पुलिस कांस्टेबल पद के लिए तृतीयपंथी कर सकते हैं आवेदन, फरवरी 2023 तक तैयार किए जाएंगे नियम
राज्य सरकार ने हाईकोर्ट को दी जानकारी पुलिस कांस्टेबल पद के लिए तृतीयपंथी कर सकते हैं आवेदन, फरवरी 2023 तक तैयार किए जाएंगे नियम
डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य सरकार ने शुक्रवार को बांबे हाईकोर्ट को सूचित किया है कि तृतीयपंथी पुलिस कांस्टेबल पद के लिए आवेदन कर सकते है। इसके साथ ही सरकार तृतीयपंथियों शारिरीक परीक्षण से जुड़े मापदंड से जुड़े नियम फरवरी 2023 तक तैयार किए जाएगे। इससे पहले हाईकोर्ट ने गुरुवार को तृतीयपंथी की नियुक्ति के विषय में नियम न तैयार करने के लिए राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाई थी। हाईकोर्ट ने कहा था कि ऐसा लगता है सरकार इस मामले को लेकर गहरी नीद में है और वह पिछड़ रही है। हाईकोर्ट में राज्य सरकार की ओर से महाराष्ट्र प्रशासकीय न्यायाधिकरण(मैट) की ओर से पुलिस महकमें में भर्ती के लिए जेंडर(लिंग) के तौर पर तृतीयपंथियों के लिए प्रावधान करने के संबंध दिए गए आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई चल रही है।
शुक्रवार को यह याचिका मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति अभय अहूजा की खंडपीठ के सामने सुनवाई के लिए आयी। इस दौरान राज्य के महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणी ने कहा कि सरकार भर्ती के लिए राज्य सरकार की ओर से बनाई गई वेबसाईट में बदलाव किया जाएगा और वेबसाइट में जेंडर(लिंग) के तौर पर तृतीयपंथी का विकल्प प्रदान किया जाएगा। इसके अलावा पुलिस कांस्टेबल के दो पद तृतीयपंथियों के लिए रिक्त रखे जाएगे। पुलिस महकमें भर्ती के लिए आवेदन जमा करने की अंतिम तारिख 15 दिसंबर तय की गई है। 13 दिसंबर तक वेबसाइट में तृतीयपंथी का विकल्प वेबाइसट में जोड़ दिया जाएगा। नियमानुसार तृतीयपंथियों का शारिरीक परीक्षण नियम तैयार होने के बाद किया जाएगा। फिर सभी की लिखित परीक्षा ली जाएगी।
राज्य के महाधिवक्ता कुंभकोणी से मिली जानकारी के बाद खंडपीठ ने राज्य सरकार को 28 फरवरी 2023 तक तृतीयपंथियों के लिए नियम तैयार करने को कहा और फिर शारिरीक परीक्षण व लिखित परीक्षा लेने को कहा। खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि मैट में याचिका दायर करनेवाले दो तृतीयपंथियों को प्रत्यक्ष रुप से(ऑफलाइन) अपना आवेदन जमा कर सकते है। इस दौरान खंडपीठ ने मैट की ओर से 14 नवंबर 2022 को जारी किए गए उस आदेश के एक हिस्से पर रोक लगा दी जिसके तहत राज्य सरकार को गृह विभाग के सभी पदों पर भर्ती के लिए तृतीयपंथियों के लिए प्रावधान करने के लिए कहा गया था। खंडपीठ ने कहा कि मैट ने इस संबंध में अपने अधिकार क्षेत्र के बाहर जाकर आदेश दिया है। इसलिए इस पर रोक लगाई जाती है।