Chhatrapati Sambhajinagar News: मराठवाड़ा में लोहे को लोहा ही काटेगा! अब तक घोषित भाजपा के 16 उम्मीदवारों में 10 मराठा

  • 4 मुख्यमंत्री, कई दिग्गज नेता देने वाला संभाग प्रशस्त करता रहा है सत्ता की राह
  • लोकसभा में 8 में 7 सीटें जीतकर मविआ के हौसले हैं बुलंद
  • महायुति माधव संग लाडली योजनाओं व मराठा बाण संग है तैयार

Bhaskar Hindi
Update: 2024-10-23 13:38 GMT

Chhatrapati Sambhajinagar News : दीपक अग्रवाल | राज्य में सत्ता पानी है तो 4 मुख्यमंत्री और गोपीनाथ मुंडे जैसे नेता देने वाले मराठवाड़ा की अनदेखी नहीं की जा सकती। बात आज की करें तो महाविकास आघाड़ी मराठा आंदोलन के दम पर लोकसभा में यहां 8 में से 7 सीटें हथिया चुकी है तो लगभग सभी 46 सीटों पर आगे भी इसका प्रभाव जारी रहने से इनकार नहीं किया जा सकता। लिहाजा, मविआ मराठवाड़ा संभाग को आसान जीत की कुंजी मान रही है। उसके हौसले बुलंद हैं। लेकिन, महायुति भी अपनी लाडली योजनाओं के दम पर कड़ी टक्कर देने के लिए मैदान में डट चुकी है। हरियाणा की जीत ने भी जोश भरा है और वह अपने पुराने ‘माधव' (माली, धनगर और वंजारी समाज) फार्मूले को एक बार फिर आजमा रही है, प्रमाण है कि अभी तक घोषित पहली लिस्ट में मराठवाड़ा के 16 नामों में से 10 मराठा हैं। यानी लोहे को लोहे से काटने की भी तैयारी है। देखना होगा कि ओबीसी समाज की नाराजगी झेल रही मविआ कैसे टक्कर देती है।

...तो महायुति का होगा सूपड़ा साफ : कटु सत्य है कि विकास, बदलाव व आम इंसान के मुद्दों की बातें कितनी भी की जाएं, चुनाव घोषित होते ही सारे समीकरण जाति के आधार पर ही तय होने लगते हैं। कांग्रेस और सहयोगी पार्टियां तो जातिगत जनगणना के पीछे ही पड़ी हैं। लोकसभा में भी जातिगत समीकरण उनके पक्ष में रहे। परंतु, यह भी सच है कि लोकसभा और अब विधानसभा चुनावों के बीच गोदावरी में काफी पानी बह चुका है। आम आदमी के लिए अलग और स्थानीय मुद्दे हैं। मुद्दा पिछड़ेपन का है, पश्चिम महाराष्ट्र की तुलना में मराठवाड़ा के बार-बार नीचा देखने का है, किसानों की दुर्दशा आदि का है। देखना होगा कि मराठा कार्ड के आगे ये सभी मुद्दे गौण होंगे कि नहीं। जैसे लोकसभा में मराठा विरोध ने रावसाहब दानवे, पंकजा मुंडे, चिखलीकर जैसे दिग्गजों को कहीं का नहीं छोड़ा, यदि ऐसा ही ट्रेंड विधानसभा में जारी रहा और मराठों के साथ मुस्लिम मतदाता भी केवल भाजपा को सत्ता से दूर रखने के मुद्दे पर आ गया तो यकीन मानिये कि महायुति का सूपड़ा साफ होने में देर नहीं लगेगी।

मराठा आएंगे तो बदलेगा भविष्य? : भविष्य को ही ध्यान में रखकर भाजपा ने देवेंद्र फडणवीस के स्थान पर मराठा एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री पद सौंपा। उपमुख्यमंत्री के रूप में मराठा अजीत पवार को भी साथ लिया। लेकिन, मराठा आंदोलन ने उनके हुकुम के इक्के को भी तेजहीन कर दिया। लेकिन, भाजपा ने हिम्मत नहीं खोई है। 10 प्रतिशत मराठा आरक्षण देने के साथ ही भाजपा की ओर से मराठवाड़ा के लिए अब तक 16 में से 10 मराठा उम्मीदवार घोषित किए गए हैं। यह भी याद रखा जाना चाहिए, इन 10 में श्रीजया और अनुराधा को छोड़कर शेष 8 पहले से ही भाजपा के टिकट पर निर्वाचित हो चुके हैं। अब देखना यह है, महाविकास आघाड़ी यहां किस जाति के उम्मीदवारों को लेकर आती है। एक और महत्वपूर्ण बात कि सर्वाधिक विधानसभा सीटों वाले क्षेत्रों नांदेड़ और औरंगाबाद में परिस्थितियां महायुति थोड़ी-थोड़ी अपने पक्ष में मान सकती है कि नांदेड़ में अशोक चव्हाण सभी 9 सीटों पर प्रभाव रखते हैं और उनकी बेटी को टिकट दिए जाने से कुछ तो फर्क पड़ेगा ही। वहीं, भरपूर मराठा विरोध के बावजूद मराठवाड़ा में एकमात्र औरंगाबाद सीट जीतने वाले संदीपान भूमरे 9 सीटों पर अलग ही खेल रचने की तैयारियों में हैं।

