बच्चों को वेदना से बचाने सरकारी और निजी मेटरनिटी होम में लगेंगे पालने
जबलपुर बच्चों को वेदना से बचाने सरकारी और निजी मेटरनिटी होम में लगेंगे पालने
डिजिटल डेस्क,जबलपुर। अक्सर नवजात बच्चों को कचरे के ढेर, जंगल, नाली या नालों में छोड़ या फेंक दिया जाता है। इससे कई बच्चों की मृत्यु तक हो जाती है और कई गंभीर रूप से घायल हो जाते हैं। ऐसा न हो और बिना पहचान बताए यदि कोई बच्चे को छोड़ना चाहता है ताे हर सरकारी और निजी मेटरनिटी होम में पालने स्थापित किए जाएँगे। इससे बच्चों को असहनीय वेदना से तो मुक्ति मिलेगी ही, साथ ही उनकी मृत्यु दर में भी कमी आएगी।
उपरोक्त निर्णय सोमवार को कलेक्टर सौरभ कुमार सुमन की अध्यक्षता में आयोजित जिला बाल कल्याण एवं संरक्षण समिति की बैठक में लिया गया। कलेक्टर श्री सुमन ने मुख्यमंत्री बाल आशीर्वाद योजना के
सभी स्वीकृत प्रकरणों के आयुष्मान कार्ड बनाने के निर्देश दिए व पीएम फॉर चिल्ड्रन योजना के अंतर्गत स्वीकृत प्रकरणों के आयुष्मान कार्ड एक्टिव कराने के निर्देश भी दिए। उन्होंने मुख्यमंत्री कोविड-19 बाल सेवा योजना के शिक्षा से विमुख हितग्राहियों से संपर्क कर उन्हें शिक्षा से जोड़ने को कहा।
गुड और बैड टच की जानकारी देने प्रशिक्षण-
कलेक्टर ने जिले के समस्त शासकीय व अशासकीय स्कूलों में गुड तथा बैड टच की जानकारी प्रदान करने के लिए शिक्षकों का चयन कर उन्हें प्रशिक्षित किए जाने हेतु निर्देशित किया। प्रशिक्षण के बाद इन्हें हर स्कूल में बच्चों को प्रशिक्षित करने भेजा जाएगा। इसके अतिरिक्त बैठक में बाल कल्याण समिति के पिछले 3 माहों के कार्यों की समीक्षा भी की गई।
बालकों को गोपनीयता का अधिकार-
कलेक्टर सौरभ कुमार सुमन ने किशोर न्याय अधिनियम के संबंध में उल्लेखित प्रावधानों के बारे में कहा कि उक्त अधिनियम के अंतर्गत एकांतता और गोपनीयता के अधिकार के सिद्धांत का प्राधवान किया गया है। जिसके तहत प्रत्येक बालक को न्यायिक प्रक्रिया में अपनी एकांतता और गोपनीयता की संरक्षा करने का अधिकार होगा। किसी जाँच या अन्वेषण के दौरान ऐसे बालकों के नाम या चित्र प्रकाशित नहीं किए जा सकते।