सरकारी हास्टलों के छात्रों को DBT से ही मिलेंगे पैसे, सरकार अपने फैसले पर कायम

सरकारी हास्टलों के छात्रों को DBT से ही मिलेंगे पैसे, सरकार अपने फैसले पर कायम

Bhaskar Hindi
Update: 2018-07-23 15:07 GMT
सरकारी हास्टलों के छात्रों को DBT से ही मिलेंगे पैसे, सरकार अपने फैसले पर कायम

डिजिटल डेस्क, मुंबई। प्रदेश सरकार आदिवासी विभाग के सरकारी हॉस्टलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को भोजन और भत्ते की राशि हॉस्टल प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के माध्यम से ही मुहैया कराएगी। पैसे देने के लिए DBT प्रणाली को बदलकर कोई दूसरी प्रक्रिया लागू करने का कोई इरादा नहीं है।


सोमवार को आदिवासी विभाग के एक अधिकारी ने दैनिक भास्कर से बातचीत में कहा कि विद्यार्थियों को DBT के माध्यम से ही पैसे दिए जाएंगे। अधिकारी ने बताया कि अभी तक राज्य में अभी तक 10 हजार विद्यार्थियों को भोजन और भत्ते के लिए पैसे DBT के जरिए दिए जा चुके हैं। आदिवासी विभाग के 120 सरकारी हॉस्टलों में लगभग 20 हजार विद्यार्थियों को पैसे देने की योजना है। आदिवासी सरकारी हॉस्टलों के कक्षा ग्यारहवीं से पोस्ट ग्रेजुएट (पीजी) तक के विद्यार्थियों को भोजन और भत्ते के लिए सरकार की तरफ से पैसे दिए जाते हैं। अधिकारी ने कहा कि नाशिक में हुए आंदोलन और मानसून सत्र में हुए हंगामे के बाद आदिवासी विभाग ने विद्यार्थियों से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए संवाद साधा था। इसमें अधिकांश विद्यार्थी DBT प्रणाली लागू किए जाने से खुश नजर आए। 

अधिकारी ने कहा कि हॉस्टलों में अवैध तरीके से कुछ विद्यार्थी रहकर नेतागिरी करते हैं। यही लोग आंदोलन करते हैं। इसमें भोजन आपूर्ति करने वाले ठेकेदारों की मिलीभगत है। लेकिन अधिकांश जगहों पर हॉस्टल के वार्डन की मदद से विद्यार्थियों ने अपनी इच्छा के अनुसार भोजन की आपूर्ति करने वालों को चुना है। सरकार की तरफ से राज्य के अ, ब और क वर्ग महानगर पालिका और विभागीय शहर के सरकारी हॉस्टलों के विद्यार्थियों को भोजन और नाश्ते के लिए प्रति महीने 3500 रुपए और जिला स्तर के सभी सरकारी हॉस्टलों के विद्यार्थियों को प्रति महीने 3000 रुपए दिए जाते हैं। इससे पहले नागपुर में सपन्न हुए विधानमंडल के मानसून सत्र के दौरान विद्यार्थियों ने आंदोलन किया था। जिसके बाद विपक्ष सरकार पर हमलावर हुआ था। लेकिन सरकार अपने फैसले पर कामय है।

Similar News