Nagpur News: इस साल नहीं हो पाएगी कर्कश पटाखों की जांच, एमपीसीबी के पास फंड का अभाव

  • परीक्षण पर अब तक चर्चा नहीं
  • कर्कश शोर पर नहीं जोर

Bhaskar Hindi
Update: 2024-10-23 11:52 GMT

Nagpur News : नीरज दुबे | दीपावली के दौरान आतिशबाजी के लिए पटाखे बिक्री के लिए आ चुके हैं। इतवारी, प्रतापनगर, महल, समेत सभी इलाकों में थोक एवं खुदरा दुकानें सज गई हैं। इस साल चुनाव के चलते भी बड़े पैमाने पर पटाखों की खपत तय मानी जा रही है, लेकिन दीपावली के पहले सामान्य पटाखों की जांच और ग्रीन पटाखों को लेकर जनजागरण प्रक्रिया भी पूरी तरह से थम गई है।

कर्कश शोर पर नहीं जोर

राज्य भर में बिक्री और इस्तेमाल होने वाले पटाखों की ध्वनि और वायु को लेकर दीपावली से पहले महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से पटाखा परीक्षण के लिए निर्देश जारी होता है, लेकिन इस साल राज्य भर के 12 प्रादेशिक और 52 उपप्रादेशिक कार्यालयों को सालाना अनुदान भी नहीं मिला है। अनुदान और निर्देशों के चलते इस साल राज्य भर में पटाखों का परीक्षण नहीं हो पाएगा। परीक्षण नहीं होने से खतरनाक और कर्कश शोर वाले पटाखों के बाजारों तक पहुंचने की संभावना बन गई है।

यह प्रक्रिया अपनाई जाती है : हर साल दीपावली के 15 दिन पहले ध्वनि और वायु प्रदूषण को लेकर पटाखों का परीक्षण होता है। मुंबई स्थित प्रदूषण नियंत्रण मंडल मुख्यालय से निर्देश मिलने पर प्रत्येक उपप्रादेशिक कार्यालय के स्तर पर शहर में बिक्री होनेवाले पटाखों के नमूनों काे संकलित किया जाता है। इन पटाखाें के 31 से अधिक श्रेणी के नमूनों को संकलन कर शहर के सुनसान और बाहरी इलाके फोड़कर परीक्षण किया जाता है। इस प्रक्रिया में वायु प्रदूषण मापक यंत्र से पीएम-10 और पीएम 2.5 (पार्टिकुलेटेड मैटर) और ध्वनि मापक यंत्र से पटाखों के शोर 125 डेसीबल के मानक की जांच की जाती है। उपराजधानी में परीक्षण में 31 श्रेणी के मध्यम और बड़े पटाखों को गोंडखैरी के एक्सप्लोजिव विभाग के क्षेत्र में फोड़कर परीक्षण किया जाता है। पिछले साल पटाखों में 80 से 90 डेसीबल तक ध्वनि मात्रा पाई गई थी। ऐसे में एमपीसीबी ने शहर में फूटने वाले पटाखों को सुरक्षित माना था।

अनुदान की कमी : महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से उपराजधानी में प्रादेशिक कार्यालय का संचालन होता है। इसके अंतर्गत वर्धा, नागपुर, गोंदिया और भंडारा की औद्योगिक ईकाईयों, लघु उद्योग समेत वायु और ध्वनि प्रदूषण को लेकर जांच की जाती है, जबकि उपप्रादेशिक कार्यालय चंद्रपुर में गड़चिराेली का समावेश है। कार्यक्षेत्र की औद्योगिक ईकाईयों की जांच, कार्यवाही और अन्य प्रक्रिया से आनेवाले राजस्व को मुंबई भेजा जाता है। इसके बाद मुंबई मुख्यालय से प्रादेशिक कार्यालय को सालाना 1 करोड़ रुपए और उपप्रादेशिक कार्यालय को प्रस्तावों के अनुरूप अनुदान दिया जाता है।

परीक्षण पर अब तक चर्चा नहीं

वी एम मोटघरे, संयुक्त निदेशक, एयर पॉल्युशन कंट्रोल सिस्टम के मुताबिक कार्यलयीन नीतियों के तहत पटाखों के परीक्षण का फैसला लिया जाता है। इस मर्तबा परीक्षण करने अथवा नहीं करने को लेकर अब तक कोई भी चर्चा नहीं हुई है। दीपावली को काफी समय है, ऐसे में परीक्षण करने को लेकर निर्णय हो भी सकता है।


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