बीमित ने सारे दस्तावेज दिए फिर भी नही मान रहा क्लेम डिपार्टमेंट
स्टार हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी ने डेंगू के इलाज में कर दी कटौती बीमित ने सारे दस्तावेज दिए फिर भी नही मान रहा क्लेम डिपार्टमेंट
डिजिटल डेस्क,जबलपुर। अस्पताल में कैशलेस नही किया जाना और उसके बाद क्लेम देते वक्त अनेक प्रकार की खामियां निकालकर पॉलिसी धारक को चक्कर लगवाना आम बात हो गई है। अब तो यह किया जाने लगा है कि बीमित के द्वारा जो दस्तावेज जमा किए जाते है उसे ही गायब किया जा रहा है। दस्तावेज अलग करने के बाद बीमित के द्वारा यह कह दिया जाता है कि आपके द्वारा दस्तावेज उपलब्ध नही कराया गया है इसलिए हम क्लेम नही दे रहे हैं। क्लेम डिपार्टमेंट व सर्वेयर टीम के सदस्यों के द्वारा भुगतान की फाइल क्लोज की जा रही है। इलाज में खर्च हुई राशि को पाने के लिए बीमित लगातार चक्कर काटते है पर उन्हें जिम्मेदार अधिकारियों के द्वारा सही जवाब नही दिया जा रहा है। बीमितो का आरोप है कि बीमा कंपनी के अधिकारियों के द्वारा जानबूझकर पॉलिसी धारकों को परेशान कर रहे है।
इन नंबरों पर बीमा से संबंधित समस्या बताएँ
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17 महीने बाद भी बीमा अधिकारी नही दे रहे कोई जवाब
उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद शकोहाबाद फूलपुरिया बडा बाजार निवासी मयंक अग्रवाल ने अपनी शिकायत में बताया कि उन्होंने स्टार हेल्थ से पॉलिसी ले रखी है। पॉलिसी का प्रीमियम भी वे लगातार देते आ रहे है। पॉलिसी क्रमांक पी/231300/01/2021/014757 का कैशलेस कार्ड भी मिला था। पॉलिसी धारक की पत्नी ऐश्वर्या अग्रवाल का स्वास्थ्य खराब होने के कारण निजी अस्पताल में चैक कराने के बाद घर पर उपचार दिया जा रहा था। बुखार नही उतरने के कारण ब्लड सैम्पल देकर चैक कराया गया तो डेंगू होने की पुष्टि हुई। चिकित्सको की सलाह पर आईसीआईसीयू में भर्ती कराना पड़ा था। वहां पर लगातार इलाज चिकित्सको के द्वारा किया तो पत्नी के स्वास्थ्य में सुधार हो पाया। अस्पताल से कैशलेस के लिए मेल किया गया तो बीमा अधिकारियों ने बिल सम्मेट करने पर पूरा भुगतान करने का दावा किया गया था। बीमित ने उपचार के उपरांत अस्पताल से छुट्टी होने पर मिले बिल व जांच रिपोर्ट की सत्यापित कापी बीमा कंपनी में जमा कराई थी। वहां से क्लेम नंबर देते हुए जल्द एकाउंट में राशि भेजने का दावा किया गया था। महीनों बाद बीमा कंपनी ने क्लेम सेटल करते हुए राशि एकाउंट में ट्रांसफर की गई और चैक करने पर खुलासा हुआ कि उनके बिलो में कटौती कर दी गई। पीडि़त लगातार बीमा कंपनी से संपर्क कर रहा है पर 17 महीने बाद भी बीमा अधिकारी कोई जवाब नही दे रहे है। बीमित का आरोप है कि उसके साथ जालसाजी की गई है।