरात में एक भी उत्तरभारतीय को उम्मीदवारी नहीं दी। इससे इस इलाके के उत्तरभारतीय मतदाताओं में नाराजगी है। उत्तरभारतीयों को अपने पाले में करने के लिए गुजरात पहुंचे भाजपा के उत्तरभारतीयों नेताओं को स्थानीय उत्तरभारतीय मतदाताओं से हर रोज यह उलाहना सुनना पड़ रहा है। 

यहां हैं बड़ी संख्या में उत्तरभारतीय मतदाता
सूरत की 12 विधानसभा सीटों में दो सीट उधना और चोर्यासी में बड़ी संख्या में उत्तरभारतीय मतदाता हैं। चोर्यासी में करीब 1 लाख 60 हजार और उधना में 40 हजार उत्तरभारतीय मतदाता हैं। भाजपा के लिए प्रचार में जी-जान से जुटी प्रतिभा ठाकुर कहती हैं कि इस बार हमें उम्मीद थी कि पार्टी किसी उत्तरभारतीय को टिकट देगी पर निराश होना पड़ा। उत्तरभारतीय दुखी होने के बावजूद भाजपा के साथ खड़े हैं। एक एनजीओ चलाने वाली ठाकुर का दावा है कि दक्षिण गुजरात में करीब 20 लाख उत्तरभारतीय हैं। राज्य के सूरत, वापी, अहमदाबाद, भरुच व अंकलेश्वर ऐसे इलाके हैं, जहां बड़ी संख्या में उत्तरभारतीय रहते हैं। 

उत्तरभारतीयों की नहीं मिला उचित स्थान
सूरत महानगरपालिका में कांग्रेस के नगरसेवक धनसुख राजपूत को 2012 और 2016 में हुए उपचुनाव में कांग्रेस पार्टी ने अपना उम्मीदवार बनाया था। वे इस बार भी टिकट के लिए इच्छुक थे। लेकिन कांग्रेस ने भी भाजपा के तरह किसी भी उत्तरभारतीय को अपना उम्मीदवार नहीं बनाया। इससे नाराज हो कर राजपूत पार्टी से इस्तीफा दे चुके थे। लेकिन वरिष्ठ नेताओं की मानमनौव्वल के बाद फिलहाल वे फिर से पार्टी में लौट आए हैं। मूलरुप से उत्तरप्रदेश के भदोही जिले के रहने वाले राजपूत कहते हैं कि दोनों दलों ने उत्तरभारतीयों के मुंह पर तमाचा मारा है। महाराष्ट्र की तरह गुजरात में उत्तरभारतीय यहां की राजनीति में अपनी जगह क्यों नहीं बना सके? इस सवाल पर राजपूत कहते हैं कि मोदी लहर में सत्ताधारी भाजपा ने उत्तरभारतीयों की कभी कदर ही नहीं की, इसके बावजूद वे उनके मतदाता बने रहे। 

किसके साथ हैं उत्तरभारतीय?
वडोदरा में पार्टी उम्मीदवारों का प्रचार करने पहुंचे मुंबई भाजपा के उपाध्यक्ष आरयू सिंह बताते हैं कि वडोदरा में भाजपा ने दो हिंदीभाषियों राजुल त्रिवेदी और मधु श्रीवास्तव को टिकट दिया है। यहां कांग्रेस ने भी बच्चु श्रीवास्तव को उम्मीदवारी दी है। सिंह कहते हैं कि वडोदरा के उत्तरभारतीय भी भाजपा के साथ हैं। हम दक्षिण गुजरात के उत्तरभारतीयों से भी भाजपा का साथ देने की अपील करते हैं।     


 

Similar News