बंधुआ मजदूरी पर विधान परिषद में घिरे आदिवासी विकास मंत्री
उपसभापति ने जताई नाराजगी बंधुआ मजदूरी पर विधान परिषद में घिरे आदिवासी विकास मंत्री
डिजिटल डेस्क, मुंबई। विधान परिषद में प्रदेश के आदिवासी विकास मंत्री विजय कुमार गावित आदिवासी समाज के बच्चों से बंधुआ मजदूरी कराए जाने के मुद्दे पर विपक्ष के निशाने पर आए गए। विपक्ष ने आदिवासी बच्चों को बंधुआ मजदूर बनाए जाने को लेकर गावित को जमकर घेरा।आखिरकार गावित को सदन में स्पष्टीकरण देना पड़ा। गावित ने बताया कि नाशिक, पालघर और ठाणे से बंधुआ मजदूरी करने वाले 26 मजदूरों को छुड़ाया गया है। शुक्रवार को सदन में प्रश्नकाल के दौरान भाजपा सदस्यरमेश पाटील आदिवासी आश्रम स्कूलों के बच्चों के लिए अनाज खरीदी के टेंडर में देरी को लेकर सवाल उठाया था। इस दौरान उपसभापति नीलम गोर्हे ने गावित के कामकाज को लेकर अप्रत्यक्ष रूप से नाराजगी जताई। उपसभापति ने गावित से कहा कि प्रश्नकाल में जवाब देने के लिए आप सदन में आए हैं, यह सचमुच सदन का भाग्य है। सदन में उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी मौजूद हैं। गोर्हे ने कहा कि मैंने नाशिक के इगतपुरी में आदिवासी बच्चों को बेचने से जुड़ी खबर को लेकर आदिवासी विभाग को पत्र लिखा था। इसके अलावा आदिवासी आश्रम स्कूलों के बच्चों की मौत को लेकर मीडिया में खबरें प्रकाशित हुए थीं। लेकिन मुझे आदिवासी विकास विभाग की ओर से दोनों मामलों में कोई उचित जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई।
उपसभापति ने कहा कि राज्य के कुछ मंत्री अपने काम और प्रसार-प्रचार को लेकर काफी अलर्ट रहते हैं। लेकिन मुझे आश्चर्य हुआ कि इतनी बड़ी-बड़ी घटनाओं पर भी आदिवासी विभाग की ओर से कोई स्पष्टीकरण नहीं आता है। इस पर गावित ने उपसभापति से कहा कि आपके पास जानकारी भले नहीं पहुंची होगी लेकिन मैंने खुद घटनास्थल पर जाकर अधिकारियों को कार्रवाई के बारे में उचित निर्देश दिए थे। इस बीच राकांपा के सदस्य एकनाथ खडसे ने कहा कि आदिवासी बच्चों की बिक्री महाराष्ट्र के लिए शर्मनाक है। इसलिए मंत्री को तुरंत सदन में जवाब देना चाहिए। इसके जवाब में गावित ने कहा कि राज्य में आदिवासी बच्चों की बिक्री नहीं हुई है। कुछ लोगों ने आदिवासी बच्चों को बंधुआ मजदूर के रूप में काम पर रखा था। इससे नाराज खडसे ने कहा कि राज्य में बंधुआ मजदूरी को रोकने के लिए कानून है। मंत्री खुद कह रहे हैं कि आदिवासी बच्चों को बंधुआ मजदूर बनाया गया था। राज्य में आदिवासी बच्चे सुरक्षित नहीं है क्या?
इसके बाद गावित ने सदन में स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि भेड़ पालक (गडरिया) व्यवसायी दलालों के माध्यम से आदिवासी अभिभावकों को लालच देकर उनके बच्चों को बंधुआ मजदूरी के लिए ले जाते हैं। बीते कुछ महीनों में राज्य में 26 बच्चों को बंधुआ मजदूरी से छुड़ाया गया है। जिसमें से एक बच्चे की मौत हो चुकी है। वहीं 18 बच्चों का दाखिला आश्रम स्कूल में कराया गया है। बाकी बच्चों को उनके अभिभावकों को सौंप दिया गया है। गावित ने कहा कि बच्चों से बंधुआ मजदूरी कराने वालों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।