Mumbai News: मनपा के 1500 डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ पर बेरोजगारी का संकट

मनपा के 1500 डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ पर बेरोजगारी का संकट
  • अस्थाई भर्ती बताकर आयुक्त ने किया पदों को रद्द
  • बिना वेतन दिए ही कर्मचारियों को काम से हटाया
  • एक नवंबर से काम पर न आने का मौखिक आदेश

Mumbai News मुंबई मनपा के प्रमुख और उपनगरीय अस्पतालों, प्रसूति गृह, दवाखानों में पिछले कुछ वर्षों से ठेके पर कार्यरत 1500 डॉक्टर और पैरा मेडिकल स्टाफ पर बेरोजगारी का संकट छा गया है। इन 1500 में से आधे से ज्यादा कर्मचारियों को प्रशासन ने बीते महीने ही निकाल दिया है। जबकि शेष कर्मचारियों को एक नवंबर से काम पर न आने का मौखिक आदेश अस्पतालों के अधीक्षकों ने दे दिया है। जबकि बीते दो महीनों से वेतन भी निकाले गए कर्मचारियों को मनपा प्रशासन ने बकाया रखा है। प्रशासन के इस फैसले से अस्पताल में डॉक्टर से लेकर कर्मचारियों की कमी की समस्या मरीजों को भुगतनी पड़ेगी।

मुंबई मनपा ने सायन, नायर, केईएम, कूपर सहित 16 उपनगरीय अस्पतालों, दवाखानों आदि के लिए ठेके पर कर्मचारियों की नियुक्ति की थी। इनमें बच्चों के डॉक्टरों से लेकर, कैंसर सहित विभिन्न रोगों के विशेषज्ञ, लैब टेक्नीशियन, फार्मासिस्ट, नर्सेस सहित कई पैरा मेडिकल स्टाफ का समावेश है। इनमें से कुछ नियुक्तियां एक से दो वर्ष पहले तो कई नियुक्तियां 6 महीने पहले की गई थीं। यह सभी नियुक्तियां प्रशासन द्वारा हंगामी तौर (अस्थाई) पर निर्माण किए गए पदों पर की गई थीं। हंगामी तौर पर निर्माण किए गए इन सभी पदों पर मनपा प्रशासन को दो से तीन वर्षों के भीतर स्थाई रूप से कर्मचारियों को नियुक्त करना था। लेकिन प्रशासन इन पदों पर स्थाई रूप से नियुक्तियां करने में असफल रहा। इसी की आड़ लेकर मुंबई मनपा आयुक्त भूषण गगरानी ने एक सर्कुलर जारी कर सभी विभागों के प्रमुखों को इन हंगामी पदों को रद्द करने का आदेश दिया था। अगस्त में जारी इसी आदेश का पालन अब चरणबद्ध तरीके से किया जा रहा है।

दो महीने से वेतन नहीं : कांदिवली शताब्दी अस्पताल में लैब टेक्नीशियन के रूप में कार्यरत आफताब शेख ने बताया कि उन्हें दो महीने का वेतन दिए बिना ही उनका कॉन्ट्रेक्ट खत्म कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि नियुक्ति के समय उन्हें स्थाई करने का आश्वासन प्रशासन ने दिया था। लेकिन अब बिना वजह बताए उन्हें हटा दिया गया। यही कहना है एक अन्य लैब टेक्नीशियन शगुफ्ता का। शगुफ्ता ने बताया कि उन्हें भी दो महीने का वेतन नहीं दिया गया। काम पर से निकाले जाने की वजह तक नहीं दी गई। इसी तरह मुलुंड के वीर सावरकर अस्पताल में कार्यरत डॉ. हरेश ने बताया कि उन्हें एक नवंबर से काम पर न आने का मौखिक आदेश दिया गया है।

इन अस्पतालों से इतने हटाए जा रहे कर्मचारी

- केईएम, सायन, नायर और कूपर अस्पताल से 141 कर्मचारी

- 16 उपनगरीय अस्पतालों से एक हजार कर्मचारी

- डिस्पेंसरी, प्रसूति आदि से 350 से अधिक कर्मचारी

Created On :   21 Oct 2024 3:10 PM GMT

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