खचाखच चल रही ट्रेनें, स्लीपर कोच बने जनरल, टायलेट तक भरा सामान
खचाखच चल रही ट्रेनें, स्लीपर कोच बने जनरल, टायलेट तक भरा सामान
डिजिटल डेस्क, नागपुर। ट्रेनों की कमी के कारण कुछ गाड़ियों की जनरल बोगी में 2 सौ तक यात्री सफर करते नजर आ रहे हैं। झुलसा देने वाली गर्मी में खचा-खच भरी इन बोगियों में यात्रियों की हालत खराब हो रही है। नागपुर स्टेशन पर आने वाली कामाख्या एक्सप्रेस, संघमित्रा, राप्तिसागर एक्सप्रेस, हावड़ा-मुंबई मेल, आजाद हिंद एक्सप्रेस में जगह नहीं मिलने से यात्री शौचालय में बैठकर सफर कर रहे हैं। हाल ही में उत्तर प्रदेश के आगरा व झांसी के केरला एक्सप्रेस के स्लीपर कोच में सफर कर रहे चार यात्रियों की मौत हो गई थी। मुख्य कारण गर्मी ही थी। गर्मी के कारण कुछ यात्री स्लीपर कोच में चढ़ जाते हैं। नतीजतन, भीड़ ऐसी होती है कि आरक्षित बोगियां जनरल की तरह ही बन जाती है और कंफर्म टिकट रहने के बावजूद यात्री अपनी सीट तक भी नहीं पहुंच पाते हैं। ऐसी स्थिति आए दिन हो रही है।
क्षमता मात्र 108 की
वैसे तो एक बोगी में 108 यात्री के बैठने की व्यवस्था होती है, लेकिन बिना किसी रोक-टोक इन बोगियों में यात्रियों की भीड़ हर स्टेशन पर बढ़ते ही जाती है। कभी-कभी 2 सौ पार हो जाती है। इससे सफर के दौरान बोगी में पैर रखना भी मुश्किल हो जाता है। समस्या यहीं पर खत्म नहीं होती है। रही-सही कसर आउटर पर गाड़ियों में चढ़नेवाले अवैध वेंडर व किन्नर पूरी कर देते हैं।
सबसे सस्ता साधन, इसलिए प्राथमिकता
सबसे सस्ता व सुविधाजनक सफर एसटी बसों के बाद रेलवे को माना जाता है। कम किराए में लंबी दूरी हर किसी के लिए संभव होती है। एसी, स्लीपर श्रेणी जैसी आरक्षित बोगियों का किराया कुछ हद तक महंगा होता है, लेकिन गाड़ी के जनरल बोगी का किराया देना हर किसी के लिए संभव रहता है। साथ ही इस श्रेणी में सफर करने के लिए पहले से आरक्षण करने की जरूरत नहीं रहती है। परिणामस्वरूप हर गाड़ी की जनरल बोगियां ठसा-ठस भरी रहती हैं।
गर्मी जैसे जान निकाल ले
किसी गाड़ी में चार तो किसी में 2 ही जनरल बोगी रहती है। बिना किसी रोक-टोक इस बोगी में भीड़ बढ़ती जाती है। इन दिनों बारिश नहीं होने से चिलचिलाती धूप उमस पैदा कर रही है और ऐसे में लगता है मानो गर्मी से जान ही निकाल जाएगी।