लोकसभा में 8 में से 7 विजयी उम्मीदवार थे मराठा, केवल कालगे थे अनुसूचित जाति से

मुस्लिमों का साथ क्या रंग लाएगा : मराठवाड़ा की कई सीटों पर मराठा समुदाय के वोट 70 हजार से एक लाख तक हैं। करीब 28 प्रतिशत के इतने बड़े बहुमत को तोड़ना आसान नहीं है। जो अभी जरांगे पाटील ने करीब 13 प्रतिशत मुस्लिमों के साथ गठजोड़ के जो प्रयास शुरू किए हैं, वे महायुति ही नहीं महाविकास आघाड़ी के लिए भी खतरा हैं। यदि मराठों को ओबीसी में आरक्षण दिए जाने की मांग से नाखुश ओबीसी व अन्य दलित व पिछड़ा समाज एक हुआ तो मराठवाड़ा में नए तरह के समीकरण बनेंगे, जातीय ध्रुवीकरण तो होगा ही, जिनका अंदाजा उम्मीदवारों की घोषणा होने के बाद ही लगाया जा सकता है।

ऐसा है भाजपा का सामाजिक चक्रव्यूह

मराठा समाज

श्रीजया चव्हाण भोकर

राजेश पवार नायगांव

अभिमन्यु पवार औसा

संभाजी पाटील निलंगेकर निलंगा

राणा जगजीत सिंह पाटील तुलजापुर

तानाजी मुटकुले हिंगोली

मेघना बोर्डिकर जिंतूर

अनुराधा चव्हाण फुलंब्री

 संतोष दानवे भोकरदन

बबनराव लोणीकर परतूर

ओबीसी

अतुल सावे औरंगाबाद पूर्व

डॉ. तुषार राठौड़ मुखेड़

आदिवासी समाज

भीमराव केराम किनवट

एससी समाज

नारायण कुचे बदनापुर

जैन मारवाड़ी समाज

प्रशांत बंब गंगापुर

नमिता मुंदड़ा केज

विधानसभा 2019 का रण

16 भाजपा

12 शिवसेना

8 कांग्रेस

8 राकांपा

2 अन्य

लोकसभा 2024 का हाल

3 कांग्रेस

3 शिवसेना (उद्धव)

1 राकांपा (शरद)

1 शिवसेना (शिंदे)

मराठवाड़ा ने दिए 4 कांग्रेसी मुख्यमंत्री

शिवाजीराव पाटील-निलंगेकर

शंकरराव चव्हाण

विलासराव देशमुख

अशोक चव्हाण (अब भाजपा में)

मराठवाडा 17 सितंबर, 1948 को आजादी के 13 महीने बाद भारत में शामिल

65% आबादी कृषि पर निर्भर

1,088 किसानों ने 2023 में की आत्महत्या

2024 लोकसभा में मविआ ने ऐसे दी पटखनी

कांग्रेस : लातूर, जालना, नांदेड़

शिवसेना उबाठा : धाराशिव, परभणी, हिंगोली

राकांपा शरद पवार : बीड़

शिवसेना शिंदे :

औरंगाबाद

 46 में से 32 विधानसभा सीटों पर मविआ रही आगे

15 शिवसेना उबाठा

14 कांग्रेस

3 राकांपा शरद पवार

4 शिवसेना शिंदे

7 भाजपा

1 रासप

जरांगे पाटील फैक्टर

66 दिन कुल अनशन की रही अवधि, 13 महीने में 6 बार किया अनशन

29 अगस्त, 2023 पहला अनशन, 17 दिन चला

2019 में यहां हुआ कांटे का मुकाबला

भोकरदान, भोकर, नायगांव, देगलूर, मुखेड़, उदगीर, अहमदपुर, माजलगांव

8 जिले विधानसभा सीटें 46

लोकसभा में 8 में से 7 विजयी उम्मीदवार थे मराठा, केवल कालगे थे अनुसूचित जाति से

मुस्लिमों का साथ क्या रंग लाएगा : मराठवाड़ा की कई सीटों पर मराठा समुदाय के वोट 70 हजार से एक लाख तक हैं। करीब 28 प्रतिशत के इतने बड़े बहुमत को तोड़ना आसान नहीं है। जो अभी जरांगे पाटील ने करीब 13 प्रतिशत मुस्लिमों के साथ गठजोड़ के जो प्रयास शुरू किए हैं, वे महायुति ही नहीं महाविकास आघाड़ी के लिए भी खतरा हैं। यदि मराठों को ओबीसी में आरक्षण दिए जाने की मांग से नाखुश ओबीसी व अन्य दलित व पिछड़ा समाज एक हुआ तो मराठवाड़ा में नए तरह के समीकरण बनेंगे, जातीय ध्रुवीकरण तो होगा ही, जिनका अंदाजा उम्मीदवारों की घोषणा होने के बाद ही लगाया जा सकता है।


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