अदालत के सामने आया पुलिस की शर्मनाक करतूतों का सनसनीखेज सच

सतना अदालत के सामने आया पुलिस की शर्मनाक करतूतों का सनसनीखेज सच

Bhaskar Hindi
Update: 2022-03-02 09:41 GMT
अदालत के सामने आया पुलिस की शर्मनाक करतूतों का सनसनीखेज सच

डिजिटल डेस्क,सतना। दहेज प्रताडऩा से पीडि़ता की मौत का सच जानने के २ माह बाद महज दहेज प्रताडऩा का अपराध दर्ज कर सिटी कोतवाली की एक सब इंस्पेक्टर रीना सिंह मुश्किल में फंस गई हैं। प्रथम दृष्टया अनुसंधान में घोर लापरवाही सिद्ध होने पर प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट अदिति शर्मा की कोर्ट ने जहां एसपी धर्मवीर सिंह को विवेचक रीना सिंह के खिलाफ विभागीय जांच के दिए हैं, वहीं २ मार्च को अदालत में हाजिर होकर सब इंस्पेक्टर को जवाब दाखिल करने हैं।  यह दीगर बात है कि कोर्ट के सामने अपनी ही कलम में फंसी पुलिस को जवाब नहीं सूझ रहे हैं। 
शुरु से ही ठीक नहीं थी नीयत:----
सिटी कोतवाली अंतर्गत राजेन्द्रनगर गली नंबर- ४ निवासी रामानंद त्रिपाठी की बेटी अर्चना की शादी वर्ष २०२० की ६ दिसंबर को संस्कृत नगर अपार्टमेंट सेक्टर-१४ रोहिणी दिल्ली निवासी रामकरण शर्मा के बेटे योगेन्द्र शर्मा से हुई थी। परिजनों के आरोप के मुताबिक अर्चना के पति योगेंद्र शर्मा ने धोखा देकर दूसरी शादी की थी। 
एक फोरव्हीलर, १० लाख कैश और ५ तोला सोना की मांग पूरी नहीं होने से नाराज दहेज लोभियों ने अपनी ही बहू अर्चना को इस कदर यातनाएं दीं कि शादी के महज ६ माह के अंदर उसकी दर्दनाक मौत हो गई। इससे पहले १८ मई २०२१ को पीडि़ता के पिता रामानंद त्रिपाठी ने यहां सिटी कोतवाली में बेटी को दहेज के लिए प्रताडि़त किए जाने की शिकायत की थी।  मगर, पुलिस ने शिकायत रद्दी की टोकरी में डाल दी। इसी बीच अर्चना पर दहेज लोभियों की यातनाएं बढ़ती गईं और दिल्ली के एक अस्पताल में जीवन मौत से जूझ रही अर्चना की २३ मई २०२१ को मृत्यु हो गई। 
 डेथ सर्टिफिकेट के बाद भी नहीं पसीजा पत्थर दिल :-- 
हताश निराश मृतिका के परिजनों ने पुलिस के आला अफसरों के तमाम चक्कर काटे मगर जब नतीजा बेअसर रहा तो उन्होंने राष्ट्रीय महिला आयोग की शरण ली। दहेज हत्या के इस मामले में जब आयोग का प्रेशर पड़ा तो मृत्यु के २ बाद सिटी कोतवाली पुलिस ने अर्चना के पिता के १८ मई २०२१ के आवेदन को आधार बना कर आनन फानन में १४ जुलाई २०२१ को आरोपी पति योगेन्द्र शर्मा, जेठ देवेंद्र शर्मा, ससुर रामकरण, सास सरस्वती और जेठानी वंदना के विरुद्ध आईपीसी की दफा ४९८ ए, ३४ और दहेज प्रतिशेष अधिनियम की धारा-३ और ४ के तहत एफआईआर दर्ज कर ली। परिजनों ने अर्चना का डेथ सर्टिफिकेट पेश करते हुए दहेज हत्या का अपराध दर्ज करने का आग्रह किया लेकिन पुलिस का पत्थर दिल नहीं पसीजा। इस तरह पीडि़ता अर्चना की मृत्यु के २ माह बाद सिटी कोतवाली की सब इंस्पेक्टर रीना सिंह ने महज दहेज प्रताडऩा का अपराध दर्ज कर अपनी ही कलम फंसा ली।   

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