मेडिकल कॉलेज में प्रशिक्षण - अस्पतालों में आग की घटनाओं से कैसे बचें
सावधानी मेडिकल कॉलेज में प्रशिक्षण - अस्पतालों में आग की घटनाओं से कैसे बचें
डिजिटल डेस्क, अकोला. अस्पताल की इमारत में अगर आग लगने जैसी घटना हो तो इसे किस तरह काबू में किया जा सकता है या फिर किस तरह रेस्क्यू आपरेशन चलाया जा सकता है। इस संदर्भ में बुधवार को जिला महिला अस्पताल एवं शासकीय मेडिकल कॉलेज में मॉक ड्रिल हुई। इस प्रात्यक्षिक के माध्यम से आग लगने से किस तरह रोका जा सकता है इस विषय पर भी समूचित जानकारी दी गई। यह प्रात्यक्षिक का बुधवार को महापालिका व आपदा प्रबंधन विभाग के सहयोग से किया गया। इस संबंध में कलेक्टर नीमा अरोरा के निर्देशानुसार निवासी उपजिलाधिकारी प्रा.संजय खडसे के सुझाव पर बुधवार को रंगारंग पूर्वाभ्यास किया गया।
जिला महिला अस्पताल में हुए इस मॉक ड्रिल के दौरान अधीक्षक डॉ. आरती कुलवाल, महापािलका के दमकल अधिकारी एम.एच.मनियार, आपदा प्रबंधन प्रशिक्षक सुधीर कोहचाले, शैलेंद्र मडावी, आपदा प्रबंधन अधिकारी संदीप साबले, तलाठी सुनील कल्ले, प्रशासनिक अधिकारी डांबरे, शासकीय मेडिकल कॉलेज के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. भूपेंद्र पाटिल, उप चिकित्सा अधीक्षक डॉ. रवि खंडारे, चिकित्सा अधिकारी, परिचारिकाएं तथा अन्य कर्मचारी उपस्थित रहे।
उपकरण प्रबंधन और प्रदर्शन
गर्मियों के दौरान बड़ी संख्या में आग लगने की घटनाएं होती हैं। उपस्थित अधिकारियों और कर्मचारियों को ऐसे मामले में किए जाने वाले निवारक और सुरक्षात्मक उपायों के बारे में प्रशिक्षित किया गया। उपस्थित लोगों को अग्निशमन यंत्रों की व्यवस्था के बारे में बताया गया। आग लगाने व मशीन से बुझाने का प्रदर्शन दिखाया गया। उन्होंने आग के प्रकार और आग पर काबू पाने के लिए कौन-कौन से उपकरण इस्तेमाल करने चाहिए, इस बारे में भी विस्तार से जानकारी दी।
बरती जाने वाली सावधानियां
सार्वजनिक भवनों जैसे अस्पताल परिसर में अग्निशमन प्रणाली स्थापित की जानी चाहिए। समाप्ति से पहले उपकरण पूर्ण रूप से भरे हुए होने चाहिए। अग्निशमन यंत्र लगाते समय इसे ऐसी जगह लगाना चाहिए कि उपयोग के लिए इसे आसानी से हटाया जा सके। अग्नि सुरक्षा ऑडिट के अनुसार त्रुटियों को दूर किया जाना चाहिए और अग्निशमन प्रणाली स्थापित की जानी चाहिए। साथ ही, अस्पताल में स्प्रिंकलर, फायर अलार्म और स्मोक डिटेक्टर लगाए जाने चाहिए आदि महत्वपूर्ण जानकारी महापालिका के अग्निशमन अधिकारी एम.एच. मनियार ने उपस्थित लोगों को दिया।
आग के प्रकार : टाइप ए आग : जब जलने वाली सामग्री कार्बनयुक्त और कागज, लकड़ी, कोयला, प्लास्टिक, रबर जैसी ठोस होती है। तब वह अग्नि ‘अ' प्रकार की अग्नि कहलाती है।
‘बी’ प्रकार की आग : जब ज्वलनशील पदार्थ तरल रूप में होता है या कोई ठोस पदार्थ तरल रूप में जल रहा होता है, तो ‘बी’ प्रकार की आग कहलाती है। जैसे पेट्रोल, डीजल, आयल, रसायन, पेंट आदि।
‘सी’प्रकार की आग : वह आग जिसमें ज्वलनशील गैस रूप में या तरल पदार्थ जल रहा हो, ‘सी’ प्रकार की आग कहलाती है। उदा. रसोई गैस, वेल्डिंग गैस आदि।
‘डी’ प्रकार की अग्नि : जब कोई धातु जलती है तो वह डी प्रकार की अग्नि कहलाती है। उदा. सोडियम पोटेशियम, मैग्नीशियम, टाइटेनियम आदि।